Murshidabad Violence : सोशल मीडिया को बनाया गया हथियार, फैलाई गई अफवाह
कौशिक नाग-कोलकाता Murshidabad Violence : सोशल मीडिया को बनाया गया हथियार, फैलाई गई अफवाह बंगाल हिंसा को लेकर बड़ी बात सामने आई है. वॉट्सऐप ग्रुपों, फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स और लोगों के बीच फैली अफवाहों की वजह से मुर्शिदाबाद में हिंसा फैली. नए वक्फ कानून के मद्देनजर सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी. हिंसा में तीन लोगों की जान चली गई. पुलिस ने 1,093 सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक कर दिया है. 221 लोगों को गिरफ़्तार किया है. अंग्रेजी वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस ने इस संबंध में खबर प्रकाशित की है. राज्य पुलिस और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा स्थानीय लोगों से बातचीत के आधार पर खबर प्रकाशित की गई है. कई संगठनों ने नए कानून के विरोध में रैलियां बुलाई थीं. हिंसा के संकेत 8 अप्रैल को मिले, जब प्रदर्शनकारियों ने नेशनल हाईवे 12 पर उमरपुर में पुलिस के साथ झड़प की. दो पुलिस जीपों को आग लगा दी. एक अधिकारी ने कहा, “जब हिंसा की पहली घटना दर्ज की गई, तो पुलिस ने स्थिति को कंट्रोल करने के लिए आंसू गैस और लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया.” लेकिन 11 अप्रैल का नजारा अलग था. उस दिन एनएच-12 एक तरह से युद्ध क्षेत्र बन गया, जिसमें भीड़ ने साजुरमोर और डाकबंगला इलाकों में बसों, निजी वाहनों, पुलिस जीपों को जला दिए. इसके साथ ही शमशेरगंज, धूलियान और सुती जैसे गांवों में सांप्रदायिक हिंसा फैल गई. यहां जाफराबाद में पिता और पुत्र को भीड़ ने घर से घसीटकर मार डाला. वहीं सुरजरमोर में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में तीन युवक गोली लगने से घायल हो गए. इनमें से एक युवक एजाज अहमद की एक दिन बाद मौत हो गई. जिला अधिकारियों और पुलिस कर्मियों के अनुसार, हिंसा से पहले सोशल मीडिया और व्हाट्सएप ग्रुपों पर गलत खबर वायरल होने लगे थे. भड़काऊ मैसेज वायरल किए गए. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “भड़काने वाले मैसेज वायरल किए गए- जैसे कि जमीन, धार्मिक स्थल और यहां तक कि कब्रिस्तान भी छीन लिए जाएंगे. लोगों को यह आभास दिया गया कि लोगों के पूजा करने के अधिकार में बाधा डाली जाएगी. इसके साथ ही, इस गलत मैसेज को वायरल करने के लिए कई फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाए गए.” मृतक एजाज अहमद के ही गांव के एक निवासी ने बताया कि रैलियों के लिए हजारों युवाओं को जुटाया गया था. बहुत से युवा दूसरे शहरों में काम करते हैं, लेकिन ईद के लिए वापस आ गए थे. एजाज, वास्तव में चेन्नई के एक होटल में काम करता था और उसे 13 अप्रैल को जाना था.”