
गौमाता में सभी देवताओं का वास :- आचार्य श्रीअवस्थी
छतरपुर, गौमाता में सभी देवताओं का वास है गौसेवा से बड़ी कोई सेवा नही है उक्त विचार सोमबार को आचार्य धर्मेंद्र अवस्थी ने महागणेश पुराण कथायज्ञ में व्यक्त किए।
शहर के सागर रोड स्थित महागणेश मंदिर में गणेशोत्सव के दौरान आयोजित महागणेशपुराण कथा के बिभिन्न प्रसंगों का वर्णन करते हुए आचार्य धर्मेंद्र अवस्थी ने कहा कि गौमाता की सेवा मात्र से सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है ।उन्होने भगवान गणेश को हाथी का सिर क्यों लगाया गया , भगवान गणेश का नाम एकदंत क्यों पड़ा आदि कथा प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया ।भगवान गणेश कैसे माता लक्ष्मी के पुत्र कैसे वने इस कथा की व्याख्या की। आचार्य श्री ने कहा पुत्र चार प्रकार के होते है एक आत्मज पुत्र जो मातापिता से उत्पन्न होता है, दूसरा दत्तक पुत्र जिसे गोद लिया जाता है, तीसरा नाद पुत्र जो गुरु अपने शिष्य के कान में मंत्र फूंककर बनाता है, चौथा क्षेत्र पुत्र जो राजा की प्रजा होती है उन्होंने कहा कि इन चारों पुत्रों को मुखाग्नि देने का अधिकार है।उन्होंने श्रद्धालुओं की जिज्ञासा को शांत करते हुए कहा कि भगवान गणेश माता लक्ष्मी के दत्तक पुत्र थे इसलिए दीपावली पर माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा होती है।आचार्य श्री अवस्थी ने भगवान औऱ भक्त के बीच संबंधों को लेकर बिभिन्न व्रतान्तो के माध्यम से वताया अवस्थी श्री ने कहा कि वास्तविक भक्त नाम के चक्कर मे नही पड़ते बह तो प्रभु की सेवा औऱ काम मे मगन रहते है ।
महाराज श्री ने महागणेशमन्दिर के महंत धीरेन्द्र दास औऱ उनकी समिति के सदस्यों की प्रसंसा करते हुए कहा कि ये सभी भक्त भी नाम से बचते है। कथा के अंत मे आचार्य श्री ने महागणेश मंदिर की महिला मंडल का सम्मान किया ।रविवार की शाम कथा के उपरांत भगवान गणेश को छप्पनभोग का प्रसाद लगाया गया बही राधाष्टमी के अवसर पर महिलाओं ने आयोजन स्थल को ब्रजमंडल में तब्दील कर दिया।