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धर्म संस्कृति का आधार स्तम्भ है पत्रकारिता -स्वामी गोपालानंद सरस्वती

सुसनेर। मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित गो रक्षा वर्ष के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 180 वे दिवस के अवसर पर श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि जब जब भी धर्म पर आघात हुआ है तब तब धर्म रक्षा के लिए किसी न किसी रूप में धरती पर शक्ति के रूप में किसी न किसी रूप में मां अवतरित हुई है और पुण्यभूमि भारत में तो नारी को पूजनीय माना है लेकिन लोकतंत्र में लोग नारी को समानता के अधिकार की मांग करते हे,जबकि नारी को समानता नहीं नारी को महान बनाने की आवश्यकता है । नारी महान है इसका साक्षात उदाहरण आज के दिन जन्मी रानी दुर्गावती का उदाहरण हमारे सामने है ।रानी दुर्गावती ने कृषि, व्यापार और हस्तशिल्प को बढ़ावा दिया। उन्होंने कृषि सुधारों और सिंचाई योजनाओं को लागू किया, जिससे खाद्य उत्पादन बढ़ा। रानी दुर्गावती ने शिक्षा और संस्कृति के विकास पर अधिक जोर दिया। उन्होंने साहित्य, कला और संगीत को प्रोत्साहित किया, जिससे गोंडवाना की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा मिला।

 

नवरात्रि के तृतीय दिवस पर महाराज जी ने बताया कि मां सतोगुणी शक्ति का प्रतीक है और अगर मन में निष्कामता हो तो फिर मां से कुछ मांगने की जरूरत नही है जिसका उदाहरण भारत चीन के 1965 एवं 1961 के युद्ध में साक्षात भगवती ने भारत के वीर सपूतों की रक्षा के लिए स्वयं रणक्षेत्र में सामने आईं है और उन्ही तनोटराय मां आवड माता के प्रकटीकरण की कथा में मां आवड का परिचय देते हुए बताया कि माड़ प्रदेश (जैसलमेर-बाड़मेर का भू-भाग) निवासी साउवा शाखा के मामड़ जी (मामड़िया जी) चारण द्वारा संतान प्राप्ति हेतु की गई सात पैदल यात्राओं से प्रसन्न माँ हिंगलाज ने प्रकट होकर वर माँगने को कहा। मामड़ जी द्वारा माँ हिंगलाज जैसी संतान प्राप्ति की माँग करने पर माता जी ने सात पुत्रियों के रूप में स्वयं पधारने एंव एक पुत्र होने का वचन दिया। यह नवीं सदी की बात है।

वचनानुसार मामड़ जी की धर्मपत्नी मोहवृत्ती मेहडू चारणी की कुक्षि से उब्बटदे (आवड़ जी) का जन्म हुआ, तदुपरान्त लगातार छः पुत्रियाँ तथा एक पुत्र महिरख पैदा हुऐ। ये सातों बहनेे आजीवन ब्रह्मचारिणी रहकर शक्ति अवतार के रूप में पूजनिया हुई। राजस्थान के क्षत्रियों में आवड़जी आदि अनेक चारण लोकदेवियां कुलदेवी के रूप में पूजनीय हैं ।

 

राजगढ पत्रकार संघ के जिलाध्यक्ष रोशन खत्री पचोर एवं पत्रकार रोहित राजपूत पचोर को पूज्य महाराज जी ने गोबरपीठ से आशीर्वाद देते हुए बताया कि पत्रकारिता को कहने में तो लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ कहां जाता है लेकिन अध्यात्म की भाषा में बहुत पहले ही पत्रकारिता को धर्म संस्कृति का आधार स्तम्भ बताया गया है अर्थात जब जब भी धर्म के किसी विशेष कार्य को करने की आवश्यकता पड़ी है, तब पत्रकारिता के आदि गुरु नारद जी एक पत्रकार के रूप में अपनी भूमिका को निभाते है और सूचनाओं का विधिवत आदान प्रदान कर सनातन धर्म की रक्षा और संस्कृति के प्रचार का कार्य करते है यानि समाचार पत्रों का हमारी धर्म एवं संस्कृति में विशेष योगदान है*

 

180 वें दिवस भाजपा जिला उपाध्यक्ष कालू सिंह सिसोदिया गणेशपुरा एवं मदन सिंह कलारिया सांतवा मील अतिथि उपस्थित रहें

 

एक वर्षीय गोकृपा कथा के 180 वें दिवस पर राजस्थान के बीकानेर जिले के तेजरासर ग्राम के रामकिशन, श्रीमति परमेश्वरी के मोसी श्रीमती सोना देवी,हरिराम तेजरासर एवं मधयप्रदेश के राजगढ जिले की पचोर तहसील के उदनखेड़ी ग्राम से दिनेश राजपूत समाजसेवी, रोशन खत्री, जिलाध्यक्ष पत्रकर संघ,राजगढ, शांतिलाल लाल धाकड, जनपद सदस्य, हरिप्रसाद खत्री समाजसेवी, बद्रीलाल वैरागी समाजसेवी, श्रीवल्लभ योगी समाजसेवी,रोहित राजपूत पत्रकार एवं राजू जाट ने सम्पूर्ण ग्राम की और से देश, राज्य एवं ग्राम, नगर के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।

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