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8 अप्रैल 25

लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर, एक दूरदर्शी असाधारण शासक का जीवन साहस, करुणा और न्याय का प्रतीक है

ब्यूरो किशोर सिंह राजपूत 9981757273

शाजापुर,  लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर, एक दूरदर्शी असाधारण शासक थी। उनका जीवन साहस, करुणा और न्याय का प्रतीक है। 18वीं शताब्दी में मालवा पर शासन करते हुए, उन्होंने अपने लोगों के कल्याण के लिए अथक प्रयास किया। उनके शासन को उनकी प्रगतिशील नीतियों, परोपकारी कार्यों और न्यायप्रियता के लिए जाना जाता है। यह बात आज लोक माता देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300 वी जन्म जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सलेंस बीकेएसएन महाविद्यालय शाजापुर में आयोजित हुई व्याख्यानमाला में वक्ताओं ने कही। व्याख्यानमाला का आयोजन नगरपालिका शाजापुर के सौजन्य से हुआ था। कार्यक्रम में नगरपालिका सीएमओ डॉ. मधु सक्सेना, महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. बीएस विभूति सहित महाविद्यालय के प्राध्यापकगण मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर डॉ. वीपी मीणा ने किया।

 

व्याख्यानमाला में प्रमुख वक्ता के रूप में प्रोफेसर डॉ. बीएल मालवीय ने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई के प्रारंभिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अहिल्याबाई का जन्म 31 मई, 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के चौंडी गांव में हुआ था। उनके पिता, मानकोजी शिंदे, एक साधारण किसान थे। 8 साल की छोटी उम्र में, उनका विवाह मल्हारराव होल्कर के पुत्र खंडेराव होल्कर से हुआ। उन्होंने बताया कि अहिल्याबाई के जीवन में कई दुखद घटनाएँ आईं। उन्होंने कम उम्र में अपने पति और बेटे दोनों को खो दिया। इन त्रासदियों के बावजूद, उन्होंने अपनी प्रजा के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन किया। 1767 में, अपने ससुर मल्हारराव होल्कर की मृत्यु के बाद, उन्होंने मालवा का शासन संभाला।

 

इस अवसर पर महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. विभूति ने व्याख्यान देते हुए बताया कि अहिल्याबाई ने एक कुशल और न्यायप्रिय शासक के रूप में ख्याति अर्जित की। उन्होंने अपनी प्रजा के कल्याण को प्राथमिकता दी और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए अथक प्रयास किया। उन्होंने कई मंदिरों, धर्मशालाओं और कुओं का निर्माण कराया। उन्होंने व्यापार और कृषि को बढ़ावा दिया और अपनी प्रजा को सुरक्षा और न्याय प्रदान किया। अहिल्याबाई होल्कर का 13 अगस्त, 1795 को निधन हो गया। उन्हें आज भी एक महान शासक, दूरदर्शी नेता और परोपकारी महिला के रूप में याद किया जाता है। उनकी विरासत हमें साहस, करुणा और न्याय के महत्व की याद दिलाती है। इस मौके पर सीएमओ डॉ. सक्सेना ने भी संबोधित किया।

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