
ब्यूरो किशोर सिंह राजपूत 9981757273
बेपरवाह सिस्टम: सड़क पर हुई डिलेवरी, नहीं मिला समय पर इलाज जिला अस्पताल में न तो कोई डाक्टर ने ध्यान दिया और न ही नर्सों ने गंभीरता दिखाई, सोनोग्राफी और अन्य जांचों के नाम पर इधर-उधर भटकाया
शाजापुर विकास के दावों और योजनाओं की चमचमाती फेहरिस्त के बीच जब हकीकत का आईना सामने आता है, तो तस्वीर किसी झटके से कम नहीं लगती है। ऐसी ही एक दर्दनाक हकीकत जिले में सामने आई, जब एक आदिवासी महिला को स्वास्थ्य सुविधाओं की अनदेखी के चलते सड़क पर ही अपने बच्चे को जन्म देना पड़ा। जिला अस्पताल जैसे संस्थान की लापरवाही और स्वास्थ्य व्यवस्था की संवेदनहीनता ने न केवल एक महिला की जिंदगी से खिलवाड़ किया, बल्कि सरकारी सिस्टम पर भी कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
सोमवार को मदाना गोशाला में मजदूरी करने वाले नरेंद्र आदिवासी ने बताया कि उसकी पत्नी नेहा को सोमवार सुबह करीब 10 बजे अचानक तेज प्रसव पीड़ा हुई। तत्काल 108 एम्बुलेंस को फोन कर उसे पास के बोलाई अस्पताल लाया गया, जहां से हालत गंभीर बताकर महिला को जिला अस्पताल शाजापुर रेफर कर दिया गया।
जिला अस्पताल में न तो कोई डाक्टर ने ध्यान दिया और न ही नर्सों ने गंभीरता दिखाई। सोनोग्राफी और अन्य जांचों के नाम पर नरेंद्र को पत्नी के साथ अस्पताल परिसर में इधर-उधर भटकाया जाता रहा। तकरीबन दो से तीन घंटे बीतने के बाद भी महिला को न कोई प्राथमिक उपचार मिला, न ही प्रसव की तैयारी की गई। नेहा की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी।
बेबस नरेंद्र ने पत्नी को लेकर वापस गुलाना लौटने का निर्णय लिया, लेकिन एम्बुलेंस नहीं मिली तो वह बस से ही गुलाना के लिए निकल पड़ा लेकिन गुलाना में बस से नीचे उतरते ही नेहा की पीड़ा असहनीय हो गई और सड़क पर ही बच्ची का जन्म हो गया। लोगों ने आटो के पास ही पालीथिन का घेरा बनाकर प्रसव में मदद की,यह दृश्य न बहुत भावुक कर देने वाला था।
स्थानीय लोगों की मदद से बची जान
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय ग्रामीणों ने मानवीय संवेदना दिखाते हुए नवजात और मां को तत्काल गुलाना अस्पताल पहुंचाया, जहां दोनों की हालत अब बच्ची और महिला की हालत स्थिर बताई जा रही है। लेकिन यदि समय रहते जिला अस्पताल में उपचार मिल जाता, तो यह स्थिति ही नहीं बनती।
इस घटना ने सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं को कटघरे में खड़ा कर दिया है। यदि जिला स्तर के अस्पतालों में भी दो से तीन घंटे तक कोई उपचार नहीं मिल पा रहा, तो गांव-देहात के लोग आखिर कहां जाएं?
गुलाना प्राथमिक उप स्वस्थ केंद्र पर पदस्थ डॉक्टर का कहना है कि महिला की डिलेवरी सड़क पर ही हो गई थी, बच्ची और महिला को इलाज के लिए गुलाना अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एम्बुलेंस कई दो-दो घंटे लेट हो जाती है जिसके चलते मरीजों को परेशानी होती है। महिला और बच्ची का इलाज जारी है जो अभी स्वस्थ है।