
महिलाओं ने रखा हरतालिका तीज का निर्जल उपवास, पति की लंबी उम्र और अच्छे गृहस्थ जीवन की कामना।
भगवान शिव की पूजा के लिए मंदिरों में लगी महिलाओं की भीड़।
खंडवा। श्रीगणेश चतुर्थी के एक दिन पूर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाले हरतालिका तीज व्रत पर नगर के सभी मंदिरों में एवं घरों में महिलाएं व कुंवारी कन्याओं ने निर्जला रहकर भगवान शिव पार्वती एवं गणेश की पूजा अर्चना कर हरतालिका तीज का उपवास रखा। समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि बजरंग चौक स्थित मुनिबाबा मंदिर, नंद विहार कालोनी के श्री नंदेश्वर महादेव मंदिर में महिलाओं ने मंगलवार हरितालिका तीज पर बालू रेत से बनी भगवान शिव पिंडी का पूजन बिल्व पत्र, धतूरा व सुहाग की सामग्री चढ़ाकर अच्छे गृहस्थ जीवन एवं अपने पति की लंबी उम्र की कामना एवं कुंवारी कन्याओं ने अच्छे पति की कामना की भगवान भोलेनाथ से की। पूजन पश्चात महिलाओं ने मुनि बाबा मंदिर में पंडित नवीन शर्मा द्वारा महिलाओं को पूजन कराकर कथा सुनाई गई। वही श्री नंदेश्वर महादेव मंदिर में व्रत की कथा सुनी। पंडित नवीन शर्मा जी ने कथा वाचन करते हुए कहा कि मां पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हिमालय पर गंगा के तट पर अपनी बाल्यावस्था में अधोमुखी होकर घोर तप किया। इस दौरान उन्होंने अन्न, जल का सेवन नहीं करते हुए निर्जला व्रत किया। काफी समय सूखे पत्ते चबाकर काटी और फिर कई वर्षों तक उन्होंने केवल हवा पीकर ही व्यतीत किया। माता पार्वती की यह स्थिति देखकर उनके पिता अत्यंत दुखी थे। इसी दौरान एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वती जी के विवाह का प्रस्ताव लेकर मां पार्वती के पिता के पास पहुंचे, जिसे उन्होंने सहर्ष ही स्वीकार कर लिया। पिता ने जब मां पार्वती को उनके विवाह की बात बतलाई तो वह बहुत दुखी हो गई और जोर-जोर से विलाप करने लगी। फिर एक सखी के पूछने पर माता ने उसे बताया कि वह यह कठोर व्रत भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कर रही हैं जबकि उनके पिता उनका विवाह विष्णु से कराना चाहते हैं। तब सहेली की सलाह पर माता पार्वती घने वन में चली गई और वहां एक गुफा में जाकर भगवान शिव की आराधना में लीन हो गई। भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र को माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की स्तुति में लीन होकर रात्रि जागरण किया। तब माता के इस कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और इच्छानुसार उनको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। मुनिबाबा मंदिर के ट्रस्टी व समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि मान्यता है कि इस दिन जो कुंवारी कन्याएं विधि-विधानपूर्वक और पूर्ण निष्ठा से इस व्रत को करती हैं, वह अपने मन के अनुरूप पति को प्राप्त करती हैं। साथ ही यह पर्व दांपत्य जीवन में खुशी बरकरार रखने व अपने पति की लंबी उम्र की कामना के उद्देश्य से भी मनाया जाता है। इस दिन मेहंदी लगाने और झुला-झूलने की प्रथा भी है।
शहर के सभी मंदिरों में बड़ी संख्या में महिलाओं ने हरतालिका तीज की पूजा की एवम रात्रि में जागरण कर भगवान के भजनों की प्रस्तुति दी गई। सुबह आरती कर महिलाओं ने बालू से बने शिवलिंग का विसर्जन किया।