
रामकृष्ण मठ, निराला नगर, लखनऊ में स्वामी रामकृष्णानन्दजी की जयंती भव्य रूप से मनाई गयी .
सुबह शंखनाद व मंगल आरती के बाद वैदिक मंत्रोच्चारण, ’नारायण सूक्तम’ का पाठ और ’जय जय रामकृष्ण भुवन मंगल’ का समूह में गायन मठ के प्रमुख स्वामी मुक्तिनाथानन्द महाराज के नेतृत्व में हुआ।
सायंकाल मुख्य मंदिर में संध्यारति के उपरांत स्वामी सारदानन्दजी द्वारा रचित ’सपार्षद-श्री रामकृष्ण स्तोत्रम’ और स्वामी रामकृष्णानन्द द्वारा रचित ‘‘श्री विवेकानन्द पंचकम्’’ का पाठ रामकृष्ण मठ, लखनऊ के स्वामी इष्टकृपानन्द द्वारा किया गया।
स्वामी रामकृष्णानन्द जी की जयंती के अवसर पर संध्याकालीन प्रवचन मे रामकृष्ण मठ लखनऊ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द ने ‘‘बारानगर मठ की माता – स्वामी रामकृष्णानन्द’’ विषय पर प्रवचन देते हुए कहा कि स्वामी रामकृष्णानंद, जिन्हें शशि महाराज के नाम से भी जाना जाता है, श्रीरामकृष्ण के प्रत्यक्ष शिष्य थे और रामकृष्ण संप्रदाय के प्रारंभिक काल में एक प्रमुख व्यक्ति थे। वे अपने गुरु के प्रति अपनी गहन भक्ति और चेन्नई (मद्रास) में रामकृष्ण मिशन की स्थापना में अपनी भूमिका के लिए जाने जाते थे। हालाँकि उन्होंने सीधे तौर पर बारानगर मठ का प्रबंधन नहीं किया, फिर भी वे इसके प्रारंभिक विकास में सहायक रहे। रामकृष्ण मिशन के अनुसार, उन्होंने बारह वर्षों तक मठ, विशेषकर रामकृष्ण को समर्पित मंदिर की सेवा में स्वयं को समर्पित कर दिया। हालाँकि वे वास्तव में मठ के माता नहीं थे, फिर भी उनकी अटूट भक्ति और सेवा के कारण, कुछ लोगों ने उन्हें स्नेहपूर्वक ‘‘माँ’’ की उपाधि दी.
रामकृष्णानन्द के व्यक्तित्व से अनेक लोग आकृष्ट होते थे। वस्तुतः यद्यपि उस समय उनकी उम्र चौंतीस वर्ष की थी, परन्तु वे पच्चीस वर्ष के युवक जैसे लगते थे। 1899ई. में स्वामी रामकृष्णानन्द ने मद्रास में पहली बार श्रीरामकृष्णदेव के जन्मोत्सव का आयोजन किया।