
पूर्व वरिष्ठ पार्षद सगीर खान ने कहा, कि जलसंसाधन उप-संभाग केशकाल द्वारा खालेमुरवेन्ड व निराछिंदली जलाशय शीर्ष,नहर सुधार व नहर लाइनिंग कार्य जो हो रहा है और जो हो चुका है,इन निर्माण कार्यों में ठेकेदार द्वारा गंभीर अनियमितता बरती गई है और सतत् जारी भी है।कार्यस्थल को देखने से स्पष्ट पता लगता है, कि सिंचाई परियोजनाओं के लिए जिस विशेष प्रकार की यू पी सी सीमेंट का उपयोग किया जाना चाहिए उसके स्थान पर घटिया किस्म की पीपीसी सीमेंट का उपयोग किया गया है जिससे उक्त निर्माण कार्य में लंबी दरारें पड़ गई है और नवीन निर्माण कार्य को भी मरम्मत की जरुरत पड़ रही है,जो कलवर्ट बनाए गए है उनकी स्थिति भी बद से बदतर है जिसे कोई भी जाकर देख सकता है।दूसरा घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग से निर्माण कार्य औचित्यहीन हो गया है साफ है कि वर्षा ऋतु में नहर मिट्टी से भर जाएगा,तीसरा कृषकों को इससे कोई लाभ नहीं होगा क्योंकि वर्षा ऋतु में सिंचाई के लिए पानी ज़रूरत होती नहीं और गर्मी में उक्त दोनों जलाशय में पानी इतना होता ही नहीं, कि कृषकों को उक्त निर्माण कार्य का लाभ मिल सके इससे स्पष्ट पता लगता है कि उक्त निर्माण कार्य सिर्फ और सिर्फ अधिकारियों और ठेकेदारों को लाभ पहुंचने के लिए स्वीकृत करवाए गए है इससे कृषकों को कोई लाभ होने की संभाना नहीं है।
मुझे याद है, कि 2003 से 2012 के बीच भी जलसंसाधन विभाग द्वारा अनेकों कार्य स्वीकृत करवाए गए और बड़ी-बड़ी बातें की गई कि इससे हजारों हेक्टेयर भूमि सिंचित हो जाएगी लेकिन वो सिर्फ जुमला निकला न एनीकेट में नगर बने न उसमें पानी रुका क्योंकि गेट भी बेचकर खा गए, ऐसी ही स्टॉपडेम की हुई निर्मित संरचना या तो आधा वर्षा ऋतु में बह गया और गेट गायब हो गए या लगाए ही नहीं गए जिसके जीवंत उदाहरण मुरनार और चेरबेड़ा में आज भी उपलब्ध है।
मेरी शासन प्रशासन से मांग है, कि उक्त अनियमितताओं की उच्च स्तरीय जांच करवा कर कड़ी कार्यवाही की जाए।पूर्व वरिष्ठ पार्षद सगीर खान ने कहा, कि जलसंसाधन उप-संभाग केशकाल द्वारा खालेमुरवेन्ड व निराछिंदली जलाशय शीर्ष,नहर सुधार व नहर लाइनिंग कार्य जो हो रहा है और जो हो चुका है,इन निर्माण कार्यों में ठेकेदार द्वारा गंभीर अनियमितता बरती गई है और सतत् जारी भी है।कार्यस्थल को देखने से स्पष्ट पता लगता है, कि सिंचाई परियोजनाओं के लिए जिस विशेष प्रकार की यू पी सी सीमेंट का उपयोग किया जाना चाहिए उसके स्थान पर घटिया किस्म की पीपीसी सीमेंट का उपयोग किया गया है जिससे उक्त निर्माण कार्य में लंबी दरारें पड़ गई है और नवीन निर्माण कार्य को भी मरम्मत की जरुरत पड़ रही है,जो कलवर्ट बनाए गए है उनकी स्थिति भी बद से बदतर है जिसे कोई भी जाकर देख सकता है।दूसरा घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग से निर्माण कार्य औचित्यहीन हो गया है साफ है कि वर्षा ऋतु में नहर मिट्टी से भर जाएगा,तीसरा कृषकों को इससे कोई लाभ नहीं होगा क्योंकि वर्षा ऋतु में सिंचाई के लिए पानी ज़रूरत होती नहीं और गर्मी में उक्त दोनों जलाशय में पानी इतना होता ही नहीं, कि कृषकों को उक्त निर्माण कार्य का लाभ मिल सके इससे स्पष्ट पता लगता है कि उक्त निर्माण कार्य सिर्फ और सिर्फ अधिकारियों और ठेकेदारों को लाभ पहुंचने के लिए स्वीकृत करवाए गए है इससे कृषकों को कोई लाभ होने की संभाना नहीं है।
मुझे याद है, कि 2003 से 2012 के बीच भी जलसंसाधन विभाग द्वारा अनेकों कार्य स्वीकृत करवाए गए और बड़ी-बड़ी बातें की गई कि इससे हजारों हेक्टेयर भूमि सिंचित हो जाएगी लेकिन वो सिर्फ जुमला निकला न एनीकेट में नगर बने न उसमें पानी रुका क्योंकि गेट भी बेचकर खा गए, ऐसी ही स्टॉपडेम की हुई निर्मित संरचना या तो आधा वर्षा ऋतु में बह गया और गेट गायब हो गए या लगाए ही नहीं गए जिसके जीवंत उदाहरण मुरनार और चेरबेड़ा में आज भी उपलब्ध है।
मेरी शासन प्रशासन से मांग है, कि उक्त अनियमितताओं की उच्च स्तरीय जांच करवा कर कड़ी कार्यवाही की जाए।