
*जल संसाधन विभाग कोंडागांव में सिंचाई परियोजनाओं में भारी अनियमितता*
पूर्व वरिष्ठ पार्षद सगीर खान ने कहा , कि जिला कोंडागांव में जलसंसाधन विभाग संभाग-कोंडागांव द्वारा निर्मित व निर्माणाधीन एनीकेट,स्टॉपडेम एवं जलाशय शीर्ष कार्य,नहर सुधार व लाइनिंग कार्य में गंभीर अनियमितता बरती जा रही है।जैसे सिंचाई परियोजनाओं एवं जलमग्न निमार्ण कार्यों में एक विशेष सीमेंट का उपयोग किया जाता है जिसे यू.पी.सी सीमेंट कहते है परन्तु उक्त निर्माण कार्यों में जे.के लक्ष्मी जैसे पी.पी.सी सीमेंट का उपयोग किया जा रहा है जिससे निर्माण कार्य के दौरान ही दरारें आने लगी है तो उक्त कार्यों औचित्य पर ही प्रश्नचिन्ह लग जाता है।किसी भी सिंचाई परियोजनाओं एनीकेट या स्टॉपडेम में पहले नहर निर्माण का कार्य किया जाता है यदि नहर नहीं है तो इन सिंचाई परियोजनाओं का लाभ सीमित कृषकों ही मिल सकता है जिनके खेत इनके करीब हो लेकिन अमानक एनीकेट और स्टॉपडेम बनाकर सिर्फ और सिर्फ अधिकारी और ठेकेदार अपनी जेब भर रहे है।
ज्ञात हो कि 2003 से 20012 के बीच ऐसे सैकड़ों निर्माण कार्य जनसंसाधन विभाग द्वारा करवाए गए जहां ये एनीकेट और स्टॉपडेम मात्र सफेद हाथी बनकर रह गए है अधिकांश स्थानों पर निर्माण कार्यों घटिया होने कारण संरचना का आधा हिस्सा बह गया है और गेट या तो गायब हो गए है या कार्यस्थल पर ही पड़े पड़े जंग खा रहे है उदाहरण के लिए मुरनार, चेरबेड़ा जैसे अनेकों स्थान है। वर्तमान में भी कोई भी निर्माण कार्य प्राक्कलन के अनुरुप नहीं हो रहा है,घटिया से घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग किया जा रहा है यदि समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो सिर्फ शासन की राशि का दुरुपयोग होगा और कृषकों को इससे कोई लाभ नहीं होगा।
- मेरी शासन प्रशासन से मांग है, कि उक्त निर्माण कार्यों की उच्च स्तरीय जांच करवा कर दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जाए।पूर्व वरिष्ठ पार्षद सगीर खान ने कहा , कि जिला कोंडागांव में जलसंसाधन विभाग संभाग-कोंडागांव द्वारा निर्मित व निर्माणाधीन एनीकेट,स्टॉपडेम एवं जलाशय शीर्ष कार्य,नहर सुधार व लाइनिंग कार्य में गंभीर अनियमितता बरती जा रही है।जैसे सिंचाई परियोजनाओं एवं जलमग्न निमार्ण कार्यों में एक विशेष सीमेंट का उपयोग किया जाता है जिसे यू.पी.सी सीमेंट कहते है परन्तु उक्त निर्माण कार्यों में जे.के लक्ष्मी जैसे पी.पी.सी सीमेंट का उपयोग किया जा रहा है जिससे निर्माण कार्य के दौरान ही दरारें आने लगी है तो उक्त कार्यों औचित्य पर ही प्रश्नचिन्ह लग जाता है।किसी भी सिंचाई परियोजनाओं एनीकेट या स्टॉपडेम में पहले नहर निर्माण का कार्य किया जाता है यदि नहर नहीं है तो इन सिंचाई परियोजनाओं का लाभ सीमित कृषकों ही मिल सकता है जिनके खेत इनके करीब हो लेकिन अमानक एनीकेट और स्टॉपडेम बनाकर सिर्फ और सिर्फ अधिकारी और ठेकेदार अपनी जेब भर रहे है।
ज्ञात हो कि 2003 से 20012 के बीच ऐसे सैकड़ों निर्माण कार्य जनसंसाधन विभाग द्वारा करवाए गए जहां ये एनीकेट और स्टॉपडेम मात्र सफेद हाथी बनकर रह गए है अधिकांश स्थानों पर निर्माण कार्यों घटिया होने कारण संरचना का आधा हिस्सा बह गया है और गेट या तो गायब हो गए है या कार्यस्थल पर ही पड़े पड़े जंग खा रहे है उदाहरण के लिए मुरनार, चेरबेड़ा जैसे अनेकों स्थान है। वर्तमान में भी कोई भी निर्माण कार्य प्राक्कलन के अनुरुप नहीं हो रहा है,घटिया से घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग किया जा रहा है यदि समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो सिर्फ शासन की राशि का दुरुपयोग होगा और कृषकों को इससे कोई लाभ नहीं होगा।
मेरी शासन प्रशासन से मांग है, कि उक्त निर्माण कार्यों की उच्च स्तरीय जांच करवा कर दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जाए।