
आचार्य संघ को नवदा भक्ति से श्रावकजन करवा रहे हे आहार।
रिपोर्ट सुधीर बैसवार
सनावद–:ग्रीष्म कालीन वाचना के रहे हैं चतुर्विद संघ बड़े मंदिर जी विराजमान हे आज प्रातःकाल के धर्मसभा की शुरुवात आचार्य विराग सागर जी महाराज के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर हुई तत्पश्चात आचार्य विनम्र सागर जी महाराज के पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य नंदलाल जी जैनी परिवार को प्राप्त हुआ। आचार्य श्री अपनी ओजस्वी वाणी का रसपान करवाते हुवे कहा की अहंकार ही अहंकार का बीज है। कभी भी मत सोचना कभी भी कितने लोग तुम्हारे साथ हों जाएं कितना भी अच्छा व्यक्तिव तुम्हारा बन जाय फिर भी किसी को कमजोर मत समझना मद अकेले में होता हे घमंड सब के बीच में होता हे मद को जड़ सभी खत्म करो घमंड अपने आप समाप्त हों जायेगा।
समाज प्रवक्ता सन्मति काका ने बताया की
जब कोई श्रावक यह भाव करता है कि मैंने अपने खाने के लिए आहार तैयार किया है, उसमें से मैं भक्ति के लिए जैन मुनि राज को आहार दूं तो यह भाव बनने मात्र से ही उसे अनंत पुण्य का अर्जन हो जाता है। जब वह भक्ति भाव से मुनि राज या आर्यिका माताजी को आहार देता है तो उसका मानव जीवन सार्थक हो जाता है।
इसी क्रम में आज मंगलवार को चतुर्विद संघ को मंदिर के हॉल में आहार दान देने का सौभाग्य मनीष कुमार आशीष कुमार इंदरचंद चौधरी परिवार सनावद को प्राप्त हुआ। दान में श्रेष्ठ आहार दान है। आहार दान का कार्य सभी श्रावकों को करना चाहिए। कारण दान के माध्यम से महान पुण्य की प्राप्ति होती है। नवधाभक्ति पूर्वक आहार दान की प्रक्रिया से दान देना चाहिए। इस अवसर पर सभी समाजजनों आहारदान देकर पुण्य की अनुमोदना की।,