अधिग्रहित कृषि भूमि का कम मुआवजा मिलने से किसानों में रोष
विधायक सचिन बिरला ने लिखा शासन को पत्र
बेड़िया/ एनटीपीसी सेल्दा पावर प्लांट द्वारा बिछाई जा रही नवीन पाइप लाइन हेतु भूमि अधिग्रहण के कम मुआवजे को लेकर किसानों में गहरा आक्रोश है।
प्रभावित किसानों और किसान संगठनों का कहना है कि नवीन पाइप लाइन हेतु किसानों की उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है। लेकिन प्रभावित किसानों को गाइड लाइन के अनुसार मात्र 15 प्रतिशत की दर से मुआवजा दिया जा रहा है। भूमि अधिग्रहण से प्रभावित अनेक सीमांत किसान ऐसे हैं जिनकी पूरी कृषि भूमि अधिग्रहण में जा रही है। अथवा अधिग्रहण के पश्चात शेष बची भूमि कृषि के लिए अनुपयोगी हो जाती है।
उल्लेखनीय है कि एनटीपीसी पॉवर प्लांट द्वारा पूर्व में भी पाइप लाइन हेतु किसानों की 25 मीटर कृषि भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। नवीन पाइप लाइन हेतु पुरानी पाइप लाइन के समानांतर पुनः 25 मीटर भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है। इस कारण 2 या 3 एकड़ की छोटी जोत वाले किसानों की पूरी भूमि ही अनुपयोगी हो गई है। इस कारण अनेक सीमांत कृषकों की आजीविका का साधन ही समाप्त हो गया है।
प्रभावित किसानों ने विधायक सचिन बिरला को कृषि भूमि अधिग्रहण के कारण हो रही कठिनाइयों से अवगत किया और पर्याप्त मुआवजा दिलाने की मांग की। विधायक ने अधिग्रहण प्रभावित किसानों की समस्या से सहमति व्यक्त करते हुए मुख्य सचिव,मप्र शासन,प्रमुख सचिव राजस्व विभाग,संभागायुक्त संभाग इंदौर एवं खरगोन जिला कलेक्टर को पत्र प्रेषित किया है। पत्र में कहा गया है कि अधिग्रहण पीड़ित किसानों को उनकी भूमि का मुआवजा 15 की बजाय 85 प्रतिशत की दर से दिया जाना चाहिए। नियमानुसार ट्रांसमिशन लाइन डालने पर भूमि स्वामी किसान को 85 प्रतिशत गाइड लाइन की दर से मुआवजा दिया जाता है। इसलिए प्रभावित किसानों को 85 प्रतिशत की दर से मुआवजा दिया जाना चाहिए। वर्तमान में मुआवजा 1 वर्ष की 2 फसलों के आधार पर दिया जा रहा है। जबकि संपूर्ण क्षेत्र सिंचित होने के कारण किसान प्रतिवर्ष 3 फसलें ले रहे हैं। इसलिए 3 फसलों का मुआवजा 3 वर्ष को आधार बनाकर दिया जाना चाहिए। पाइप लाइन के कारण अधिग्रहित भूमि के साथ आसपास की भूमि भी अनुपयोगी हो जाती है।इसके अलावा प्रभावित किसानों के खेतों में मौजूद ट्यूब वेल,सिंचाई की पाइप लाइन,मकान,फलदार वृक्ष आदि का मुआवजा भी किसानों को दिया जाना चाहिए। विधायक ने कहा कि प्रभावित किसान और किसान संगठन मुआवजा राशि से सहमत नहीं हैं और पाइप लाइन का कार्य रोकने की मांग कर रहे हैं।
प्रभावित किसानों और किसान संगठनों के विरोध के कारण पाइप लाइन बिछाने का कार्य भी प्रभावित हो रहा है और संबंधित निर्माण एजेंसी को कार्य जारी रखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा। इस कारण नवीन पाइप लाइन परियोजना की लागत भी बढ़ रही है।
विधायक ने कहा कि एनटीपीसी भारत सरकार की लाभकारी संस्था है। इसलिए एनटीपीसी प्रभावित किसानों की मांगें मानकर उचित मुआवजा निर्धारित करे।