
अभी तो अप्रैल महीना में ही भीषण जल संकट का सामना करना पड़ रहा है कई ग्रामों को मई जून बाकी है अभी
22 अप्रैल 25
ब्यूरो किशोर सिंह राजपूत शाजापुर
शाजापुर जिले के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मी की शुरुआत में ही जल संकट गहराने लगा है ऐसे में ग्राम पंचायत और पीएचई विभाग जल संकट से लड़ने का प्रयास कर रहा है आपको बता दे की कालीसिंध नदी जो की आसपास के क्षेत्र के लिए पेयजल का पानी उपलब्ध करवाती है जो खुद इस बार पूरी तरह से सुख गई है जिसके कारण आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट उत्पन्न हो गया है ऐसे में नदी के किनारो पर बसे किसान नदी में ही गड्ढे खोदकर कुआ बनाकर बचे हुए पानी को सिंचाई के रूप में उपयोग कर रहे हैं जिसे जल्द नहीं रोका गया तो इन क्षेत्रों में भीषण जल संकट उत्पन्न हो जाएगा….जल संकट के कारण अब महिलाएं खेत खलियानों पर बने हुए एवं नलकूपों पर बड़ी संख्या में बर्तन लेकर पहुंच रही है और दूर दराज से अपने रोजमर्रा के पेयजल पानी के लिए पानी लाने को मजबूर है कालीसिंध नदी हर साल अप्रैल अंत में सूखती है, लेकिन इस बार फरवरी में ही सूख गई। इसकी वजह शाजापुर ज़िले में सामान्य बारिश 990.10 मिली मीटर के मुकाबले महज 897.70 मिली मीटर बारिश हुई है। अब हालात ऐसे हैं कि लोगों को पीने के लिए पर्याप्त पानी नही मिल रहा है। तो वहीं सिंचाई के लिए किसानों ने कालीसिंध नदी में बीच में कुंए खोदकर उनमें अपनी मोटरें लगा रखी हैं। जिससे वह अपने खेतों में सिंचाई कर रहे हैं… जानकारों का कहना है कि यह स्थिति पानी का लगातार दोहन करने और ग्राउंड वाटर रिचार्ज की व्यवस्था नहीं करने से बन रहे हैं। अगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो आगामी सालों में समस्या और भी विकराल होती जाएगी।
नदी में कुआं खोदने पर जानकारों का कहना है कि जब आप नदी में कुंए खोद लेंगे तो उसे जगह मिलेगी और जमीन के अंदर का यह पानी उस कुंए में तेजी से आने लगता है। अगर ऐसा लगातार और बड़े स्तर पर किया गया तो नदी खतरे में पड़ जाएगी। ऐसे हालात नहीं बने इसके लिए जरूरी है कि नदी के आसपास तालाब बनाए जाएं, ताकि ग्राउंड वाटर का स्तर बढ़े।तीन कुओं का पानी लाकर बुझा रहे प्यास पंचायत सचिव मानसिंह धानुक ने बताया कि कालीसिंध और पाडली में हालात ऐसे हैं कि लोगों के घरों तक पीने का पानी पहुंचाना भी मुश्किल हो रहा है। यहां एक किलो मीटर दूर से पाइप लाइन बिछाकर निजी कुओं का पानी सरकारी कुंए में लाया जा रहा है। इससे ग्राम पाडली स्थित नल जल योजना की टंकी में पानी चढ़ाया जाता है, तब कही जाकर 350 घरों में पानी सप्लाई हो पाता है। इन कुओं से इतना ही पानी मिलता है कि चार से पांच दिन में एक बार घरों में पानी सप्लाई किया जा रहा है।
ग्रामीण रशीद पठान का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में पर्याप्त पानी की व्यवस्था नहीं है कुए बर हैंड पंप सब सुख गए हैं जिससे पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.. एक ग्रामीण जल दूध का कहना है कि ग्राम पंचायत ने उसे उसके कुए का पानी मांगा और उसने अपनी खेती में पानी देने की वजह है उसे कुएं का पानी लोगों के लिए दे दिया है अब ग्राम पंचायत उसके कुए का पानी लोगों को पहेजल के लिए उपलब्ध करवा रही है… 10 मार्च से रोक, फिर भी सिंचाई शाजापुर कलेक्टर ने जिले को जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किया है। 10 मार्च को जारी आदेश में 31 जुलाई तक के लिए घरेलू इस्तेमाल के अलावा किसी भी जल स्रोत से सिंचाई और औद्योगिक कार्य के लिए पानी के उपयोग पर रोक लगाई गई है।
कालीसिंध पड़ली सरपंच प्रतिनिधि गोपाल सोलंकी का कहना है कि बारिश कम हुई, नदी में पर्याप्त पानी पहुंचा ही नहीं। सिंचाई के लिए लगातार पानी लिया जा रहा है। किसान नदी में कुए खोदकर फसल की सिंचाई कर रहे हैं। जिससे जितना भी पानी कुआ में है उन्हें टंकियां में चढ़कर लोगों की प्यास बुझाने का काम किया जा रहा है आगे विषम संकट को देखते हुए उन्होंने अभी से ग्राम पंचायत के माध्यम से टैंकर व्यवस्था भी शुरू कर दी है उनका कहना है कि उन्होंने कार्य योजना बनाकर जनपद पंचायत और phed विभाग को सोपी है जिससे ग्रामीणों को गर्मी में भीषण जल संकट नहीं देखना पड़े…
जिले में प्रतिवर्ष भीषण जल संकट गहराता जा रहा है जिसको देखते हुए मध्य प्रदेश शासन ने नर्मदा परियोजना का काम शाजापुर में शुरू करवाया है जिसको लेकर कंपनी द्वारा युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है कंपनी के अधिकारी पवन चौधरी ने बताया लाहोरी गांव के समीप वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है जहां नर्मदा का पानी आएगा और वहां से करीब जिले के 460 से अधिक गांव में शुद्ध पानी दिया जाएगा यह योजना 2027 तक कंप्लीट होगी इसके बाद कहीं जाकर ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त पानी मिलेगा और जल संकट खत्म होगा…