
दूसरों को सुधारने की बजाय खुद को सुधारने पर ध्यान दो
राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागर जी महाराज ने सत्संग सभा में ओजस्वी विचार व्यक्त किए
रिपोर्ट सुधीर बैसवार
सनावद / सुख आए तो हंस लो और दुःख आए तो हंसी में उड़ा दो। जिससे मन की शांति भंग हो,उसे त्याग दो। दूसरों को सुधारने की बजाय खुद को सुधारने पर ध्यान दो। व्यक्ति अपनी पुण्याई से उन्नति करता है।
ये प्रेरक उद्गार राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागर जी महाराज ने यहां श्वेतांबर जैन स्थानक भवन में आयोजित सत्संग सभा में व्यक्त किए। महाराज जी ने सभा में उपस्थित श्रावकों के समक्ष सुमधुर वाणी में प्रेरणादायी भजन के माध्यम से सुखमय जीवन जीने के सूत्र बताए। महाराजजी ने कहा कि हमारा जीवन ईश्वर का प्रसाद है। इसे विषाद में नहीं बदलना चाहिए। ईश्वर ने सबको एक जैसा बनाया है। सबके जीवन में अलग-अलग समस्या है। लेकिन समस्याओं से भयभीत नहीं होना चाहिए। क्योंकि हर समस्या का हल भी है। जीवन है तो उठापटक लगी रहेगी। इसलिए स्वयं को साहस के साथ हर परिस्थिति के लिए हमेशा तैयार रखिए। महाराजजी ने कहा कि प्रेम,शांति,आनंद के जीवन व्यतीत करो। सुख आए तो हंस लो और दुःख आए तो दुःखों को हंसी में उड़ा दो। जीवन की प्रत्येक घटना को सहजता से लो। परिस्थितियों के वशीभूत होकर विचलित नहीं होना चाहिए। जो मेरा है वो जाएगा नहीं। जो चला गया वो मेरा नहीं। जिससे मन की शांति भंग हो उसे त्याग दो। भगवान महावीर और महात्मा बुद्ध ने मन की शांति के लिए संपूर्ण वैभव त्याग दिया। मानव के लिए मन की शांति और चैन की नींद बहुत बड़ा वरदान है। जिसकी चाह गई चिंता मिटी उसको किसी चीज की जरूरत नहीं। अपनी मस्ती के मालिक बनो। मुस्कुरा कर जियो मुरझा कर नहीं। लोगों की बातों का भार अपने ऊपर मत लो। इसके पूर्व
युवा संत शांति सागर जी महाराज ने कहा कि सनावद नगर आगमन पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि सनावद नगर तपस्वियों की भूमि है। सनावद नगर धर्म क्षेत्र में अग्रणी है। महाराज जी कहा कि स्वयं को उदार बनाओ। हमेशा परोपकार का काम करो। क्योंकि हम जो करेंगे वही हमें वापस मिलेगा। दुनिया में तीन प्रकार के लोग होते हैं। पहला दूसरों की पीड़ा देख कर भागने वाले,दूसरा वो लोग जो दूसरों को दुःखी करते हैं और तीसरा दूसरों का दुःख दूर करने वाले लोग। इसलिए संकल्प करो कि हम कभी किसी का बुरा नहीं करेंगे और रोज एक भलाई का काम करेंगे।महाराज जी ने सभी को भलाई करने का संकल्प दिलाया। महाराज जी ने कहा कि बद्दुआ कभी पीछा नहीं छोड़ती।भूलकर भी किसी की बद्दुआ मत लो। पशु पक्षी की भी बद्दुआ मत लेना। बद्दुआ सफल व्यक्ति को भी असफल कर देती है। जियो और जीने दो का मंत्र अपनाओ।
सत्संग सभा के आरंभ में मंगलाचरण उषा लाठिया और अनिता भागचंद जैन ने किया। इस अवसर पर विधायक सचिन बिरला ने ललितप्रभ महाराज जी का वंदन किया और आशीर्वाद ग्रहण किया। भागचंद जैन और विपिन लाठिया ने विधायक को जैन साहित्य प्रदान किया।
इस दौरान जैन विद्वान डॉ.नरेंद्र जैन भारती,राजेंद्र महावीर,श्रेणिक जैन,संदीप चौधरी,देवेंद्र जैन काका,विजय काला,शैलेश लाठिया,भूपेंद्र लाठिया,विजय घरिया,महेश परवाल,विमल बनवट,बसंत गोलेछा,प्रेमचंद लोढ़ा,नवनीत जैन,अमित लोढ़ा,संजय कोचर,विवेक मंत्री,केतन पारेख,हेमंत जैन,रजनीश जैन सहित सर्वसमाज के नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
महाराजजी का सनावद नगरगमन रविवार की प्रातः 8 बजे हुआ। सत्संग के पश्चात शाम 5 बजे महाराज जी बासवा की ओर विहार कर गए।