श्री कृष्ण सुदामा सरोवर के जल के साथ ही महाकाल मंदिर परिसर स्थित पवित्र कोटि तीर्थ कुण्ड के जल से होगा मां पार्वती का अभिषेक ।
24 जुलाई गुरुवार को हरियाली अमावस्या पर निकलेगी सम्पूर्ण स्वर्णगिरी यात्रा।
विशेष संवाददाता-निरंजन उदीवाल – 9826612311.
हरियाली अमावस्या पर श्री महाकालेश्वर स्वर्णगिरी पर्वत स्थित श्री नारायणा धाम में निकलने वाली सम्पूर्ण स्वर्णगिरी पर्वत वार्षिक परिक्रमा यात्रा के दौरान श्री कृष्ण सुदामा जी एवं माता पार्वती जी के जलाभिषेक हेतु श्री कृष्ण सुदामा सरोवर के जल के साथ ही महाकालेश्वर मंदिर परिसर स्थित पवित्र कोटि कुण्ड का पवित्र जल भी पुजन कर लाया गया है। श्री कृष्ण सुदामा जी के जलाभिषेक कर उसी जल से माता पार्वती का भी जलाभिषेक किया जावेगा जो मात्तृशक्ति यात्रा में सम्मिलित होने वाली है उनसे श्री कृष्ण सुदामा उत्सव समिती द्वारा निवेदन किया गया है कि, जल हेतु अपना कलश स्वयं साथ लेकर आवे व नारायणाधाम मन्दिर परिसर से प्रत्येक यात्री अपने साथ माता पार्वतीजी के जलाभिषेक हेतु जल कलश मे ले जावे।
श्री कृष्ण सुदामा उत्सव समिति के केशरसिंह पटेल व डॉ मोहन शर्मा ने बताया कि 24 जुलाई को प्रातः 8 बजे से मन्दिर पर श्री कृष्ण सुदामा जी के चरण का पूजन एवं श्री कृष्ण सुदामा सरोवर पर एक पेड़ माँ के नाम अभियान का प्रारंभ कर यात्रा प्रारंभ होगी।
श्री कृष्ण सुदामाजी की मित्र स्थली ग्राम-नारायणा धाम पर एक पेड़ माँ के नाम पौधारोपण कर सम्पूर्ण स्वर्णगिरी पर्वत पर पौधारोपण पूज्य संतगणो एवं अतिथियों द्वारा किया जावेगा उसके पश्चात सरोवर के जल के साथ ही महाकालेश्वर मन्दिर परिसर स्थित पवित्र कोटि कुण्ड से लाए गए जल से श्री कृष्ण सुदामाजी के चरण पूजन के साथ श्री कृष्णेश्वर महादेव को जल अर्पित कर सम्पूर्ण स्वर्णगिरी तीर्थ पर्वत यात्रा परंपरागत रूप से प्रारंभ होगी। जो नारायणा से प्रारंभ होकर चौकी, महूखेड़ा, तुलसापुर, बागला से होते हुवे मां पार्वती धाम पहुंचेगी। यहाँ पर हजारों वर्ष पूर्व माँ पार्वती जी ने तपस्या की थी जिसके साक्ष्य आज भी मौजुद है परं मां के चरणों का जलाभिषेक के साथ महाप्रसादी – भोजन व विश्राम होगा एवं परिसर में माँ के नाम का पौधारोपण कर यात्रा पुनः प्रारंभ होकर यात्रा मार्ग पर चलते हुए ग्राम बरखेड़ा बुजुर्ग से कुकलखेड़ा से बालोदा होकर शेरपुर-चैपाटी से होते हुए नारायणा धाम पर आरती पूजन के साथ सवा पाँच कौस अर्थात 16 किलोमीटर की यात्रा पूर्णता के साथ प्रभु प्रसादी, भोजन प्रसादी के उपरान्त परिक्रमा का समापन होगा।
सभी धर्मालुजनों से श्री कृष्ण सुदामा उत्सव समिती के केशरसिंह पटेल, सेवाराम आंजना, डॉ. मोहन शर्मा, मोतीराम चौधरी, गोपीलाल आंजना, संजय आंजना, सरपंच भगवान सिंह नारायणा, सरपंच अमृतलाल बालोदा, भारत सिंह बरखेड़ा केशरसिंह आंजना, संदीप आंजना बालोदा, पुजारी दौलतराम शर्मा, आत्माराम शर्मा, प्रेमनारायण शर्मा, डाॅ. भवानीशंकर शर्मा, एडवोकेट अंतरसिंह आंजना, सुनील आंजना भेरूसिंह आंजना, आसाराम आंजना, अमरसिंह आंजना, कमलसिंह, ईश्वर शर्मा, पुजारी आत्माराम शर्मा, महेश सोनी, विक्रमसिंह आंजना, अशोक आंजना, जगदीश शर्मा पंडितजी, दिनेश दायमा, मानसिंह चौधरी, संदीप शर्मा, गौरव आंजना, कमल आंजना, प्रकाश परमार, गोविन्द , विक्रमसिंह बिनपुरा, कमल आंजना आदि सभी सदस्यों ने अधिक से अधिक संख्या मैं पधारकर धर्म लाभ लेने का आग्रह किया ।
स्वर्णगिरी पर्वत का वर्णन श्री मद्भागवत गीता में भी वर्णित है। केसरसिंह पटेल ने बताया कि नारायणा धाम से उत्तर दिशा की और स्वर्णगिरी पर्वत का वर्णन भी श्री मद्भागवत गीता में वर्णित होने के साथ साथ अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी वर्णित है यहाँ पर श्री कृष्ण और सुदामाजी मित्रों के साथ पूज्य गुरूवर श्री सांदीपनी व गुरुमाता की आज्ञा से लकडियां लेने आए थे और रात्रि विश्राम यहीं किया था तो यह पर्वत क्षैत्र श्री कृष्ण जी कि कर्मभूमि भी है और उनकी एकत्र की गई लकडियों की गठरी के रूप में जीवन्त वृक्ष आज भी मन्दिर परिसर में हरे भरे हैं। जिनके दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वही मां पार्वती धाम पर मां पार्वती जी ने तपस्या की थी जिसके प्रमाण आज भी मौजूद है।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के द्वारा भी कई बार श्री कृष्ण सुदामा धाम ग्राम-नारायणा धाम एवम उत्तर में (कालगणना स्थल) ग्राम डोंगला का जिक्र करते हुए कहते है कि श्रीकृष्ण जी अपने मित्रों के साथ लीलाएँ करते हुए कालगणना कि दृष्टि से भी यहा आए होंगे। अर्थात कुल मिलाकर उज्जैन से लेकर नारायणा धाम संपूर्ण क्षेत्र श्री कृष्ण की कर्मभूमि रहने से इस क्षैत्र का महत्व धार्मिक दृष्टि से और अधिक बढ़ जाता है

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