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मेरा व्यवहार आप के व्यवहार पर निर्भर करता है –मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज

रिपोर्ट सुधीर बैसवार 

सनावद:-, त्याग ओर वैराग्य के लिए जाने वाले नगर में साधुओं का निरन्तर आना चालू हे इसी क्रम में चर्या शिरोमणि पट्टाचार्य 108 श्री विशुद्धसागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री 108 प्रशमसागर जी महाराज मुनिश्री 108 सुप्रभसागर जी महाराज मुनिश्री 108 प्रणतसागर जी महाराज एवं क्षुल्लक 105 श्री विप्रज्ञसागर जी महाराज ससंघ का मंगल प्रवेश बुधवार शाम को हुआ सभी समाजजनों ने ओम्कारेश्वर रोड पर रेल्वे गेट पर पहुंच कर मुनि संघ की आगवानी की।

सन्मति जेन काका ने बताया की इसी क्रम में गुरुवार को प्रात मुनि संघ के सानिध्य में पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर में सामूहिक श्रीजी का अभिषेक किया गया तत्पश्चात आचार्य शान्ति सागर वर्धमान देशना संत भवन में धर्म सभा का शुभारंभ सर्वप्रथम महिमा जैन के मंगला चरण से हुई तत्पश्चात मुनि श्री प्रशम सागरजी महाराज को शास्त्र भेंट करने का शौभाग्य हीरामणी भूच एवम मीना जटाले को प्राप्त हुआ।इसी क्रम में सर्वप्रथम मुनि श्री शुप्रभ सागर जी महाराज ने अपने वाणी का रसपान करवाते हुवे कहा की संसार में अनंत जीव है ओंर ऊन अनंत जीवो के भले के लिए तीरियंच गति में हो नरग गति में हो प्रत्येक जीव की तलाश कही न कहीं सूख प्राप्त करता है। नरक में दुख भोगने वाला नार्की जीव भी भले ही दुःख भोग रहा हे पर इसकी भावना भी समझे तो वो भी दुखों से बचना चाहता है। हर जीव इस संसार में दुखो से बचना चाहता है कहीं न कहीं शुख़ को प्राप्त करना चाहता है।”मेरा व्यवहार आप कें व्यवहार पर निर्भर करता है”। यह वाक्य हम सभी को की हमारे जीवन में ओतार ना जरूरी हे। चाहे कर्म  सिद्धांत हो, वस्तु व्यवस्था हो,चाहिए आज के मनुष्य के परिणीती हो अगर हम सामाने वाले से अच्छा चाहते है ,तो हमें भी तो अच्छा बर्ताव करना पड़ेगा। इस लिए हमें ये वाक्य को आपने जीवन में बार बार दोहराना पड़ेगा की मेरा व्यवहार आप के व्यवहार पर निर्भर करता है। आज भी कहीं गाव कहीं शहर कई प्रांत ऐसे हे जहां निर्ग्रंथ साधु के चरण रज पाने के लिए तरस गए हे हमे कितने सहजता से निर्ग्रंथ साधुओं का पीच्छी कमंडल धारी साधुओं का समागम मिल रहा हमे जो मिल रहा है हमे उसे समझ कर इसको प्राप्त कर के अपने आप को अपने जीवन को बदलने कां प्रयास करे। क्योंकि आप का व्यवहार सामने वाले का व्यवहारअपने आप बदलेगा।   

इसी क्रम में मुनि श्री प्रशम सागर जी महाराज ने अपनी वाणी रसपान करवाते हुवे कहा की वस्तु अपने स्वभाव को नहीं छोड़ती। यदि वस्तु अपने स्वभाव को छोड़ दे तो कभी अशुद्ध ना होती।वस्तु स्वरूप को जिसने समझ लिया वों हर हाल में आनंदित रहता हे पर जिसने वस्तु स्वरूप को नहीं समझा वे स्वर्ग में भी दुःखी रहता हे। सत्य को जब तक समझ नहीं आता जब तक सत्य परमात्मा निर्दोष परमात्मा की शरण को ग्रहण करेगा।

नगर में  मुनि संघ की आहार चर्या संपन्न हुई जिसका शौभाग्य कैलाशचंद जटाले परिवार, अविनाश कुमार पारस कुमार पंचोलिया परिवार, सलीत कुमार प्रफुल्ल कुमार परिवार एवम राजेंद्र जैन महावीर परिवार को प्राप्त हुआ। 

इसी क्रम में शाम को मुनि संघ का विहार सुलगाव की ओर हुआ।इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित थे।

Sudhir Baiswar

सुधीर बैसवार भारत संवाद न्यूज़ के सनावद तहसील के संवाददाता हैं. सुधीर बैसवार वर्तमान में भारत संवाद न्यूज़ ग्रुप के टीवी,वेब सहित भारत संवाद न्यूज़ समूह के सभी प्लेटफॉर्म्स के लिए योगदान दे रहे हैं.

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