
बड़वाह ग्राम खोड़ी मार्ग पर भारी वाहनों के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध, पंचायत ने लिया सख्त निर्णय। शराब कंपनी की मुश्किलें बढ़ीं।
बड़वाह कुलदीप सिंह अरोरा
बड़वाह ग्राम खोड़ी मार्ग पर भारी वाहनों के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध, पंचायत ने लिया सख्त निर्णय।
शराब कंपनी की मुश्किलें बढ़ीं।
मध्यप्रदेश के बड़वाह क्षेत्र के ग्राम खोड़ी में ग्राम पंचायत कदवालिया ने शराब कंपनी के भारी वाहनों के कारण हो रहे सड़क क्षरण और आमजन की परेशानी को लेकर बड़ा
कदम उठाया है। पंचायत द्वारा सार्वजनिक सूचना पट्ट पर यह स्पष्ट किया गया है कि मप्र पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 7 के अंतर्गत 10 टन से अधिक वजनी वाहनों के प्रवेश पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया गया हैग्राम पंचायत की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि ग्राम का आंतरिक मार्ग अत्यधिक क्षतिग्रस्त हो चुका है। स्कूली बच्चों, महिलाओं और राहगीरों की सुरक्षा को देखते हुए यह फैसला जनहित में लिया गया है। अब 10 टन से अधिक वजनी वाहनों को ग्राम सीमा में प्रवेश नहीं मिलेगा।
फोर लाइन रोड के निर्माणाधीन रोड पर शराब कंपनी द्वारा वजनी वाहन निकाले जा रहे थे इंडिया स्पीक की खबर से NHAI द्वारा निर्माणाधीन इंदौर-इच्छापुर नेशनल हाईवे पर बैरिकेड्स लगा दिए गए। इससे अब एसोसिएटेड अल्कोहल एंड ब्रेवरीज लिमिटेड के ट्रकों को मनिहार-खोड़ी मार्ग से ही कंपनी तक पहुंचना पड़ रहा है, जिससे ग्रामीणों का आक्रोश और बढ़ गया।
स्थानीय नेतृत्व का बयान
भाजपा युवा मोर्चा ग्रामीण मंडल अध्यक्ष धीरज सिंह पटेल से चर्चा में बताया:
“शराब कंपनी के भारी वाहनों के कारण खोड़ी का मार्ग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। कंपनी द्वारा बार-बार सड़क निर्माण का आश्वासन दिया जाता है, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्य नहीं किया गया है। पंचायत ने यह निर्णय गांव की सुरक्षा और जनहित में लिया है।”
सड़क निर्माण कंपनी ने भी जिम्मेदारी लेने से किया मना
“कंपनी ने स्पष्ट किया है कि मनिहार खोंड़ी रोड का डामरीकरण सिर्फ 10 टन तक के वाहनों के लिए किया गया था, और अब 40-60 टन के भारी वाहनों के कारण सड़क क्षतिग्रस्त हो रही है, जिसकी जिम्मेदारी वह नहीं लेगी।”
सवालों के घेरे में शराब कंपनी
यह संपूर्ण मामला अब शराब कंपनी एसोसिएटेड अल्कोहल एंड ब्रेवरीज लिमिटेड की जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर रहा है। एक तरफ भारी वाहनों से ग्रामीण मार्ग क्षतिग्रस्त हो रहे हैं, दूसरी ओर कंपनी द्वारा स्थायी समाधान नहीं किया जा रहा है। ग्राम पंचायत के इस फैसले से कंपनी के सामने अब एक नया संकट खड़ा हो गया है।