
श्रीजी की शोभा यात्रा के साथ श्री सुपार्श्वनाथ मंदिर एवं आदिनाथ मंदिर में विराजमान हुई नवीन प्रतिमाएं।
अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज के सान्निध्य एवं ब्रह्चारी भावेश भईया ऊन के निर्देशन में हुई प्रतिमाएं विराजमान।
रिपोर्ट सुधीर बैसवार
सनावद:–त्याग तप एवं अनेक त्यागियों की नगरी एवं धार्मिक कार्यों में अग्रणी नगर सनावद में अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज के सान्निध्य एवं ब्रह्चारी भावेश भईया ऊन के निर्देशन में श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर में सुपार्श्वनाथ भगवान,सुमति नाथ भगवान, पुष्पदंत भगवान एवं भरत भगवान की प्रतिमाएं एवं श्री आदिनाथ जैन मंदिर में अजीत नाथ भगवान की प्रतिमा दोपहर 12.05 बजे शुभ मूहर्त में एवं एक प्रतिमा दोपहर 12.20 मिनट पर आदिनाथ जिनालय में विराजमान की गई।
समाज प्रवक्ता सन्मति जैन काका ने बताया की नगर में विराजमान अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज के सानिध्य में नवीन प्रतिमाएं विराजमान की गई जिसके अंतर्गत शनिवार रात्रि में श्री आदिनाथ मंदिर में रात्रि में भक्तामर जी का पाठ एवं भक्ति की गई वह रविवार चार मई को प्रातः आदिनाथ जिनालय में सर्वप्रथम नवीन प्रतिमाओं का जलाभिषेक एवं शांति धारा की गई तत्पश्चात प्रतिमाओं को वेदीजी में विराजमान कर नगर में शोभा यात्रा नगर के प्रमुख मार्गो से होकर सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर पहुंची जहां ब्रां. ब्र.भावेश भईया के निर्देशन एवं अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज के सान्निध्य में अभिषेक शांति धारा की गई तत्पश्चात सामूहिक पूजन संपन्न की गई इस पावन अवसर में मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज ने अपनी अमृत वाणी का रस पान करवाते हुवे कहा की जब भी सम्यक दर्शन होगा जिनबिम्ब के दर्शन से ही होगा बिना भगवान के दर्शन के आप के अंदर सम्यक दर्शन की उत्पति हो ही नहीं सकती। मुनिश्री ने कहा की जब भी हम जब भी हम प्रतिमा के दर्शन करे जब हमे उस प्रतिमा के दर्शन के साथ हमे प्रतिमा रूप रंग को नहीं देखना हे प्रतिमा के अन्दर जो छियालीस गुणों की स्थापना आचार्य भगवन्तों ने पंचकल्याणक के माध्यम से की है ऊन गुणों का स्मरण करें। हम प्रतिमा को देख कर के प्रतिमा के रंग को देख कर के प्रति राग का भाव होता हे तो निश्चित रूप से राग का कारण दुख का कारण होता हे । पर जिन्हें प्रतिमाओं के अंदर के गुणों के प्रति राग नहीं है। वो निश्चित रूप से परमात्मा बनने के लायक हे। क्योंकि प्रशस्त अप्रशस्त राग दो तरह का बताया गया हे प्रशस्त राग का अर्थ होता हे आरंभ में देवशास्त्र गुरु से जो राग होता हे वो प्रशस्त राग हे ओर इनके अलावा जो राग हे वो अप्रशस्त राग हे अंप्रशस्त राग निश्चित रुप से दुःख का कारण हे प्रशस्त राग ही आप को समयत्व की प्राप्ति करवाएगा। ध्यान रखना प्रशस्त राग आप के अंदर सम्यकत्व की उत्पति करवाएगा ओर ये मुनि दीक्षा हों जायेगी तो प्रशस्त राग भी छूटेगा तब परमात्मा पद की ओर बढ़ेगा। लेकिन बिना प्रशस्त राग के सम्यकत्व की प्राप्ति होना बहुत मुश्किल हे।
संतोष बाकलीवाल ने बताया की मुनि श्री अमृत वचनों के पश्चात आर्यिका पूर्णमति माताजी द्वारा रचित श्री 1008 शान्तिनाथ मंडल विधान रजतमय मांडने पर रचाया गया इस पावन अवसर पर श्री पार्श्वनाथ जिनालय में १००८ सुपार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान करने का सौभाग्य श्रीमती विनीता निलेश बाकलीवाल,श्रीमती संगीता संतोष बाकलीवाल,मीना बाकलीवाल, श्रीमती पलक,धीरेन्द्र बाकलीवाल ,शुभम बाकलीवाल,गाम्या बाकलीवाल सनावद एवं श्री १००८ सुमतिनाथ भगवान की प्रतिमा* विराजमान करने का सौभाग्य श्रीमती नीवी,अक्षय कासलीवाल ,सुनील जी जयकुमार जी कासलीवाल इंदौर एवं श्री १००८ पुष्पदंत भगवान की प्रतिमा श्रीमती निर्मला हेमचंद्र पाटोदी,महेंद्र पाटोदी,ललित पाटोदी ,मनीष पाटोदी ,नीलेश पाटोदी एवं पाटोदी परिवार सनावद एवं श्री भरत भगवान की प्रतिमा विराजमान करने का सौभाग्य श्रीमती हीरामणी,राजेन्द्र भुंच,श्रीमती मंजुला हेमचंद भुंच,श्रीमती रेखा कमलेश भुंच, आदिश भुंच ,संयम भुंच परिवार सनावद एवं श्री १००८ आदिनाथ जिनालय मे,श्री १००८ अजीतनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान करने का सौभाग्य श्रीमती निधिआशीष झांझरी ,श्रीमती मंजुला हेमचंद भूच ,तनिष झांझरी सनावद,श्रीमती निष्ठा मितेश सेठी बुरहानपुर परिवार को प्राप्त हुआ हे।
निलेश बाकलीवाल आशीष झांझरी ने बताया की। नवीन पांच प्रतिमाएं मुनि श्री विराट सागर महाराज के ससंघ के सन्निधि में बालाघाट जिले के कटंगी में हुई पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में प्रतिष्ठित होकर ये प्रतिमाएं नगर के मन्दिरो में विराजमान की गई कमलेश भूच निलेश पाटोदी ने बताया की रात्रि में नवीन जिन प्रतिमाओं की भव्य आरती की गई तत्पश्चात सभी समाजजनों ने भक्ति की प्रदीप पंचोलिया,पंकज जटाले, प्रशांत जैन, आदित्य पंचोलिया संगीता पाटोदी ने सुमधुर भजनों की प्रस्तुति देकर सभी मंत्र मुक्त कर दिया। इस प्रमुख दिवस पर मुनिश्री को आहार करवाने का सौभाग्य सुरेश कुमार पुत्र मनीष हितेश जैन अमर ज्योति बस परिवार को प्राप्त हुआ।इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित थे।