
48 दीपों से की गई भक्तामर आराधना।
रिपोर्ट सुधीर बैसवार
सनावद – नगर में विराजित युगल मुनिराज मुनि श्री विश्व सूर्य सागर जी महाराज एवं मुनि श्री साध्य सागर जी महाराज के सानिध्य में श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर में सायंकाल में 48 दीपों से भक्तामर आराधना की गई जिसमें मुनि श्री साध्य सागर जी महाराज ने प्रत्येक एक पद का भावार्थ बता कर रिद्धि मंत्र बोल कर दीपों से आराधना कराई।
सन्मति जैन काका ने बताया की मुनि श्री ने भक्तामर स्तोत्र के रचयिता हैं श्री मानतुंगाचार्य द्वारा रचित भक्तामर के प्रत्येक काव्य के महत्व को बताते हुवे कहा की भक्तामर आराधना का अत्यधिक महत्व है, यह एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान आदिनाथ की स्तुति करता है। इसका पाठ करने से कर्मों का क्षय होता है, सकारात्मकता आती है, और दुख-संकटों का निवारण होता है। यह न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक समस्याओं के समाधान में भी सहायक है. भक्तामर स्तोत्र का पाठ आत्मिक शांति की ओर ले जाता है और मोक्ष मार्ग को प्रशस्त करता है.
भक्तामर स्तोत्र का पाठ श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए, तभी इसका पूरा लाभ मिलता है. यह एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक होता है।
इस अवसर पर मुकेश जैन, सुनील मास्टर साब, जंगलेश कुमार जैन, नंदलाल जैनी, लोकेंद्र जैन, प्रशांत जैन, गौतम जैन, पवन जैन, मयंक धनोते,गवाक्षी जैन,जय श्री जैन, अंजू पाटनी, संगम जैन, मधु भूच,अलका जैन, अनीता जैन, हेमा मुंशी सहित सभी समाजजन उपस्थित थे।