
गणिनी आर्यिका सरस्वती माताजी ससंघ का पिच्छी परिवर्तन समारोह संपन्न।
रिपोर्ट सुधीर बैसवार
सनावद–: संयम का पाठ सिखाने वाला पिच्छि परिवर्तन समारोह है। दिगंबर साधु वर्षा ऋतु के समय एक स्थान पर रहकर जहां आत्म साधना करते हैं। वहीं पर श्रावकों को भी आत्म साधना करने की प्रेरणा देते हैं। वर्षा योग हमारे जीवन में नई चेतना लाती है। दिगंबर साधु की पहचान पिच्छी कमंडल से होती है। पिच्छी के पंख बहुत मुलायम होते हैं। आप सभी अपने जीवन को मृदुतायुक्त बनाएं। संयम व दया का यह उपकरण उन्हीं को लेने व देने का सौभाग्य प्राप्त होता है, जो अपने जीवन में कुछ संकल्प व नियम लेते हैं। देव, शास्त्र, गुरु एवं संस्कृति के प्रति समर्पित होकर अपनी श्रद्धा और आस्था मजबूत बनाए रखें। उक्त उदगार नगर में चतुर्मासरत आर्यिका सरस्वती माताजी ने पिच्छी परिवर्तन समारोह के अवशर पर धर्म सभा में कही।सन्मति काका ने बताया की पिच्छी परिवर्तन समारोह के अवसर पर प्रारम्भ में आचार्य श्री देशभूषण सागर जी महाराज के छाया चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन मुकेश कुमार बांसवाड़ा, संतोष बाकलीवाल, पवन कुमार जैन, सुधीर कुमार चौधरी ने किया वही मंगलाचरण संगीता बाकलीवाल ने किया अगली कड़ी में आराध्या विशाल सराफ के द्वारा स्वागत नृत्य प्रस्ततु किया गया। सन्मति काका ने बताया की आर्यिका सरस्वती माताजी ससंघ के पाद प्रक्षालन करने शोभाग्य संतोष कुमार बाकलीवाल परिवार को मिला एवम शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य सुनील कुमार डीपीएस परिवार को प्राप्त हुआ। एवम वस्त्र भेट करने का सौभाग्य साधर्मी परिवारों.को प्राप्त हुवा।आर्यिका अनंत मति माताजी को शास्त्र भेट करने सौभाग्य सुधीर कुमार नवलचंद चौधरी परिवार को प्राप्त हुवा एवम वस्त्र भेट करने का शोभाग्य साधर्मी परिवारों.को प्राप्त हुवा। एवं आर्यिका महोत्सव मति माताजी को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य श्रीमती राजकुमारी प्रेमचंद जैन शुभम पेप्सी परिवार को। प्राप्त हुवा एवं वस्त्र भेंट करने का सौभाग्य साधर्मी परिवारों.को प्राप्त हुवा। तत्पश्चात आर्यिका माताजी के विहार में संघपति बनने वाले सावित्री बाई कैलाश चंद जटालेपरिवार, स्व विमला बाई विमलचंद जैन बड़ूड़ परिवार , नीलेश कुमार चांदमल जी मास्टरसाब एवं श्रीमती किरण बाई वीरेंद्र कुमार कुंदन कैमिस्ट परिवार का सम्मान समिति की ओर माला व दुपट्टे हार श्रीफल देकर सम्मान किया गया किया गया।अगली कड़ी में सभी आचार्यों को के अर्घ्य समर्पित किए गए ।आर्यिका अनंत मति माताजी ने संक्षिप्त उद्बबोधन में कहा कि पिच्छिका में कोई वजन नहीं होता, लेकिन उसमें संकटों को दूर करने की क्षमता रहती है। यह संसार से विरक्ति पैदा करके जीवन का सार बताती है। उन्होंने सभी से इच्छाओं को त्याग कर संयम को अपनाने पर जोर दिया। अंत मे आर्यिका सरस्वती माताजी की पुरानी पिच्छी पाने का शोभाग्य ।अनेक नियमों के पालन करने वाली श्रीमती रेखा राकेश जैन परिवार को प्राप्त हूवा। वही नई पिच्छी देने का शोभाग्य श्रीमती नीतू प्रशांत जैन.को प्राप्त हूवा। एवम आर्यिका अनंत मति माताजी की पुरानी पिच्छी पाने का शोभाग्य सुनीता भूपेंद्र लश्करे को प्राप्त हूवा।वही नई पिच्छी देने का सौभाग्य राजेश कुमार जटाले को प्राप्त हूवा।एवं आर्यिका महोत्सव मति माताजी को नवीन पिच्छिका देने का सौभाग्य श्रीमती अंजू सुरेन्द्र पाटनी परिवार को प्राप्त हुआ एवं। पुरानी पिच्छिका पाने का सौभाग्य.श्रीमती प्रीति श्रीकांत जटालेपरिवार को प्राप्त हुवा।कार्यक्रम का सफल संचालन प्रशांत जैन मोनू ने किया एवम संगीतकार कमल जैन पार्टी बड़वाह ने अपनी मधुर भजनों से सभी को मंत्र मुक्त कर दिया एवम आभार मुनि सेवा समिति के अध्यक्ष मुकेश जैन ने माना।इस अवशर पर सभी समाजजन उपस्थित थे।