
श्री रामकृष्ण के पदचिन्हों पर चल रहा रामकृष्ण मिशन- स्वामी मुक्तिनाथानन्द
लखनऊ संवाददाता अमित चावला
आज 01 मई को रामकृष्ण मिशन का 127वाँ स्थापना दिवस बडे ही हर्षोल्लास के साथ रामकृष्ण मठ, निराला नगर, लखनऊ के श्री रामकृष्ण मन्दिर के प्रेक्षागृह में मनाया गया। कार्यक्रम की शुरूआत रामकृष्ण मिशन मठ लखनऊ के स्वामी इष्टकृपानन्द जी के नेतृत्व में वैदिक मन्त्रोंचारण के साथ मंच पर उपस्थित गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन करके हुआ।
रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के प्रबन्धक समिति के अध्यक्ष अमोद गुजराज ने समारोह में आये हुये भक्तगणों, संन्यासियों एवं अतिथियों का स्वागत किया।
रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम, लखनऊ के स्वामी रमाधीशानन्द ने इस घटना के इतिहास व स्वामी विवेकानन्द के ‘वाणी व रचना’ से पाठ किया।
रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम, लखनऊ के सचिव, स्वामी मुक्तिनाथानन्द महाराज ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन देते हुए कहा कि रामकृष्ण मिशन एक ऐसा अनूठा संगठन है जो गृहस्थ भक्तों एवं सन्यासियों की मिलन क्षेत्र है ताकि सब मिलकर साथ-साथ ईश्वर की उपासना तथा मनुष्यों की सेवा कर सके। श्रीरामकृष्ण एक ही साथ एक आर्दश गृहस्थ तथा आर्दश सन्यासी थे। रामकृष्ण संघ उन्हीं का एक विराट शरीर है। अतः यह संगठन भी अनुरूप है।रामकृष्ण मिशन लखनऊ के सचिव स्वामी मुक्तिनाथा नंद ने बताया श्री रामकृष्ण के पदचिन्हों व स्वामी विवेकानन्द के आदर्शों पर रामकृष्ण मिशन चल रहा है
रामकृष्ण मिशन एसोसिएशन ने अपनी यात्रा की सौम्य शुरूआत की और 127 वर्षों के गरीमामयी यात्रा के दौरान अब एक बृहद परोपकारी संगठन के रूप में विश्व मानचित्र के पटल पर में फैला चुका है जिसका मुख्यालय भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के हावड़ा जनपद के अन्तर्गत बेलूर मठ में स्थापित है। रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के दुनिया भर में 208 केंद्र हैं। भारत में 157, बांग्लादेश में 15, अमेरिका में 14, रूस और दक्षिण अफ्रीका में 2-2, तथा अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, फिजी, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, जापान, मलेशिया, मॉरीशस, नेपाल, नीदरलैंड, सिंगापुर, श्रीलंका, स्विट्जरलैंड, यूके और जाम्बिया में एक-एक केन्द्र है। विभिन्न केंद्रों के अंतर्गत 41 उप-केंद्र (भारत में 18, भारत के बाहर 23) हैं।
रामकृष्ण मिशन का ध्येय वाक्य है – ‘आत्मनो मोक्षार्थं जगद् हिताय च’ (अपने मोक्ष और संसार के हित के लिये)। रामकृष्ण मिशन को भारत सरकार द्वारा 1996 में डॉ0 आम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार से और 1998 में गाँधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
कार्यक्रम का समापन में लखनऊ के डा0 बीजू भगवती द्वारा ‘‘वैदिक संज्ञानसूक्तम’’ की मधुर गीत से हुई जिससे उपस्थित भक्त मंत्रमुग्ध हो गये। तत्पश्चात प्रसाद का वितरण उपस्थित भक्तगणों के मध्य किया गया।