
भारतीय सेना जाति,धर्म,भाषा,क्षेत्र से परे समूचे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करती है: पूर्व एयर मार्शल शशिकर चौधरी*
रिपोर्ट सुधीर बैसवार
सनावद / भारतीय सेना एक जीवन शैली है। जिसमें अनुशासन,पराक्रम,आत्मसम्मान और राष्ट्रप्रेम शामिल है। भारतीय सेना धर्म, जाति,भाषा और क्षेत्रवाद से परे संपूर्ण राष्ट्र का प्रतिधिनिधित्व करती है।
य़ह विचार भारतीय वायु सेना से हाल ही में सेवानिवृत्त एयर मार्शल शशिकर चौधरी ने यहां पत्रकार वार्ता में व्यक्त किए। गुरुवार को दिगंबर जैन समाज और पूर्व सैनिकों ने सनावद नगरागमन पर चौधरी का भावभीना अभिनंदन किया। पूर्व एयर मार्शल चौधरी की प्रारंभिक शिक्षा खंडवा में हुई। तत्पश्चात एसजीएसआईटीएस इंदौर से बीई और कानपुर से आईआईटी की उपाधि प्राप्त की।
चौधरी ने बताया कि बदलते समय के साथ भारतीय सेना में टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ गया है। लेकिन भारतीय सेना का मूलभूत आधार शौर्य,बलिदान और आत्मसम्मान है। पहले की तुलना में आज का भारतीय सैनिक डिजिटल इनेबल सोल्जर है। भारत की नीति रही है कि भारत किसी भी दूसरे राष्ट्र पर पहले हमला नहीं करेगा।लेकिन जब कोई हमें उकसाएगा या हमारी संप्रभुता,अखंडता पर आक्रमण करेगा तो भारत की सेना उसका मुंहतोड़ जवाब देगी। चौधरी ने कहा कि गत सात मई को भी जब भारत की संप्रभुता और अखंडता पर आतंकवादियों ने हमला किया तब भारत की सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से दुश्मन के ठिकानों पर सफलतापूर्वक हमला किया। चौधरी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर 110 प्रतिशत सफल रहा है। जिसमें भारत ने यह संदेश दिया है कि जरूरत पड़ने पर भारत की घर दुश्मन के घर में घुसकर करारा जवाब देगी। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पार नहीं करते हुए रॉकेट और मिसाइलों के सटीक निशाने से दुश्मन के आतंक के ठिकानों को बर्बाद किया और कई आतंकवादी मार गिराए।भारत और चीन के बीच संभावित युद्ध के बारे में पूछे गए प्रश्न के जवाब में चौधरी ने कहा कि ना तो भारत और ना ही चीन युद्ध के लिए तैयार है। क्योंकि दोनों देश आर्थिक रूप से समृद्ध होना चाहते हैं। युद्ध के दौरान देश का औद्योगिक उत्पादन ठप हो जाता है। जान-माल का नुकसान होता है और देश की अधोसंरचना को भारी हानि पहुंचती है। चौधरी ने कहा कि डोकलाम में भारतीय सेना ने चीन की सेना से बराबरी के साथ मुकाबला किया और भारत की एक इंच जमीन भी नहीं जाने दी। चौधरी ने कहा कि युद्ध शुरू होने के बाद युद्ध को रोकना अत्यंत कठिन होता है। यूक्रेन-रूस युद्ध इसका उदाहरण है।चौधरी ने सुझाव दिया कि स्कूलों में भारतीय सेना का पाठ शामिल किया जाना चाहिए।ताकि विद्यार्थी भारतीय सेना के बारे में जान सकें। इस दौरान समाजसेवी राजेंद्र जैन महावीर,संदीप चौधरी,हेमू जैन,रजनीश जैन,नवनीत जैन,पूर्व सैनिक सरोज इंगला आशीष सिंह खालसा,चिंताराम बिरला,धरमवीर बिरला,गोपाल दुबे,अजय जैन,हुकुमचंद कटारिया,देवेंद्र जैन काका,अनुपमा जैन,संतोष सेन आदि उपस्थिति थे।