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भारतीय सेना के अधिकारी बने- आभाष रहांगडाले: IIT पैकेज ठुकराकर चुनी देशसेवा की राह

सुशील चौहान

सुशील चौहन सिवनी / सिवनी जिले का नाम आज गर्व से गूंज रहा है। जिले के युवा आभाष रहांगडाले ने सातवें प्रयास में भारतीय सेना में अधिकारी (लेफ्टिनेंट) बनकर असाधारण उपलब्धि हासिल की है। 6 सितम्बर को ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकैडमी (OTA), गया से कठोर सैन्य प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें भारतीय सेना में राजपत्रित अधिकारी के रूप में कमीशन प्राप्त हुआ। यह सफलता न सिर्फ उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे जिले के लिए सम्मान का विषय है।

🔹शिक्षा से सेवा तक का सफर

आभाष ने अपनी स्नातक की पढ़ाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT), भोपाल से की। इसके बाद GATE परीक्षा में 291वीं रैंक प्राप्त कर IIT खड़गपुर में M.Tech में प्रवेश लिया। यहां उन्हें ₹16 लाख वार्षिक का पैकेज भी ऑफर हुआ, मगर उनका मन कॉर्पोरेट करियर में नहीं, बल्कि देश सेवा की वर्दी में था। उन्होंने आराम और सुविधाओं से भरे जीवन को ठुकराकर भारतीय सेना का कठिन रास्ता चुना।

🔹6 बार असफलता, सातवें प्रयास में जीत

आर्मी में अधिकारी बनने की राह आसान नहीं थी। आभाष को लगातार छह बार असफलता मिली, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। सातवें प्रयास में आखिरकार उनका चयन हुआ और उन्होंने यह साबित कर दिया कि सच्चा जुनून और दृढ़ निश्चय किसी भी बाधा को पार कर सकता है।

🔹शिक्षक माता-पिता से मिले संस्कार

आभाष के पिता श्री दिकपाल सिंह रहांगडाले और माता श्रीमती रेवंता रहांगडाले, दोनों ही शिक्षक हैं। घर में मिले संस्कारों ने ही उन्हें सिखाया कि सफलता का मापदंड पैसे या पद नहीं, बल्कि समाज और देश के लिए किया गया योगदान है। इन्हीं मूल्यों ने आभाष को असली योद्धा बनाया।

🔹कलेक्टर सुश्री जैन से आत्मीय भेंट

भारतीय सेना में अधिकारी बनने के बाद बुधवार 10 सितम्बर को आभाष ने कलेक्टर सुश्री संस्कृति जैन से आत्मीय भेंट की।कलेक्टर सुश्री ने उन्हें सफलता की हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि उनकी यह उपलब्धि पूरे जिले के लिए गर्व का विषय है। उनका संघर्ष और लगन युवाओं को प्रेरित करने वाला है।भेंट के दौरान कलेक्टर सुश्री जैन ने उन्हें जिले की शासकीय प्राथमिक शालाओं में जनसहयोग से डेस्क उपलब्ध कराने हेतु चलाई जा रही “गिफ्ट अ डेस्क” मुहिम की जानकारी दी।
इस पर आभाष ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा—यह केवल एक डेस्क दान करने का कार्य नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को मजबूत करने का प्रयास है। शिक्षा की नींव तभी मजबूत होगी जब बच्चों को बुनियादी सुविधाएँ मिलें। उन्होंने जिले के सभी नागरिकों से आग्रह किया कि इस मुहिम में सक्रिय भागीदारी करें और विद्यालयों की सुविधाओं को बेहतर बनाने में योगदान दें। जब समाज मिलकर शिक्षा में निवेश करता है, तभी सच्चा विकास संभव होता है।

🔹युवाओं के लिए संदेश
लेफ्टिनेंट आभाष रहांगडाले ने युवाओं से कहा—
“मैंने IIT, NIT और कॉर्पोरेट करियर को नज़दीक से देखा है, लेकिन आत्मा की तृप्ति सिर्फ वर्दी पहनकर देश की सेवा करने में है। असफलताएँ मुझे बार-बार गिराने आईं, लेकिन मेरा जुनून हर बार मुझे खड़ा करता गया। अगर आपके सपनों में देश है, तो हार का डर मन से निकाल दो। सफलता देर से मिलेगी, लेकिन जब मिलेगी तो वह पूरे समाज की होगी।”

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