
गुरू जीवात्मा एवं परमात्मा के बीच का संयोग है -स्वामी मुक्तिनाथानन्द
लखनऊ. संवाददाता अमित चावला
रामकृष्ण मठ, निराला नगर, लखनऊ में गुरू पूर्णिमा उत्सव पूरे हर्ष एवं उत्साह के साथ मनाया गया।
प्रातः मंगल आरती, प्रार्थना, उदयास्त जप, यज्ञ वेदपाठ, विशेष पूजा, चण्डीपाठ स्वामी रमाधीशानन्द द्वारा किया गया। प्रातःमठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द महाराज द्वारा गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित आज के विशेष सत्प्रसंग में सच्चिदानन्द अर्थात ईश्वर ही हम सभी के गुरु है’ पर विशेष चर्चा करते हुये कहा कि :
गुरोरधिकं न गुरोरधिकम्। शिवशासनतः शिवशासनतः॥
भक्तों को व्याख्यान देते हुये मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द महाराज ने बताया कि मानव जीवन का मूल उद्देश्य परमात्मा को प्राप्त करना है, लेकिन जब तक समर्थ गुरू की प्राप्ति न हो तब तक ईश्वर लाभ होना असम्भव है। इसी कारण गुरू का ऋण कोई नही चुका सकता है। स्वामी मुक्तिनाथानन्दजी महाराज ने कहा कि दो अक्षर विशिष्ठ गुरू शब्द में ’’गु’’ अन्धकार के वाचक है एवं ’’रू’’ रोशनी के वाचक है अर्थात गुरू ज्ञान की रश्मि से हमारें अज्ञान के अन्धकार को दूर कर देता है।
स्वामी जी ने कहा कि यद्यपि अनेक माध्यम होने के कारण गुरू असंख्य है तथापि प्रत्येक गुरू एक ही परमात्मा यानि जगत गुरू के प्रतिरूप हेतु अभिन्न हैं एवं व्यास पूर्णिमा के पुनीत अवसर पर गुरू पूर्णिमा सब गुरूओं के जन्मतिथि रूप में माना जाता है।
तत्पश्चात पुष्पांजलि हुआ जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने भाग लिया उस दौरान भक्तिगीत की प्रस्तुति अनिमेष मुखर्जी ने दी तबले पर संगत सुमित मलिक ने दिया तथा भोगारति के उपरान्त उपस्थित सभी भक्तगणों को प्रसाद वितरण किया गया।