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नवकार नगर जैन मंदिर में मुनि संघ के सानिध्य मे ऋत पंचमी का पर्व धार्मिक उत्साह के साथ मनाया गया,

असफाक सिद्दीकी जिला ब्यूरो खंडवा

जीवन जीने की कला सिखाती है जिनवाणी, ,,मुनीआस्तिक्य सागर,,

 

खंडवा ।। मनुष्य के जीवन मे जिनवाणी ही एक मात्र शरणभूत है।जीवन जीने की कला जिनवाणी ही सिखाती है।जिनेन्द्र भगवान के मुख से ख़िरने वाली वाणी को जिनवाणी कहते है।श्रुत पंचमी पर्व को जिनवाणी की आराधना और उपकार के रूप में मनाया जाता है।आज हम सभी तीर्थंकर महावीर स्वामी के शासनकाल में जीवन जी रहे है। यह उदगार नवकार नगर में दिगम्बर जैनाचार्य,नवपट्टाचार्य विशुद्धसागर जी के सुयोग्य शिष्य मुनि श्री आस्तिक्य सागर जी ने श्रुत पंचमी पर्व के अवसर पर व्यक्त किये।पर्व की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए मुनि श्री ने कहा कि आज ही के दिन आचार्य भूतबलि और पुष्पदन्त स्वामी ने धरसेनाचार्य जी की आज्ञा से जैन धर्म का सबसे प्राचीन ग्रन्थ षट्खण्डागम लिपिबद्ध किया था।ग्रन्थ के पूर्ण होने पर अंकलेश्वर के महाराजा ने नगरी को सजवाया और ग्रँथराज को गजरथ में विराजमान कर नगर भ्रमण कराया।श्रावको द्वारा महोत्सवपूर्वक जिनवाणी की पूजन की।ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का यह दिन जैन जगत में प्रसिद्ध हुआ और इसी दिन से श्रुतपंचमी पर्व भी प्रारम्भ हुआ।

संघस्थ मुनि श्री विनियोग सागर जी ने कहा कि इस दिन प्रत्येक जैन श्रावक को मंदिरों,जिनालयों और स्वाध्याय कक्षों में रखी हुई जिनवाणी,शास्त्रों और गर्न्थो की साज संभाल करना चाहिये।परन्तु सिर्फ झाड़ पोंछकर या धूप दिखाकर पुनः अलमारी में रख देना ही श्रेष्ठ नहीं है।शास्त्र के अध्ययन अध्यापन के द्वारा संसार के सामने

लाना,स्वाध्याय,संयम तप को प्रसारित करना भी श्रेष्ठ वैयावृत्ती है। समाज के सचिव सुनील जैन ने बताया ने बताया कि इस अवसर पर मुनि संघ के सनिध्य में नवकार नगर में जिनवाणी शोभयात्रा निकाली गयी।जिसमे रजतमयी पालकी में श्रुत स्कंध यंत्र एवम षट्खण्डागम ग्रन्थ को विराजमान कर भ्रमण कराया गया। शुद्ध धोती दुपट्टे पहने श्रावको ने अपने कंधों पर पालकी उठाकर अपने सौभाग्य में वृद्धि की।शोभायात्रा के बाद जिनालय में जिनेंद्र भगवान एवं श्रुत स्कंध यंत्र का जलाभिषेक एवम शांतिधारा की गयी।इसके साथ हीआर्यिका पूर्णमति द्वारा रचित श्रुत स्कंध विधान की पूजन की गयी।मुख्य विधानकर्ता सुधा जी सुभाष जी सेठी परिवार रहे।शांतिधारा का अवसर कैलाश पहाड़िया,संजय जैन,सचिन गदिया,सुभाष पाटनी को मिला।मुनि संघ के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य रेखा महेश जी जैन को मिला एवम शास्त्र भेंट चंचल जी छाबड़ा परिवार ने किया।

मुनी सेवा समिति के प्रचार मंत्री सुनील जैन, प्रेमांशु चौधरी ने बताया कि मुनि श्री ससंघ गत एक सप्ताह से नवकार नगर स्थित मुनिसुव्रतनाथ जैन मंदिर संत निवास में विराजमान होकर धर्म प्रभावना कर रहे हैं।इंदौर के सुमतिधाम में सम्पन्न पट्टाचार्य महोत्सव में शामिल होने के बाद मुनि संघ का विहार महाराष्ट्र की ओर चल रहा है।12 दिवसीय ग्रीष्मकालीन वाचना के लिये मुनि संघ खण्डवा में विराजमान है।वर्ष 2025 का वर्षायोग मुनि ससंघ जलगांव महाराष्ट्र में पूर्ण करेंगे।

मुनिसुव्रतनाथ जैन मंदिर के अध्यक्ष पंकज छाबड़ा ने बताया की प्रतिदिन प्रातः 8:30 बजे से मुनि संघ के मंगल प्रवचन हो रहे है।दोपहर में छहढाला की कक्षा एवम शाम को प्रतिक्रमण,सामायिक, शंका समाधान,गुरु भक्ति एवम आरती का कार्यक्रम हो रहा है।रात्रि में भक्त जन मुनि संघ की वैयावृत्ती कर धर्म लाभ ले रहे है।

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