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*वन ककोड़ा – मानसून की पौष्टिक और औषधीय सब्जी*

क्षेत्र के प्रगतिशील किसान इसकी खेती कर कमा रहे लाखों का मुनाफा

*नागौर, 29 जुलाई 2025

( भारत संवाद मुरलीधर पारीक)

 बारिश का मौसम आते ही खेतों की मेड़ों और कंटीली झाड़ियों में उगने वाली वन ककोड़ा (जंगली करेला) सब्जी बाजारों और रसोईघरों में छाने लगी है। आयुर्वेद में इसे पूर्ण रूप से पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है, जो अपनी औषधीय गुणों और ताकतवर पोषक तत्वों के लिए प्रसिद्ध है।

💢पौष्टिक तत्वों का खजाना**

वन ककोड़ा में एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइटोकेमिकल्स, प्रोटीन, विटामिन A, C, और खनिज पदार्थ जैसे कैल्शियम, जिंक, और मैग्नीशियम प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह सब्जी न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि कई स्वास्थ्य समस्याओं जैसे मधुमेह, बवासीर, पीलिया, त्वचा रोग, और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी कारगर है। आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार, यह शाकाहारियों के लिए मांस से 50 गुना अधिक प्रोटीन प्रदान करती है, जिससे इसे “ताकतवर सब्जी” का दर्जा मिला है।

💢मानसून में प्राकृतिक उपज**

मानसूनी बारिश के साथ वन ककोड़ा प्राकृतिक रूप से जंगलों, खेतों की मेड़ों, और बाड़ों पर उगता है। इसे किसी विशेष खेती या देखभाल की आवश्यकता नहीं होती, जिसके कारण यह पर्यावरण के अनुकूल और कम लागत वाली सब्जी है। बारिश के मौसम में यह सब्जी 3-4 महीनों के लिए ही उपलब्ध होती है, जिससे इसकी मांग और कीमत दोनों बढ़ जाती हैं।

💢बाजार में भारी डिमांड**

बाजारों में वन ककोड़ा 100 से 250 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है। इसकी उच्च मांग के कारण किसान और आदिवासी, बन बागरिया, समुदाय इसे जंगलों से एकत्रित कर अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं। नागौर जिले के प्रगतिशील किसान इसकी खेती कर लाखों रुपये कमा रहे हैं। इंदिरा कंकोड़ा-1 और अम्बिका-12 जैसी उन्नत किस्मों ने इसकी खेती को और लाभकारी बना दिया है।

💢किसानों के लिए वरदान**

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, वन ककोड़ा की खेती में लागत कम और मुनाफा अधिक है। एक बार बीज बोने के बाद यह 8-10 साल तक फल देता है, और इसमें कीट-रोग का प्रकोप भी कम होता है। यह छोटे और सीमांत किसानों के लिए अतिरिक्त आय का बेहतरीन स्रोत बन रहा है।

💢स्वास्थ्य और स्वाद का संगम**

ककोड़ा न केवल सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि इसका स्वाद भी लाजवाब है। इसे विभिन्न व्यंजनों में शामिल किया जाता है, जो भोजन की थाली को और आकर्षक बनाता है। बारिश के मौसम में यह सब्जी रसोई में स्वास्थ्य और स्वाद का अनूठा संगम लेकर आती है।

💢वन ककोड़ा के आयुर्वेदिक लाभ: विस्तृत जानकारी**

वन ककोड़ा (Momordica dioica), जिसे जंगली करेला या कंटकारी भी कहा जाता है, आयुर्वेद में एक औषधीय सब्जी के रूप में विख्यात है। यह मानसून के मौसम में प्राकृतिक रूप से उगने वाली यह सब्जी अपने पौष्टिक और औषधीय गुणों के कारण स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। आयुर्वेद के अनुसार, वन ककोड़ा में त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करने की क्षमता होती है। इसके प्रमुख आयुर्वेदिक लाभ निम्नलिखित हैं:

💢पौष्टिक तत्वों का भंडार**

            **एंटीऑक्सीडेंट्स**:

 वन ककोड़ा में विटामिन C, विटामिन A, और फ्लेवोनॉयड्स जैसे शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो शरीर में मुक्त कणों (free radicals) को नष्ट कर कोशिकाओं को क्षति से बचाते हैं।

         – **फाइटोकेमिकल्स**

: इसमें बीटा-कैरोटीन, लाइकोपीन, और पॉलीफेनॉल्स जैसे फाइटोकेमिकल्स होते हैं, जो सूजन (inflammation) को कम करते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।

        – **प्रोटीन और खनिज**

: यह प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, और आयरन का उत्कृष्ट स्रोत है, जो शारीरिक शक्ति और ऊर्जा को बढ़ाता है। आयुर्वेद में इसे शाकाहारी लोगों के लिए “प्रोटीन का पावरहाउस” माना जाता है।

 2. **मधुमेह (डायबिटीज) नियंत्रण**

– वन ककोड़ा में हाइपोग्लाइसेमिक गुण होते हैं, जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इसके बीजों और फलों में चारेंटिन और पॉलीपेप्टाइड-पी जैसे तत्व इंसुलिन की तरह कार्य करते हैं।

