
आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए पराधीनता से स्वाधीनता का मार्ग आत्मा सही मायनों में स्वतंत्रता यानी मुक्ति महल को प्राप्त करेगी
रिपोर्ट सुधीर बैसवार
सनावद – आज स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुनि श्री विश्वसुर्य सागर जी महाराज ने अपनी वाणी का रसपान करवाते हुवे कहा हमारा भारत देश जब आज़ाद हुआ जब हमारे देश के सेनानियों ने बलिदान दिये आजादी के लिए संघर्ष किया।
सन्मति जैन काका ने बताया की मुनिश्री ने बड़े मंदिर के हाल में सभी समाजजनों को संबोधित करते हुवे कहा कि आप हर साल स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं इसके बाद भी आप को अपने आजादी की अनुभूति की है। वास्तविक आज़ादी तो वहीं है जो हमारे तीर्थकर भगवानों प्राप्त की है। हमारे भगवंत ने वितरागता का झंडा फराया है । जिस से हमारी आत्मा का पतन हों रहा है उन हितों से भी हमारे झंडे फ़राये जाते है, जब कर्मो से मुक्ती मिल जायेगी उस दिन तुम्हारा स्वतंत्रता दिवस हो जायेगा। स्वतंत्रता दिवस आप को शिक्षा दे रहा है
पराधीनता छोड़ो और स्वतंत्र होने का पुरुषार्थ करो। में में हो, कर्म कर्म है, कर्म है ही ओर नया कर्म है। जिस दिन ये बात आप के रह्दय में उतर जायेगी उसी दिन पराधीनता आप दूर हो जायेगी।
हमारी आत्मा कर्मो की बेड़ियों में जकड़ी है उस आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए पराधीनता से स्वाधीनता का मार्ग अर्थात मोक्ष मार्ग अपनाकर ही ये आत्मा सही मायनों में स्वतंत्रता यानी मुक्ति महल को प्राप्त करेगी। तभी यह स्वतंत्रता दिवस मनाना सार्थक होगा। आज के इस अवसर पर मुनि श्री विश्वसुर्य सागर महाराज को आहारदान देने का सौभाग्य स्वतंत्रता सेनानी परिवार के दिनेश,नरेश पाटनी परिवार एवं मुनि श्री साध्य सागर महाराज को आहारदान देने का सौभाग्य स्वतंत्रता सेनानी कैलाश चंद जटाले परिवार को प्राप्त हुआ इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित थे।