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नागौर स्थापना दिवस पर इतिहास आपणी नागौर,भौम रो..!

आ धरती शूरा,संता री...आ धरती वीरा, धोरा री..ई धरती ने हूं निवण करूं ई धरती रो रूझबो भारी

भारत संवाद/नागौर/मुरलीधर पारीक

 

मुरली पारीक

 

नागौर, राजस्थान का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जिला, अपने गौरवशाली इतिहास, वीर योद्धाओं और भक्ति परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। नागौर दिवस, जो अक्षय तृतीया के दिन मनाया जाता है, इस क्षेत्र की स्थापना और इसके समृद्ध अतीत को स्मरण करने का अवसर है।

▶️नीचे नागौर की स्थापना, इतिहास, योद्धाओं और भक्तों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।

🚩नागौर की स्थापना

नागौर की स्थापना का इतिहास त्रेता युग से जोड़ा जाता है, और इसे अक्षय तृतीया के दिन स्थापित माना जाता है। प्राचीन काल में इसे अहिछत्रपुर या नागपुर के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ है “नागों (सर्पों) का नगर” या “नाग वंश का नगर”। इतिहासकारों के अनुसार, नागौर की स्थापना नागवंशी क्षत्रियों द्वारा की गई थी, और यह क्षेत्र महाभारत काल में जांगलदेश के रूप में जाना जाता था।

🚩महाभारत काल:

महाभारत के उद्योग पर्व (अध्याय 54, श्लोक 7) में नागौर को अहिछत्रपुर के रूप में उल्लेखित किया गया है, जो उस समय कौरवों के अधीन था। यह भी कहा जाता है कि अर्जुन ने इस क्षेत्र को जीतकर अपने गुरु द्रोणाचार्य को भेंट किया था।

🚩नागवंशी शासक:

दूसरी शताब्दी में नागवंशी राजपूतों ने इस क्षेत्र में किला बनवाया, जिसे बाद में चौहान, राठौड़ और मुगल शासकों ने विकसित किया।

🛑आधुनिक संदर्भ:

नागौर को स्वतंत्र भारत में पंचायती राज की शुरुआत के लिए भी जाना जाता है, जिसकी नींव 1959 में यहां रखी गई थी।

🛑नागौर का संपूर्ण इतिहास

नागौर का इतिहास 25,000 साल पुराना माना जाता है, और यह विभिन्न युगों में कई राजवंशों और संस्कृतियों का गवाह रहा है। इसका इतिहास निम्नलिखित चरणों में विभाजित किया जा सकता है:

📍. प्राचीन काल महाभारत युग:

नागौर को अहिछत्रपुर के नाम से जाना जाता था। यह क्षेत्र गुरु द्रोणाचार्य का धनुष विद्या का केंद्र था। महाभारत में इसे जांगलदेश का हिस्सा बताया गया है।

📍नागवंशी शासन:

दूसरी शताब्दी में नागवंशी क्षत्रियों ने नागौर दुर्ग का निर्माण किया, जिसे बाद में कई बार पुनर्निर्माण किया गया।

🛑प्राकृतिक और औषधीय महत्व:

प्राचीन काल में नागौर में द्रुमकुल्य नामक समुद्र था, और यह क्षेत्र कैर, कुमटी, खेजड़ी, शंखपुष्पी जैसी औषधीय वनस्पतियों का भंडार था।

🛑. मध्यकाल

मौर्य और गुप्त काल: नागौर मौर्य सम्राट अशोक के अधिकार क्षेत्र में था। गुप्त काल में इसने शकों को पराजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रतिहार और चौहान शासन 6वीं से 12वीं शताब्दी तक प्रतिहार और चौहान वंशों ने नागौर पर शासन किया। चौहान शासक सोमेश्वर के सामंत कैमास ने 1154 में नागौर किले की नींव रखी।

🛑मुगल शासन:

16वीं शताब्दी में शेरशाह सूरी ने नागौर पर कब्जा किया और इसका नाम बदलकर नागौर किया। मुगल सम्राट अकबर ने 1570 में यहां दरबार लगाया। शाहजहां ने नागौर को राजा अमर सिंह राठौड़ को उपहार में दिया।

🛑मराठा और ब्रिटिश प्रभाव:

18वीं शताब्दी में मराठों ने और 1818 में ब्रिटिश साम्राज्य ने नागौर पर नियंत्रण स्थापित किया।

🚩. स्वतंत्रता के बाद

नागौर स्वतंत्र भारत में राजस्थान का एक महत्वपूर्ण जिला बना। यह पंचायती राज की शुरुआत का केंद्र रहा और आज भी अपने खनिज संसाधनों, मसालों और पशु मेले के लिए प्रसिद्ध है।

