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फोर लेन मुआवज़े में पटवारी का षड्यंत्र उजागर

किसानों ने दी दर्जनों शिकायतें, प्रशासन की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

*प्रशांत जैन बड़ा मलहरा*

बड़ामलहरा,फोर लेन परियोजना के मुआवज़े में जहाँ एक ओर किसान औने-पौने दाम पर अपनी ज़मीन के मुआवज़े को लेकर वर्षों से भटक रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गृह तहसील बड़ामलहरा में पदस्थ विवादित पटवारी होशियार सिंह पर गंभीर आरोप लगे हैं। जनसुनवाई में किसानों ने एक दर्जन से अधिक लिखित शिकायतें कलेक्टर पार्थ जैसवाल को साक्ष्यों सहित सौंपीं, जिनसे यह साफ होता है कि पटवारी ने न सिर्फ नियमों को ताक पर रखा बल्कि करोड़ों का अनुचित लाभ भी उठा लिया।

*किसानों का आरोप – 2016-17 के डायवर्जन न मान्य, पटवारी ने खुद कराया व्यावसायिक डायवर्जन-*

मौली हल्का,रकबा नंबर 327/2 भू हितग्राही सोमलता जैन के 2013 में हुए डायवर्सन सहित अन्य किसानों का कहना है कि वर्ष 2016-17 के डायवर्जन आदेशों को प्रशासन ने मान्य नहीं किया,जबकि पटवारी ने वर्ष 2021 में प्रस्तावित फोर लेन पर रोक के बावजूद अपनी माता सोना देवी के नाम कृषि भूमि खरीदी और उस पर ढाबा निर्माण कराकर व्यावसायिक डायवर्जन भी करा लिया। इसके एवज में उसे लगभग 36 लाख रुपये का मुआवज़ा मिला, जबकि किसान अपने हक के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं।

*नोटिस भी निष्प्रभावी, अवैध निर्माण को मिला संरक्षण-*

जानकारी के अनुसार, नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट अधिकारियों ने निरीक्षण कर निर्माण को अवैध बताया था और एसडीओ राजस्व ने वर्ष भर पहले पटवारी सहित अन्य चार लोगों को तीन दिन में निर्माण हटाने का नोटिस दिया था। मगर कार्रवाई न होकर उल्टे इस अवैध निर्माण का मुआवज़ा जारी कर दिया गया। किसानों का आरोप है कि यह राजस्व और एनएचएआई अधिकारियों की मिलीभगत से संभव हुआ है।

*रजिस्ट्री पर भी सवाल-*

सूत्र बताते हैं कि पटवारी ने खसरा नंबर 1/1 शा.नं. 2, 14/1 शा.नं. 15 कुल रकबा 0.846 हैक्टेयर भूमि की रजिस्ट्री 17 मई 2024 को आदिवासी विक्रेता इमरत सौर पिता प्रभु सौर से कराई। जबकि यह पूरी ज़मीन पहले से प्रस्तावित फोर लेन की अधिसूचना में शामिल थी और शासन ने ऐसी भूमि के क्रय-विक्रय, नामांतरण और निर्माण पर रोक लगा रखी थी। बावजूद इसके पटवारी ने सारे नियम तोड़कर रजिस्ट्री करा ली।

*किसानों के सवाल कानून सिर्फ आम जनता के लिए-*

किसानों का कहना है कि जब आम लोगों ने शासन की रोक के चलते कोई निर्माण नहीं कराया, तो नियमों का पालन करवाने वाला अधिकारी ही कानून तोड़ने में सबसे आगे क्यों? क्या शासन-प्रशासन के आदेश केवल आम जनता के लिए ही हैं।

*बड़ा सवाल कलेक्टर करेंगे सख्त कार्रवाई या दब जाएगी फाइल-*

अब सबकी नज़र कलेक्टर पार्थ जैसवाल पर टिकी है कि क्या वे किसानों की इस गंभीर शिकायत पर कड़ी कार्रवाई करेंगे या मामला अन्य शिकायतों की तरह दबा दिया जाएगा।
बड़ामलहरा में फोर लेन मुआवज़े का यह मामला सिर्फ किसानों के शोषण और भ्रष्टाचार की जीवंत हकीकत है।

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