– आयुर्वेदिक चिकित्सक इसे मधुमेह रोगियों के लिए नियमित आहार में शामिल करने की सलाह देते हैं, क्योंकि यह ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाता है।

 3. **पाचन तंत्र को मजबूत बनाए**

– वन ककोड़ा में रेशे (फाइबर) की प्रचुर मात्रा होती है, जो पाचन को सुचारू बनाता है और कब्ज, अपच, और गैस जैसी समस्याओं को दूर करता है।

– इसके कड़वे स्वाद के कारण यह पित्त को संतुलित करता है और जठराग्नि (पाचन अग्नि) को प्रज्वलित करता है, जिससे भूख बढ़ती है और पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है।

4. **रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए**

– इसमें मौजूद विटामिन C और जिंक इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं, जिससे मौसमी बीमारियों जैसे सर्दी, खांसी, और वायरल इन्फेक्शन से बचाव होता है।

– आयुर्वेद में इसे “रसायन” गुणों वाला माना जाता है, जो शरीर की समग्र प्रतिरक्षा और दीर्घायु को बढ़ाता है।

 5. **त्वचा और बालों के लिए लाभकारी**

– वन ककोड़ा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन A त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाते हैं। यह मुहांसे, दाग-धब्बे, और त्वचा की सूजन को कम करने में मदद करता है।

– इसके नियमित सेवन से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं और बालों का झड़ना कम होता है।

 6. **हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद**

– वन ककोड़ा में पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे खनिज रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं और हृदय को स्वस्थ रखते हैं।

– इसके फाइटोकेमिकल्स कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में सहायक होते हैं, जिससे हृदय रोगों का जोखिम कम होता है।

 7. **पीलिया और यकृत (लिवर) के लिए लाभकारी**

– आयुर्वेद में वन ककोड़ा को यकृत (लिवर) के लिए टॉनिक माना जाता है। यह लिवर को डिटॉक्सीफाई करता है और पीलिया जैसी समस्याओं में लाभकारी है।

– इसके कड़वे तत्व पित्ताशय को स्वस्थ रखते हैं और पित्त स्राव को संतुलित करते हैं।

 8. **वजन नियंत्रण में सहायक**

– कम कैलोरी और उच्च फाइबर युक्त होने के कारण यह वजन घटाने में मदद करता है। यह लंबे समय तक पेट को भरा हुआ रखता है, जिससे भूख कम लगती है।

– आयुर्वेद के अनुसार, यह मेद (चर्बी) को कम करने में सहायक है और मोटापे से बचाव करता है।

 9. **बवासीर और गुदा रोगों में राहत**

– वन ककोड़ा के पत्तों और फलों का उपयोग बवासीर, फिशर, और गुदा रोगों में राहत प्रदान करता है। इसके रस को आयुर्वेदिक औषधियों में शामिल किया जाता है।

– इसके एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण सूजन और दर्द को कम करते हैं।

10. **कैंसर रोधी गुण**

– हाल के शोध और आयुर्वेदिक अध्ययनों के अनुसार, वन ककोड़ा में मौजूद फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में सहायक हो सकते हैं। यह विशेष रूप से पेट और लीवर से संबंधित कैंसर के जोखिम को कम करता है।

 **उपयोग और सावधानियां**

– **उपयोग**: वन ककोड़ा को सब्जी, सूप, जूस, या अचार के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इसके पत्तों का रस और बीजों का चूर्ण भी आयुर्वेदिक उपचार में प्रयोग होता है।

– **सावधानी**

: अत्यधिक मात्रा में सेवन से पेट में जलन या दस्त हो सकते हैं। गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को इसका सेवन चिकित्सक की सलाह पर करना चाहिए।

 **निष्कर्ष**

आयुर्वेद में वन ककोड़ा को एक “सुपरफूड” माना जाता है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। मानसून के मौसम में उपलब्ध यह सब्जी न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि अपने औषधीय गुणों के कारण रसोई और स्वास्थ्य का अभिन्न हिस्सा बन रही है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की सलाह पर इसे संतुलित मात्रा में आहार में शामिल करने से कई रोगों से बचा जा सकता है।

*निष्कर्ष*

: वन ककोड़ा न केवल एक मौसमी सब्जी है, बल्कि यह किसानों की आर्थिक स्थिति और लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का एक शानदार माध्यम है। इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग भी प्रशिक्षण और उन्नत बीज उपलब्ध करा रहा है, ताकि अधिक से अधिक किसान इस “जंगली खजाने” का लाभ उठा सकें।

आलेख:मुरलीधर पारीक


 

मुरलीधर पारीक नागौर

मुरलीधर पारीक भारत संवाद नागौर से हैं,मुरलीधर पारीक वर्तमान में भारत संवाद,TV वेब,सहित भारत संवाद न्यूज समूह के सभी प्लेटफार्म के लिए योगदान दे रहे हे..!

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