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कथा का सुनना तभी सार्थक होगा। जब उसके बताए हुए मार्ग पर चलकर परमार्थ कार्य करें पंडित शुभम् शर्मा

रिपोर्ट सुधीर बैसवार 

सनावद/ जब-जब भी धरती पर आसुरी शक्ति हावी हुईं, परमात्मा ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की। मथुरा में राजा कंस के अत्याचारों से व्यथित होकर धरती की करुण पुकार सुनकर नारायण ने कृष्ण रुप में देवकी के अष्टम पुत्र के रूप में जन्म लिया और धर्म और प्रजा की रक्षा कर कंस का अंत किया। यह बात ग्राम फंनगाव में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण जन्म का प्रसंग सुनाते हुए पंडित शुभम् शर्मा ने श्रद्धालुओं के बीच कही। व्यास पीठ से पंडित शर्मा ने भागवत के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करते हुए चौथे दिवस भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा का वर्णन किया। इसके पूर्व कहा कि जीवन में भागवत कथा सुनने का सौभाग्य मिलना बड़ा दुर्लभ है। जब भी हमें यह सुअवसर मिले, इसका सदुपयोग करना चाहिए। कथा सुनते हुए उसी के अनुसार कार्य करें। कथा का सुनन तभी सार्थक होगा। जब उसके बताए हुए मार्ग पर चलकर परमार्थ का काम करें।उन्होंने रामकथा का संक्षिप्त में वर्णन करते हुए कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने धरती को राक्षसों से मुक्त करने के लिए अवतार धारण किया। कथा में कृष्ण जन्म का वर्णन होने पर समूचा पांडाल खुशी से झूम उठा। मौजूद श्रद्धालु भगवान कृष्ण के जेजेकार के साथ झूमकर कृष्ण जन्म की खुशियां मनाई। पंडित शर्मा ने कहा कि कलयुग में भागवत की कथा सुनने मात्र से हर प्राणी को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी जन्मों के पापों का नाश होता है। राम जन्म एवं कृष्ण जन्म व बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की महत्ता पर प्रकाश डाला। यह भी बताया कि 24 लाख की योनियों में भटकने के पश्चात मानव शरीर की प्राप्ति होती है। जब-जब अत्याचार और अन्याय बढ़ता है तब तक प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब रावण का अत्याचार बढ़ा तब राम का जन्म हुआ । जब कंस ने सारी मर्यादाऐं तोड़ी तो प्रभु श्री कृष्ण का जन्म हुआ। कथावाचक ने कहा कि भागवत कथा एक ऐसी कथा है जिसे ग्रहण करने मात्र से ही मन को शांति मिलती है। भागवत कथा सुनने से अहंकार का नाश होता है।उन्होंने आगे कहा कोई धर्म का या श्रेष्ठ कार्य करे तो टांग नहीं अड़ाना चाहिए।बहु को सास ससुर की सेवा करना चाहिए सास ससुर भी बहु को बेटी की तरह माने सभी श्रद्धालु माता पिता की खूब सेवा करे। सनातन संस्कृति का बीजारोपण नूतन पीढ़ी में अवश्य करें।कथा सुनने आसपास के 10 गांव से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। अंत में आरती के साथ माखन मिश्री के पारंपरिक प्रसादी का वितरण हुआ।

अवसर पर विधायक सचिन बिरला ने व्यास पीढ़ पूजन कर कथा वक्ता का शाल श्रीफल पुष्पमाला से सम्मान किया गया अवसर पर भगीरथ बिरला, धनालाल अनोकचंद्र सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन उपस्थित थे।

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