
बलिया। साल 2025 शायद बेल्थरा रोड शहर के लिए किसी बुरे सदमे से कम साबित नहीं हो रहा है साल की शुरुआत के पहले दिन मनीष और धनजी नामक युवकों की मौत से ही शुरू हुआ सड़क हादसों में मौत का सिलसिला अमन जायसवाल, और पांच दिन पहले मो० आरिब इराक़ी तक बदस्तूर जारी है खास तौर पर शहर के किशोर और नौजवानों की लगातार हो रही मौतों से शहर के लोग बुरी तरह से दहल उठे हैं
ताज़ा मामला सोमवार 08 सिंबर की देर शाम बेल्थरा- नगरा मार्ग पर अवायां गांव के पास हुआ जहां दो बाइकों की भयंकर टक्कर में एक युवक ने मौके पर ही दम तोड़ दिया जबकि दूसरा बुरी तरह घायल होकर अस्पताल में भर्ती है

शहर बेल्थरा रोड के वार्ड नंबर 6 निवासी भोलू गुप्ता (32) पुत्र वकील गुप्ता अपनी मोटरसाइकिल से बेल्थरा रोड से नगरा की तरफ किसी काम से जा रहे थे जबकि सामने से इमिलिया गांव निवासी महेंद्र राजभर (20) अपनी बाइक से बेल्थरा रोड की और आ रहे थे, दोनों बाइकों की रफ्तार काफी तेज थी इसी दौरान अवायां गांव के पास दोनों बाइकों की जबरदस्त टक्कर हो गई, दुर्घटना में भोलू गुप्ता का सर सड़क पर के किनारे पड़ी हुई गिट्टियों से टकराया सर की गंभीर चोट के कारण भोलू गुप्ता ने मौके पर ही दम तोड़ दिया जबकि महेंद्र राजभर को घायल हालत में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेल्थरा रोड पर लाया गया जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया उनके पैर में गंभीर चोट और हड्डी का टूटना बताया जा रहा है वहीं भोलू गुप्ता को एम्बुलेंस के जरिए सीएचसी बेल्थरा रोड पर लाया गया जहां डॉक्टर ने चेकअप के बाद उनको मृत घोषित कर दिया।
अगर हेलमेट होता तो बच सकती थी जान
मौके पर मौजूद प्रत्यक्ष दर्शियों का कहना था कि अगर भोलू गुप्ता ने हेलमेट लगाया होता तो अधिक संभावना थी कि उनकी जान बच गई होती क्योंकि सर की गंभीर चोट के कारण ही उनकी जान गई है
मृतक भोलू गुप्ता अपने चार भाई बहनों में सबसे छोटे थे, और बेल्थरा बस स्टेशन के पास एगरोल व फास्ट फूड की दुकान चला कर परिवार की ज़िम्मेदारी उठाते थे
खबर लिखे जाने तक भोलू गुप्ता के परिजन एवं पुलिस अस्पताल पर पहुंच चुकी थी और आगे की कार्रवाई जारी थी।
पर ऐसे हादसों से हम सबके ऊपर क्या सवाल नहीं उठता? या हम सिर्फ प्रशासन और पुलिस से शिकायत करते रहेंगे?
क्या सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करना हेलमेट लगाना रफ्तार को नियंत्रण में करना यह हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती?
आज अगर बाइकों की रफ्तार नियंत्रण में रही होती या हेलमेट लगा होता तो शायद किसी घर का चिराग बुझने से बच नही सकता था?