
रिपोर्ट-ब्रजेश पोरवाल
भरथना। श्रावण मास के अंतिम सोमवार को भरथना क्षेत्र के शिव मंदिरों में अलसुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। जयघोष, घंटों-घड़ियालों और भक्ति संगीत के बीच वातावरण पूरी तरह शिवमय नजर आया। लोगों ने श्रद्धा, आस्था और विश्वास के साथ भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर सुख-शांति और मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना की।
क्षेत्र के प्रमुख शिवालयों में से गांव रामायन स्थित प्राचीन श्री गंगाधर विश्वनाथ मंदिर में तड़के से ही भक्तों की लंबी कतारें देखी गईं। मंदिर परिसर हर-हर महादेव के उद्घोष और भक्ति गीतों से गूंजता रहा। वहीं बिधूना रोड स्थित छोला मंदिर पर कस्वे के समाजसेवी आविद खान ने शिव मंदिर में जाकर हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की। गांव सराय चौरी के प्राचीन शिव मंदिर, मिडिल स्कूल भरथना परिसर स्थित नर्मदेश्वर महादेव मंदिर, और होमगंज शिवालय में भी भक्तों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। भक्तों ने विधिपूर्वक जल, बेलपत्र, धतूरा, आक और पुष्प अर्पित कर पूजन-अर्चन किया। श्रद्धालु दूर-दूर से जल कलश लेकर यहां पहुंचे और गंगाजल से महादेव का अभिषेक किया।
श्रृंगीरामपुर से पैदल चलकर आए कांवड़िए, गंगाजल लेकर भरथना के विभिन्न शिवालयों में पहुंचे और जला अभिषेक किया। डमरू, नगाड़ों और DJ पर बजते शिव भक्ति गीतों के बीच शिवालयों का वातावरण पूरी तरह से भक्तिमय रहा। कांवड़ियों की टोली के साथ चल रहे भक्त ‘बोल बम’ और ‘हर हर महादेव’ के जयघोष कर रहे थे।
शिवभक्तों का मानना है कि सावन सोमवार को की गई पूजा-अर्चना से मानव जीवन में अलौकिक दिव्यता और ऊर्जा का संचार होता है, और भगवान शिव हर कष्ट का निवारण करते हैं।भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद रहा। सुबह से लेकर देर रात तक क्षेत्र के सभी प्रमुख शिव मंदिरों में श्रद्धालु दर्शन को आते रहे। शिवभक्तों की आस्था, भक्ति और उमंग ने सावन के अंतिम सोमवार को ऐतिहासिक और विशेष बना दिया।
*वरिष्ठ पत्रकार अरुण दुबे* ने कहा कि “सावन मास शिव भक्ति, साधना और संयम का प्रतीक है। भरथना क्षेत्र के शिव मंदिरों में उमड़ी आस्था यह सिद्ध करती है कि आज भी हमारी परंपराएं और सांस्कृतिक जड़ें मजबूत हैं। भक्तों की श्रद्धा और अनुशासन ने इस धार्मिक पर्व को और भी गरिमामय बना दिया है।”
*आचार्य पंडित अनिल दीक्षित* ने सावन की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि “सावन सोमवार को भगवान शिव की पूजा से समस्त कष्टों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति व समृद्धि का वास होता है। इस विशेष माह में जलाभिषेक और मंत्रोच्चार के माध्यम से आत्मिक शुद्धि भी होती है। इस बार का अंतिम सोमवार पूर्ण भक्ति भाव और विधिविधान से संपन्न हुआ।”
*पत्रकार ब्रजेश पोरवाल* ने कहा कि “जिस तरह से भरथना क्षेत्र के शिवालयों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की कतारें लगी रहीं, वह दर्शाता है कि आमजन की शिवभक्ति में कितनी गहराई है। डमरू, नगाड़े, भक्ति गीत और हर हर महादेव के जयघोषों से पूरा क्षेत्र शिवमय नजर आया। यह सिर्फ धार्मिक पर्व नहीं, सामाजिक एकजुटता का उत्सव भी बन गया है।”
*अधिवक्ता कृष्ण हरी दुबे* ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि “सावन का महीना साधना, सेवा और समर्पण का प्रतीक है। आज के युवाओं और कांवड़ियों में जो उत्साह दिखा, वह आने वाäली पीढ़ी में आध्यात्मिक चेतना के प्रति जागरूकता का संकेत है। मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालु भीड़ ने यह सिद्ध कर दिया कि हमारी सनातन संस्कृति आज भी जीवंत और प्रेरणादायी है।”