इंदौर में असहाय बच्चे अपनी पहचान एवं शिक्षा के लिए दस्तावेजो को तरस रहे जिला प्रशासन मदद करने में असफल
इंदौर में असहाय बच्चे अपनी पहचान एवं शिक्षा के लिए दस्तावेजो को तरस रहे जिला प्रशासन मदद करने में असफल
इंदौर में जिला प्रशासन ने भिक्षा नहीं शिक्षा दो पहल शुरू की है जिसमें साक्षरता दर में वृद्धि हो सके परंतु या बिना किसी सरकारी दस्तावेज के शिक्षा मिलना संभव नहीं है बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र नहीं है आधार कार्ड नहीं है और अन्य कई शासकीय दस्तावेज ना होने के कारण इन्हें विद्यालय में प्रवेश नहीं मिलता है ना की छात्रवृत्ति मिलती है,सभी सभी बच्चे मेधावी है और खेल में भी उत्कृष्ट है राज्य सरकार की कई ऐसी योजनाएं हैं जो कि बच्चों को मिलनी चाहिए पर दस्तावेज पूर्ण न होने के कारण बच्चों को इन सब योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है
कई बार दफ्तर दफ्तर भटक कर बच्चों के माता-पिता उम्मीद हार गए हैं अपने बच्चों को पालने के लिए दिहाड़ी करना होती है इसलिए बार-बार दफ्तर जाना भी उनके लिए संभव नहीं है।
*कई बार आवेदकों को अन्य दफ्तरों के चक्कर लगाने को किया क्या मजबूर*
हमारे यहां पर प्राथमिक सुविधाएं ही प्रशासन उपलब्ध नहीं करा पाया है हम टूटे हुए घरों में रहने को मजबूर है
कई बार गए तो अस्पताल से लिखा हुआ लाने का कहां पर इनका जन्म घर में हुआ है तो किसी भी अस्पताल से लिखित दस्तावेज लाना असंभव है