🚩नागौर के प्रसिद्ध योद्धा

नागौर ने कई वीर योद्धाओं को जन्म दिया, जिन्होंने अपनी शौर्य गाथाओं से इस क्षेत्र का नाम रोशन किया। कुछ प्रमुख योद्धा निम्नलिखित हैं:

राव अमर सिंह राठौड़ (1613-1644):

नागौर के सबसे प्रसिद्ध योद्धा, जिन्होंने मुगल सम्राट शाहजहां की सेना का डटकर मुकाबला किया। उन्होंने अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और अपनी वीरता से नागौर का नाम अमर किया।

उनकी छतरी और पैनोरमा नागौर शहर में आज भी जन आस्था का केंद्र हैं।

अमर सिंह ने मुगल सेना के खिलाफ कई युद्ध लड़े और उनकी वीरता की कहानियां लोककथाओं में आज भी जीवित हैं।

🚩वीर तेजाजी (1074-1103):

खरनाल (नागौर से 15 किमी दूर) में जन्मे वीर तेजाजी एक लोक देवता और जाट योद्धा थे। वे धोलिया गोत्र के थे और उनकी वीरता की कहानियां राजस्थान और मध्य प्रदेश में प्रसिद्ध हैं।

तेजाजी ने पशुओं और किसानों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनकी जन्मस्थली खरनाल आज भी तीर्थस्थल है।

🛑राव चंद्रसेन:

राठौड़ वंश के शासक, जिन्होंने नागौर को एक शक्तिशाली गढ़ बनाया। उन्होंने मुगलों के खिलाफ कई युद्ध लड़े और नागौर की स्वतंत्रता की रक्षा की।

🛑राव चूड़ामणि:

नागवंशी जाट शासक, जिन्होंने 200 वर्ष तक नागौर पर शासन किया। उनकी शौर्य गाथाएं स्थानीय लोककथाओं में प्रचलित हैं।

🛑रानाबाई (1504-1570):

हरनावा (नागौर) में जन्मी रानाबाई एक जाट योद्धा और कवयित्री थीं। उन्हें “राजस्थान की दूसरी मीरा” कहा जाता है। उन्होंने युद्धों में भाग लिया और अपनी कविताओं के माध्यम से भक्ति और शौर्य का संदेश दिया।

🛑नागौर के प्रसिद्ध भक्त

नागौर भक्ति परंपरा का भी एक प्रमुख केंद्र रहा है। यहां कई संतों और भक्तों ने जन्म लिया, जिन्होंने अपनी भक्ति से इस क्षेत्र को आध्यात्मिक ऊंचाइयों तक पहुंचाया। कुछ प्रमुख भक्त निम्नलिखित हैं:

🚩मीराबाई (1498-1547):

मेड़ता (नागौर जिला) में जन्मी मीराबाई श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थीं। उनकी भक्ति भजनों ने उन्हें विश्व प्रसिद्ध बनाया।

मेड़ता में मीराबाई का मंदिर आज भी भक्तों के लिए तीर्थस्थल है। उनके जीवन को नागौर किले में लाइट-साउंड शो के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है।

मीरा ने राजसी वैभव त्यागकर वैराग्य का मार्ग अपनाया और वृंदावन-द्वारका में भक्ति का प्रचार किया।

🚩रानाबाई:

जैसा कि पहले उल्लेख किया गया, रानाबाई न केवल योद्धा थीं, बल्कि श्रीकृष्ण की भक्त भी थीं। उनकी रचनाएं राजस्थानी भाषा में आज भी लोकप्रिय हैं।

🚩जांभोजी (1451-1536):

नागौर के पास जन्मे जांभोजी ने बिश्नोई संप्रदाय की स्थापना की। वे प्रकृति संरक्षण और अहिंसा के प्रबल समर्थक थे। उनकी शिक्षाएं आज भी बिश्नोई समुदाय में प्रचलित हैं।

🚩करमाबाई:

नागौर की एक अन्य भक्त, जिन्होंने श्रीकृष्ण की भक्ति में अपना जीवन समर्पित किया। उनकी भक्ति कथाएं स्थानीय स्तर पर प्रसिद्ध हैं।

🚩फूलांबाई:

राम भक्ति में लीन फूलांबाई नागौर की एक प्रसिद्ध भक्त थीं। उनकी भक्ति की कहानियां लोकप्रिय हैं।

⭐सूफी संत हमीदुद्दीन फारूकी नागौरी:

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के प्रमुख शिष्य, हमीदुद्दीन नागौरी की दरगाह नागौर में हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है। उनकी शिक्षाओं ने सूफी भक्ति को बढ़ावा दिया।

🚩हरिरामजी और लिखमीदासजी महाराज:

ये दोनों भक्त नागौर की आध्यात्मिक परंपरा के महत्वपूर्ण स्तंभ थे। उनकी भक्ति और सामाजिक सुधारों ने नागौर को प्रभावित किया।

