
धर्म की स्थापना के लिए भगवान कृष्ण ने लिया था जन्म – स्वामी मुक्तिनाथानन्द
लखनऊ संवाददाता अमित चावला
रामकृष्ण मठ, निराला नगर, लखनऊ में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजा’ बड़े हर्षोल्लास एवं धार्मिक रीति रिवाज के साथ भव्य रूप से मनायी गयी.
सुबह शंखनाद के उपरांत मंगल आरती व प्रार्थना रामकृष्ण मठ, लखनऊ के स्वामी इष्टकृपानन्द के नेतृत्व में हुई व भगवद् गीता से पाठ-भक्तियोग (12वां अध्याय) एवं श्रीकृष्ण वंदना रामकृष्ण मठ लखनऊ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द के नेतृत्व में हुई.
रामकृष्ण मठ लखनऊ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द द्वारा‘श्री रामकृष्ण के श्रीकृष्ण भाव’ विषय पर विशेष सत् प्रसंग हुआ जिसमें उन्होंने बताया है कि श्री कृष्ण और श्री रामकृष्ण एक ही वास्तविकता के दो अलग-अलग प्रतिनिधित्व हैं.स्वामी जी ने भगवान श्री रामकृष्ण का वर्णन करते हुए बताया कि श्री रामकृष्ण को कृष्ण के दर्शन जब मधुर भाव की साधना का चरण महाभाव की ऊँचाई पर पहुँच गया, और श्री रामकृष्ण पूरी तरह से राधारानी के साथ पहचाने गए, तो उन्हें अंततः शुद्ध अस्तित्व, ज्ञान और आनंद के अवतार, श्रीकृष्ण के दर्शन का आशीर्वाद मिला। वे कृष्ण के चिंतन में पूरी तरह खो जाते थे और कभी-कभी स्वयं को कृष्ण मानते थे, तथा ब्रह्मा से लेकर घास के तिनके तक सभी प्राणियों को कृष्ण का रूप मानते थे.
स्वामी जी ने कहा कि श्रीरामकृष्ण तो कभी कभी समाधिस्थ हो कहते थे, ‘जो राम थे और जो कृष्ण थे वही अब रामकृष्ण होकर आये हैं। ठाकुर ने प्रकाश्य भाव में स्वामीजी के निकट परिचय दिया था। ‘जे राम जे कृष्ण इदानीम् रामकृष्ण’.
यह रूप भी उनके दर्शन के बाद अन्य देवताओं के रूपों की तरह उनके अपने शरीर में विलीन हो गया।
श्री रामकृष्ण जी की सुबह की पूजा की शुरूआत स्वामी इष्टकृपानन्द जी द्वारा हुई तदोपरान्त
प्रातः 10 साल की अदभुत बालिका अर्यमा शुक्ला जो सिटी मांटेसरी स्कूल, अलीगंज की छात्रा है, द्वारा श्रीमद् भगवदृ गीता का पाठ किया गया जिसे सुनकर लोग दंग रह गये.खास बात यह है कि वह गीता पाठ, मंत्र और स्तोत्र बिना पुस्तक देखे ही सुनाती हैं.
अर्यमा को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने उनकी इस प्रतिभा देखकर उनको आपना आशीर्वाद भी दिया है। अर्यमा को संस्कृत के मंत्रों को सुनकर याद करने की अद्भुद क्षमता है। उन्हें महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र, श्री कनकधारा स्तोत्र, श्री विष्णु सहस्रनाम, श्री राम स्तुति, सरस्वती वंदना, ओम शिवोहम, शिव रक्षा स्तोत्र, शिव तांडव, श्री रामाष्टकम, कृष्णाष्टक पूरी तरह से याद हैं.
गीता पाठ के पश्चात भोग निवेदन के पश्चात उपस्थित सभी भक्तगणों को प्रसाद वितरण किया गया।
सायंकाल में श्री श्री ठाकुरजी की संध्या आरती व भजन स्वामी इष्टकृपानन्द जी द्वारा हुआ। रामकृष्ण मठ, लखनऊ के स्वामी कृष्णपदानन्द द्वारा जन्माष्टमी की विशेष पूजा प्रारम्भ हुई। तत्पश्चात समूह में श्यामनाम संकीर्तन स्वामी इष्टकृपानन्द के नेतृत्व में हुआ। रामकृष्ण मठ, लखनऊ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द महाराज द्वारा श्रीकृष्ण के जन्म पर श्रीमद् भागवतम् से पाठ किया गया.