
नगरपालिका : सेवा प्रदायक बिलों के दो बार भुगतान से जुड़ा खेला* आर टी आई मे हुआ मामले का खुलासा
मुख्य नगर पालिका अधिकारी राजेन्द्र मिश्रा अनुरोध के बाद भी नहीं करा सके जांच
रिपोर्ट सुधीर बैसवार
सनावद/लेखा शाखा द्वारा 2023 -24 में सप्लाई और सेवा संबंधित बिलो के दो बार भुगतान से जुड़े एक मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा मुनपा अधिकारी से जांच का अनुरोध किया गया था। ताकि बगैर किसी अनुरोध प्रक्रिया के अचानक 17 महीने प्रदायक द्वारा अतिरिक्त भुगतान राशि को निकाय कोष में जमा कर दिया जाने में लेखा शाखा की कथित मिली भगत का सच उजागर हो सके। जबकि विडंबना रही है, अब तक मामले में कथित फर्जी बिल घोटाले मामले में तीन माह बाद भी प्रस्तावित जांच कार्यवाही और उसका नतीजा निरंक रहना बताया गया है।
आखिर, क्या है पूरा मामला
सनावद नगर पालिका पर लेखा शाखा के माध्यम से निर्माण, राजस्व , स्थापना , स्वास्थ्य और स्वच्छता तथा स्टोर शाखा मैं चल रहे भ्रष्टाचार सर्वविदित है।जहाँ आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ, भोपाल में पंजीबद्ध शिकायत क्र. 182/2020 पर चालानी कार्यवाही लंबित बताई जाती है। वही नगर पालिका में नित नऐ तरीके से आर्थिक भ्रष्टाचार करने की खबरें बनी हुई है। ऐसा ही आरटीआई जानकारी से 2022-23 का एक मामला नवंबर 2024 से मुनपा अधिकारी राजेंद्र मिश्रा की जांच अनुरोध में है।
आरटीआई एक्टिविस्ट बैसवार मुताबिक लेखा शाखा से मिली आरटीआई जानकारी बताती है 18 फरवरी 2023 को विविध शीर्ष में वाउचर कमांड 984 द्वारा शिरोमणि ऑटोमोबाइल सनावद के 6 बिलों का भुगतान किया गया था। जिसमें दो बिल क्रमशः बिल क्रमांक 77 दिनांक 3/8/22 और बिल क्रमांक 78 दिनांक 18 /8 /22 को दो बार अंकित किया गया है। इस पर लेखा शाखा के कार्यवाही पत्रक अनुसार संबंधित नस्ती में इन बिलों के दो बार जुड़ जाने से सेवा प्रदायक द्वारा 26.7.2024 को उन दोनों बिलों की कुल राशि को निकाय कोष में जमा होना बताया गया है।
*मिलीभगत का खेला*
जबकि इस प्रकरण में एक ही नस्ती में संबंधित एजेंसी के एक नहीं दो बिलों का भुगतान किया जाना कथित त्रुटि होना बताया गया। लेकिन गलती से की गई भुगतान राशि की वापसी को लेकर किसी भीम का नहीं होना तथा आरटीआई जानकारी देने के दबाव में 17 महीने से अधिक समय बाद बगैर किसी कागजी प्रक्रिया के निकाय को वापस लौटाने का खेला एजेंसी और लेखा शाखा की मिली भगत का इशारा करता है। मेरे अनुरोध पर मुनपा अधिकारी मिश्रा की जांच में मिली भगत का सच सामने आता है, तो इस मामले से हो सकता है कि नगर पालिका अध्यक्ष और अधिकारी की आंखें खुलें और वातावरण कुछ ठीक हो। जबकि नागरिकों का आरोप है कि पालिका में हर काम के लिए निर्धारित रकम तय है। जब तक वह नहीं मिलती, किसी का काम नहीं होता है। वैसे तो यह सर्व विविध है नगर पालिका में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरे में जम चुकी हैं। लोगों का सालों चक्कर लगाते समय बीत जाता है लेकिन उनके बिलों का भुगतान नहीं हो पाता है।