
माउंट आबू के उतरज गांव में पहली बार पहुंचा ट्रैक्टर, कंधों पर ढोकर लिखी नई इबारत
ट्रैक्टर को रस्सियों से बांधा और कंधों पर उठाकर 5 किलोमीटर का कठिन सफर तय किया।
माउंट आबू, 19 मई 2025: राजस्थान के माउंट आबू की 1400 मीटर ऊंची पहाड़ियों में बसा उतरज गांव आज एक ऐतिहासिक पल का गवाह बना। इस छोटे से गांव में, जहां आज तक बैलों के सहारे खेती होती थी, पहली बार एक ट्रैक्टर पहुंचा—वह भी ग्रामीणों के कंधों पर लादकर। सड़क तो दूर, गांव तक पहुंचने के लिए पैदल चलने लायक रास्ता भी नहीं है, फिर भी एक किसान की जिद और जुनून ने यह करिश्मा कर दिखाया।
उतरज गांव, जहां खेती-बाड़ी ही आजीविका का मुख्य साधन है, वहां के किसानों ने वर्षों से बैलों के साथ कठिन परिश्रम किया। लेकिन बदलते वक्त के साथ आधुनिक खेती की जरूरत महसूस हुई। ट्रैक्टर खरीदने का सपना तो पूरा हो गया, मगर उसे गांव तक पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं था। संकरे, पथरीले रास्तों और खड़ी चढ़ाई ने हर किसी को सोच में डाल दिया। फिर भी, गांव के युवाओं और बुजुर्गों ने मिलकर हिम्मत दिखाई। करीब 30 लोगों ने एकजुट होकर ट्रैक्टर को रस्सियों से बांधा और कंधों पर उठाकर 5 किलोमीटर का कठिन सफर तय किया।
गांव के सरपंच रामलाल ने बताया, “हमारे लिए यह सिर्फ ट्रैक्टर नहीं, प्रगति का प्रतीक है। हमारे बच्चों को अब खेती में कम मेहनत और ज्यादा फसल की उम्मीद है।” ट्रैक्टर के गांव में प्रवेश करते ही ढोल-नगाड़ों के साथ उत्सव सा माहौल बन गया। महिलाओं ने तिलक लगाकर और बच्चे खुशी से उछलते हुए इस नए मेहमान का स्वागत किया।
यह घटना न केवल उतरज गांव की मेहनत और एकजुटता की मिसाल है, बल्कि उन तमाम पहाड़ी गांवों के लिए प्रेरणा भी है, जहां संसाधनों की कमी के बावजूद हौसले बुलंद हैं। ट्रैक्टर की यह यात्रा उतरज के लिए एक नई शुरुआत है—आधुनिकता और परंपरा के बीच एक खूबसूरत सेतु।
भारत संवाद/नागौर/मुरलीधर पारीक