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शाजापुर में महाराणा प्रताप जयंती पर राजपूत सरदारों भव्य चल समारोह निकाला 

29 मई 2025

ब्यूरो किशोर सिंह राजपूत शाजापुर

शाजापुर में महाराणा प्रताप की जयंती पर एक भव्य चल समारोह निकाला गया, जिसमें बड़ी संख्या में समाज के लोग शामिल हुए. यह चल समारोह राजपूत छात्रावास से शुरू हुआ और महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ आगे बढ़ा. शहर के प्रमुख मार्गों जैसे महुपुरा, सोमवारिया, नई सड़क और बस स्टैंड से होते हुए, यह चल समारोह गांधी हॉल पर समाप्त हुआ. यहां उपस्थित सभी राजपूत सरदारों ने महाराणा प्रताप के चित्रों पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की.

इस कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्तियों और समाज के वरिष्ठ सदस्यों ने शिरकत की. इनमें पूर्व विधायक जसवंत सिंह हाड़ा, करणी सेना परिवार के प्रदेश सचिव अजीत सिंह डोडिया, समाजसेवी गजेंद्र सिंह सिकरवार, भाजपा जिला उपाध्यक्ष प्रताप सिंह गोहिल, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष नारेश्वर प्रताप सिंह, और किरण सिंह ठाकुर जैसे प्रमुख लोग शामिल थे. समाज के अनेक वरिष्ठ लोग भी इस अवसर पर मौजूद रहे, जिन्होंने महाराणा प्रताप के शौर्य और बलिदान को याद किया.

सामाजिक सुधार का आग्रह: टीक और विवाह में खर्च कम करने की अपील

इस अवसर पर, करणी सेना परिवार के प्रदेश सचिव अजीत सिंह डोडिया ने समाज से एक महत्वपूर्ण आग्रह किया. उन्होंने चिंता व्यक्त की कि समाज में शादी से पहले टीका (टीका दस्तूर) का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है, जिससे अनावश्यक खर्च में वृद्धि हो रही है. डोडिया ने समाजजनों से अपील की कि वे इस दिशा में आगे आएं और टीका में होने वाले खर्च को कम करने का प्रयास करें. इसके साथ ही, उन्होंने शादी-विवाह में भी होने वाले खर्च को कम करने पर जोर दिया, ताकि समाज के लोगों पर आर्थिक बोझ कम हो सके और वे बिना किसी अनावश्यक दबाव के सामाजिक आयोजनों को संपन्न कर सकें.

यह आग्रह समाज में व्याप्त कुछ कुरीतियों और अनावश्यक खर्चों को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है. महाराणा प्रताप की जयंती जैसे पावन अवसर पर सामाजिक सुधार का यह संदेश देना इस कार्यक्रम को और भी सार्थक बनाता है. यह दर्शाता है कि समाज के नेता केवल परंपराओं का निर्वहन ही नहीं कर रहे, बल्कि सामाजिक उत्थान और आर्थिकS सुदृढ़ता के लिए भी प्रयासरत हैं. इस प्रकार, शाजापुर में महाराणा प्रताप की जयंती का यह आयोजन केवल एक श्रद्धांजलि समारोह नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और सुधार का भी प्रतीक बन गया.

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