
**रियांबड़ी के किसान का नवाचार, पारंपरिक खेती से हटकर किसान सुरेश धोला की नई पहल**
**वीर तेजा पपीता फार्म सेंसड़ा रियांबड़ीनागौर**
भारत संवाद/ नागौर मुरलीधर पारीक
रियांबड़ी /सेंसड़ा, नागौर (राजस्थान): जिला नागौर के सेंसड़ा गांव के किसान सुरेश ने पारंपरिक खेती को अलविदा कहकर पपीते की खेती शुरू कर एक नई मिसाल कायम की है। उनका उद्देश्य किसानों को बेहतर पैदावार और अच्छा मुनाफा दिलाना है, साथ ही युवाओं को खेती के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित करना है।
**पपीते की खेती: एक लाभकारी पहल**
सुरेश ने 7 बीघा जमीन पर 2500 पपीते के पौधे (रेड लेडी 786 ताइवान वैरायटी), 200 अवल के पौधे (चकिया वैरायटी), 50 अमरूद के पौधे, और 140 एप्पल के पौधे (हरमन 99 वैरायटी) लगाए हैं। पानी की व्यवस्था के लिए उन्होंने डैम और ट्यूबवेल बनवाया है, जिससे प्रतिदिन 3000 लीटर पानी उपलब्ध होता है। वर्तमान में वे अपने फार्म से रोजाना 200 से 500 किलो ऑर्गेनिक पपीते का उत्पादन कर रहे हैं, जिन्हें 50 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा है। ऑर्गेनिक और स्वादिष्ट होने के कारण लोग पहले ही बुकिंग कर लेते हैं। सुरेश का अनुमान है कि वे इस फसल से 30 से 35 लाख रुपये की कमाई करेंगे।
**पपीते की खेती के लिए जरूरी जानकारी**
सुरेश ने पपीते की खेती के लिए महत्वपूर्ण सुझाव साझा किए:
– **मिट्टी और जलवायु**: अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट या काली दोमट मिट्टी, जिसका पीएच 5.5 से 7.0 हो, उपयुक्त है। तापमान 20 से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए।
– **खेत की तैयारी**: गहरी जुताई करें, मिट्टी को 15-30 दिन धूप में सूखने दें, और जल निकासी की व्यवस्था करें।
– **रोपण**: 60x60x60 सेंटीमीटर के गड्ढों में सड़ी गोबर खाद और नीम की खली डालकर पौधे लगाएं। फरवरी-मार्च या जुलाई-सितंबर में रोपाई करें।
– **सिंचाई और खाद**: ड्रिप सिंचाई का उपयोग करें और गोबर खाद, वर्मी कंपोस्ट, या नीम की खली का प्रयोग करें।
– **उपज**: पपीते का पौधा 4 महीने में फूल और 7-11 महीने में फल देना शुरू करता है। एक पौधा 50-90 किलो फल दे सकता है।
**किसानों और युवाओं के लिए प्रेरणा**
सुरेश घोला का कहना है कि पारंपरिक खेती में मौसमी बीमारियों, सूखा, या अधिक बारिश के कारण किसान कर्ज में डूब रहे हैं। इसलिए, उन्होंने पपीते की खेती को चुना, जो कम लागत में अधिक मुनाफा देती है। वे युवाओं से अपील करते हैं कि नौकरी की तलाश छोड़कर खेती में मेहनत करें, क्योंकि “खेत में सोना उपजता है।”
**श्री वीर तेजा नर्सरी की शुरुआत**
सुरेश ने बताया कि 2026 से श्री वीर तेजा नर्सरी, सेंसड़ा में उच्च गुणवत्ता वाले पौधे उपलब्ध होंगे। वर्तमान में इसका ट्रायल चल रहा है।
**सहयोग और मार्गदर्शन**
इस पहल में सेंसड़ा के सरपंच रामनिवास जी, पूर्व विधायक रामचंद्र जारोड़ा, चिमन वाल्मीकि, दौलत राम गोदारा, लालाराम नायक, और रोहित फड़ोलिया का विशेष सहयोग रहा है। ये सभी नियमित रूप से फार्म का दौरा कर मार्गदर्शन और नई जानकारी प्रदान करते हैं।
**किसानों के लिए खुला निमंत्रण**
सुरेश घोला सभी किसानों और युवाओं को अपने फार्म पर आने और पपीते की खेती की पूरी जानकारी लेने के लिए आमंत्रित करते हैं। संपर्क के लिए: **9462790358, 7850904042**, पिन कोड: **341513**।
**संदेश**: “युग बदला, हम भी बदलें। पारंपरिक खेती छोड़कर कुछ नया करें, ताकि हमारी युवा पीढ़ी बेरोजगारी से बचे और आत्मनिर्भर बने।”
**जय जवान, जय किसान!**