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लोक सांस्कृतिक पर्व भुजरिया बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया

पुरुषों ने डांडिया खेल कर निकाली भुजरिया माता की भव्य यात्रा

रिपोर्ट सुधीर बैसवार

सनावद/ प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी भुजरिया पर्व प्रजापति समाज सोनकर समाज लोधी समाज और कुशवाहा समाज द्वारा बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया।

 हुकुमचंद कटारिया ने बताया कि भुजरिया पर्व आदिकाल से ही आल्हा ऊदल के समय से ही हमारे पूर्वज मनाते आ रहे हैं और इसी परंपरा को हम भी वर्षों से निरंतर मनाते आ रहे हैं

भुजरिया पर्व की शुरुआत सावन माह से ही शुरू हो जाती है शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन माता के जवारे बोए जाते हैं

 9 दिन माता के जावरों की बड़ी सेवा की जाती है दसवे दिन भादो मास की कृष्ण पक्ष की पड़वा के दिन माता की जवारे की पूजा अर्चना करके माता के जवारों को अपने-अपने घरों से निकाल कर भजन कीर्तन डंडा पार्टी के साथ प्रमुख मार्गों से होते हुए माता के जवारे बाकडू नदी में बड़ी ही नम आंखों से माता का विसर्जन कर अपने-अपने घरों पर जाकर माता के जवारे लेकर अपने बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त कर युवा एक दूसरे से गले मिलकर हर्ष व्यतीत करते हैं 

 इस अवसर पर प्रजापति , लोधी, सोनकर और कुशवाहा समाज के समाजबंधु सैकड़ों की संख्या मे उपस्थित रहे।

थाना प्रभारी रामेश्वर ठाकुर भी पुलिस बल और कोटवार के साथ यात्रा व्यवस्था को संभाले हुऐ थे

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