
*भोले भक्त नारायण सिंह और सियाराम की हरिद्वार से कोड ग्राम तक 700 किलोमीटर की कांवड़ यात्रा*
यात्रा मार्ग में जगह जगह होता रहा कावड़ियों का स्वागत
**हरिद्वार/रियांबड़ी, 22 जुलाई 2025**:
नागौर/भारत संवाद
भगवान शिव के प्रति अटूट भक्ति और दृढ़ संकल्प के प्रतीक, नारायण सिंह और सियाराम, हरिद्वार से पवित्र गंगाजल लेकर राजस्थान के रियांबड़ी के कोड ग्राम में स्थित शिवालय के लिए अपनी 700 किलोमीटर की पैदल कांवड़ यात्रा पूरी करने वाले हैं। यह उनकी 15 दिनों की कठिन यात्रा का समापन होगा, जो हर वर्ष पुष्कर से शुरू होकर कोड ग्राम के शिवालय में जलाभिषेक के साथ संपन्न होती है। इस यात्रा में उनके साथी कान दास का विशेष सहयोग रहा, जिन्होंने बोलेरो गाड़ी के माध्यम से भोजन और अन्य आवश्यक सामग्री की व्यवस्था सुनिश्चित की। तीनों युवक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उनकी भोले बाबा के प्रति भक्ति अटूट है।
यात्रा का विवरण:▶️
✍️. **उद्गम स्थल और गंतव्य**:
– नारायण सिंह और सियाराम ने हरिद्वार से पवित्र गंगाजल लेकर अपनी कांवड़ यात्रा शुरू की।
– उनका गंतव्य राजस्थान के रियांबड़ी क्षेत्र में कोड ग्राम का प्राचीन शिवालय है, जहां वे 23 जुलाई 2025 को जलाभिषेक करेंगे।
– यह यात्रा हर वर्ष सावन मास में पुष्कर से शुरू होती है, जो भगवान शिव के प्रति उनकी गहरी आस्था का प्रतीक है।
✍️. **यात्रा की दूरी और अवधि**:
– कुल दूरी: लगभग 700 किलोमीटर।
– अवधि: 15 दिन की पैदल यात्रा।
– यात्रा के दौरान दोनों कांवड़ियों ने कठिन परिस्थितियों का सामना किया, जिसमें मौसम की चुनौतियां, थकान और लंबी दूरी शामिल हैं।
✍️. **सहयोगी कान दास की भूमिका**:
– कान दास ने इस यात्रा में महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया। वे बोलेरो गाड़ी के माध्यम से कांवड़ियों के साथ चलते रहे।
– उन्होंने भोजन व्यवस्था, पानी, और अन्य आवश्यक सामग्री जैसे कपड़े, दवाइयां और विश्राम के लिए सामान उपलब्ध करवाया।
– उनकी यह निस्वार्थ सेवा कांवड़ियों के लिए एक बड़ा सहारा रही, जिससे यात्रा को सुचारू रूप से पूरा करना संभव हो सका।
✍️. **किसान परिवार से ताल्लुक**:
– नारायण सिंह, सियाराम और कान दास तीनों ही साधारण किसान परिवार से आते हैं।
– उनकी जड़ें ग्रामीण भारत से जुड़ी हैं, और उनकी यह भक्ति यात्रा उनकी सादगी और आध्यात्मिक दृढ़ता को दर्शाती है।
– खेती-बाड़ी के कार्यों के बीच समय निकालकर वे हर वर्ष पुष्कर से कावड़ यात्रा करते हैं,परंतु इस बार भोलेनाथ की आज्ञा हरिद्वार से कावड़ यात्रा करने की हुई और इस कठिन यात्रा को अंजाम देते हुए गंतव्य की ओर बढ़े..
✍️. **अटूट भक्ति और परंपरा**:
– नारायण सिंह और सियाराम की यह कांवड़ यात्रा एक परंपरा बन चुकी है, जिसे वे हर वर्ष सावन मास में निभाते हैं।
– उनकी भक्ति का आधार भगवान शिव के प्रति अगाध श्रद्धा है, जो उन्हें इस लंबी और कठिन यात्रा के लिए प्रेरित करती है।
– इस यात्रा में वे न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी अपने को समर्पित करते हैं।
✍️. **जलाभिषेक का महत्व**:
– कोड ग्राम के शिवालय में 23 जुलाई 2025 को होने वाला जलाभिषेक एक धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें पवित्र गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक किया जायेगा
– यह अनुष्ठान सावन मास में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि भगवान शिव की पूजा से विशेष फल प्राप्ति की मान्यता है।
– स्थानीय समुदाय भी इस अवसर पर शिवालय में एकत्रित होता है और उत्सव के माहौल में भाग लेता है।
✍️. **यात्रा की चुनौतियां और प्रेरणा**:
– 700 किलोमीटर की पैदल यात्रा में मौसम, थकान, और सड़क की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
– इसके बावजूद, नारायण सिंह और सियाराम की भक्ति और संकल्पशक्ति उन्हें इस यात्रा को पूरा करने के लिए प्रेरित किया
– उनकी यह यात्रा अन्य भक्तों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है, जो सच्ची भक्ति और समर्पण का उदाहरण प्रस्तुत करती है।
✍️ सामाजिक और धार्मिक प्रभाव:
– नारायण सिंह और सियाराम की यह कांवड़ यात्रा न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यह ग्रामीण समुदायों में एकता और भक्ति की भावना को बढ़ावा देती है!
– ⭐उनकी यात्रा स्थानीय लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई हे यह गांव और क्षेत्र की पहली यात्रा है
-⭐ कान दास जैसे सहयोगियों की निस्वार्थ सेवा सामुदायिक सहयोग और भाईचारे का उदाहरण प्रस्तुत करती है।
✍️ स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया:
– कोड ग्राम के निवासियों में नारायण सिंह और सियाराम की इस यात्रा को लेकर उत्साह है।
स्थानीय लोग उनके आगमन की प्रतीक्षा में स्वागत की तैयारियों में लगे हुए हैं!
भारत संवाद/नागौर/मुरलीधर पारीक