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आत्महत्या रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाना जरूरी – स्वामी मुक्तिनाथानन्द

लखनऊ संवाददाता अमित चावला

लखनऊ.10 सितंबर विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर, रामकृष्ण मठ, निराला नगर, लखनऊ द्वारा एक गैर-सरकारी संगठन ह्यूमन यूनिटी मूवमेंट (एच.यू.एम.) के सहयोग से युवाओं के साथ एक संवादात्मक सत्र और पैनल चर्चा का आयोजन गया.

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं को आत्महत्या के बारे में खुलकर बात करने के लिए प्रेरित करना और उन्हें ऐसे जीवन कौशल विकसित करने में मदद करना है जिनकी मदद से वे अपने जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकें और एक सकारात्मक और स्वस्थ जीवन जी सकें.

कार्यक्रम की शुरूआत गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित करके एवं वैदिक मन्त्रोंच्चारण विवेकानन्द युवा संघ के सदस्यो द्वारा  हुआ तथा गणमान्य अतिथियों का स्वागत नरेन्द्र किशोर संघ के सदस्यों द्वारा किया गया.

उद्घाटन भाषण स्वामी मुक्तिनाथानंद महाराज, सचिव, रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम, लखनऊ द्वारा हुआ. स्वामी जी ने कहा कि यह दिन दुनिया भर में आत्महत्या की रोकथाम और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जागरूकता फैला कर इसकी रोकथाम करना तथा यह दिन मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी गलतफहमियों और डर को दूर करने के लिए होता है, ताकि लोग मदद मांगने में संकोच न करें. आत्महत्या को रोका जा सकता है और सभी को इसमें अपनी भूमिका निभाने के लिए मैं प्रेरित करता हूं.
स्वामी जी ने  आत्महत्या के मामलों की रोकथाम के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि  यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सभी लोगों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में पता हो और वे इसका इस्तेमाल करें. खासकर जो संकट में हैं. इसके लिए मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर खुलकर बात करना और पेशेवर सलाहकारों से मदद लेना जरूरी है.आत्महत्या के बारे में जागरूकता बढ़ाना जरूरी है, ताकि लोग इस मुद्दे के बारे में बात करने के लिए अधिक सहज महसूस करें और मदद मांगने में संकोच न करें.यह स्कूलों, वर्कप्लेस और समुदायों में जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से किया जा सकता है.

इस परिचर्चा में डॉ. देवेंद्र सिंह वार्ष्णेय, नैदानिक मनोवैज्ञानिक, डॉ. सुचिता चतुर्वेदी, सामाजिक कार्यकर्ता, डॉ. संगीता शर्मा, पूर्व सदस्य, बाल कल्याण समिति, डॉ. अंशुमाली शर्मा, पूर्व अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति और डॉ. रश्मि सोनी, परामर्श मनोवैज्ञानिक उपस्थित थें.
डॉ. सुचिता चतुर्वेदी उ.प्र. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य ने कहा कि शारीरिक गतिविधि और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देकर, मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकते है और आत्महत्या के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है.यह हेल्दी डाइट, पूरी नींद और रोज एक्सरसाइज करके किया जा सकता है.

डॉ. संगीता शर्मा, पूर्व सदस्य बाल कल्याण समिति, राष्ट्रीय सरोगेसी और एआरटी बोर्ड की सदस्य  ने कहा कि  आत्महत्या एक गंभीर वैश्विक समस्या है.यह एक मुद्दा इतना पेंचिदा है कि इसके पीछे कई कारक हो सकते हैं, जैसे कि मानसिक स्वास्थ्य समस्या, तनाव, अकेलापन, सामाजिक या आर्थिक दबाव आदि.

डॉ. अंशुमाली शर्मा, बाल कल्याण समिति की पूर्व अध्यक्ष,श्री जेएनएम पीजी कॉलेज, लखनऊ विश्वविद्यालय में भूविज्ञान विभागाध्यक्ष  ने  कहा कि आत्महत्या के जोखिम वाले लोगों के लिए मदद पहुंचाना जरूरी है. आत्महत्या के कारक में सिर्फ मानसिक बीमारी का मामला नहीं, ये एक सामाजिक और प्रणालीगत संकट है. नौकरी और आर्थिक अस्थिरता, पारिवारिक टकराव, शिक्षा और परीक्षा का दबाव, युवा पीढ़ी की संवेदनशीलता और समाज में बदनामी या असफलता से आत्महत्या जैसे गलत कदम उठा लेते है.

डॉ. देवेंद्र सिंह वार्ष्णेय, नैदानिक मनोवैज्ञानिक, ने कहा कि आत्महत्या को केवल मानसिक रोग का परिणाम मानना अधूरा नजरिया हैं. बहुत बार यह आर्थिक दबाव,  सामाजिक अलगाव या रिलेशनशिप ब्रेकडाउन की वजह से भी होती है. ऐसे मामलों में व्यक्ति को मदद मांगने का मौका तक नहीं मिलता.
प्रो. रश्मि सोनी शिक्षा विभागाध्यक्ष, श्री जेएनएमपीजी कॉलेज, लखनऊ विश्वविद्यालय जो पिछले 25 वर्षों से परामर्श मनोवैज्ञानिक के रूप में कार्यरत है, कोविड-19 के लिए उत्तर प्रदेश के कई जिलों में राज्य मानसिक स्वास्थ्य परामर्शदाता तथा उत्तर प्रदेश पुलिस की 1090 महिला हेल्पलाइन की परामर्शदाता है, ने कहा कि बढ़ती इच्छाएं, कमजोर पारिवारिक रिश्ते और भावनात्मक असहायता जैसे जो व्यक्ति को आत्महत्या तक पहुंचा रहे हैं। प्रो. सोनी ने बताया कि अक्सर लोग शब्दों या व्यवहार के जरिए पहले संकेत भेजते हैं, स्पेशली जब उन्हें लगता है कि कोई सुनने वाला नहीं है तब यह कदम उठाते है.

संवादात्मक सत्र में श्रोताओं एवं युवाओं के प्रश्नों के उत्तर कार्यक्रम में आये हुए विशेषज्ञों ने दिया.

Amit Kumar chawla

अमित कुमार चावला भारत संवाद न्यूज़ के लखनऊ के संवाददाता हैं. अमित कुमार चावला वर्तमान में भारत संवाद न्यूज़ ग्रुप के टीवी,वेब सहित भारत संवाद न्यूज़ समूह के सभी प्लेटफॉर्म्स के लिए योगदान दे रहे हैं. अमित कुमार चावला पत्रकारिता के साथ समाजसेवा में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

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