🛑नागौर की अन्य विशेषताएं नागौर किला:

दूसरी शताब्दी में नागवंशियों द्वारा निर्मित, यह किला राजपूत-मुगल स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है। 2007 में इसके जीर्णोद्धार के बाद इसे यूनेस्को अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया गया।

किले में हाडी रानी महल, शीश महल, और बादल महल जैसे आकर्षण हैं। यह सूफी संगीत उत्सव का भी केंद्र है।

🐄पशु मेला:

नागौर का वार्षिक पशु मेला देश-विदेश से पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह मेले में नागोरी बैल और बकरियां विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।

🛑खनिज और मसाले:

नागौर अपने खनिज संसाधनों (विशेष रूप से मकराना का संगमरमर) और मसालों के लिए जाना जाता है। मकराना का संगमरमर ताजमहल के निर्माण में उपयोग हुआ।

📍नागौरी कसूरी मेथी का बोलबाला संपूर्ण विश्व में सदैव बना रहा हे।

🛑नागौर के मशहूर कवि: स्वर्गीय कानदान जी कल्पित जिनका जन्म नागौर एक एक गांव झोरड़ा में हुआ उनकी कविता और रचनाएं संपूर्ण विश्व में प्रसिद्धि पाई हे।

 

🎵कवि की कल्पना

नागौर, तू रेत का गीत, तपती धूप का साहस,

तेरे किले की प्राचीरों में गूंजती हैं वीरों की आहट,

हर पत्थर में बस्ती है अमर सिंह की वीरता,

हर मेहराब में मीराबाई की भक्ति का आलम।

तू अहिछत्रपुर, नागवंश का प्राचीन गर्व,

महाभारत की गोद में जन्मा, जांगलदेश का स्वर्ण,

तेरे रेगिस्तान में खिलते हैं खेजड़ी के फूल,

और गूंजती है तेजाजी की बलिदान की भूल।

योद्धाओं का आलम, भक्तों का मधुर राग

तेरी धरती पर रणबाई ने तलवार और भजन गाए,

जांभोजी ने सिखाया प्रकृति से प्रेम का पैगाम,

हमीदुद्दीन की दरगाह में बस्ता है सूफी का सलाम,

और मेड़ता में मीरा के भजन गूंजते हैं आज।

नागौर, तू राठौड़ों का शौर्य, चौहानों का मान,

मुगलों की छाया में भी तेरा रहा स्वाभिमान,

तेरे पशु मेले में गूंजता है जीवन का उत्सव,

और मकराना के संगमरमर में बस्ता है कला का वास्तव।

रेत का काव्य, समय का साक्षी

तेरी हवाओं में बस्ती हैं रेगिस्तान की कहानियां,

हर दाने में छिपी हैं वीरों की बलिदानियां,

नागौर, तू कवि का काव्य, चित्रकार का चित्र,

तेरे हर रंग में बस्ता है राजस्थान का नम्र।

तू रेत का सागर, जिसमें इतिहास की लहरें,

तू भक्ति का दीप, जो जलता है सदा सहरों में,

नागौर, तू काल के कपाल पर अमर बिंदिया,

तेरी हर गली में बस्ती है राजस्थान की जिंदिया

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🚩धार्मिक स्थल:

बंशीवाला मंदिर, ब्रह्माणी माता मंदिर,बुटाटी धाम, मीरा नगरी, राना बाई, नर हरिदास बारठ स्मारक,भंवाल की माता,ब्रह्माणी माता,तारकीन शाह की दरगाह, और बड़े पीर साहब की दरगाह नागौर के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं।

🛑निष्कर्ष

नागौर, जिसे “राजस्थान का दिल” कहा जाता है, एक ऐसा क्षेत्र है जहां इतिहास, शौर्य, और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इसकी स्थापना महाभारत काल में हुई थी, और यह विभिन्न राजवंशों—नागवंशी, चौहान, राठौड़, मुगल, और ब्रिटिश—का गवाह रहा है। राव अमर सिंह राठौड़ और वीर तेजाजी जैसे योद्धाओं ने इसकी शौर्य गाथाएं लिखीं, जबकि मीराबाई, रानाबाई, और जांभोजी जैसे भक्तों ने इसे आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाया। नागौर दिवस इस गौरवशाली इतिहास संग्लन

भारत संवाद/नागौर/मुरलीधर पारीक

मुरलीधर पारीक नागौर

मुरलीधर पारीक भारत संवाद नागौर से हैं,मुरलीधर पारीक वर्तमान में भारत संवाद,TV वेब,सहित भारत संवाद न्यूज समूह के सभी प्लेटफार्म के लिए योगदान दे रहे हे..!

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