
14 मार्च को चैतन्य महाप्रभु की जयंती के शुभ अवसर पर रामकृष्ण मठ में होलिकोत्सव भव्य रूप से मनाया गया.
कार्यक्रम की शुरूआत प्रातः मंगलारति के बाद श्री मदन मोहनाष्टकम की विशेष स्तुति और श्रीमद्भगवद्गीता में भक्ति योग का पाठ रामकृष्ण मठ, लखनऊ के स्वामी इष्टकृपानन्द के नेतृत्व में किया गया।
रामकृष्ण संघ की परम्परा में होली उत्सव का परिपालन पर स्वामी मुक्तिनाथानन्दजी महाराज द्वारा प्रवचन दिया गया। उन्होंने कहा कि इस दिन मुख्य मंदिर में चैतन्य महाप्रभु की तस्वीर रखी जाती है और संन्यासी, ब्रह्मचारी और भक्तगण श्रीकृष्ण और चैतन्य महाप्रभु पर भक्ति गीत गाते हैं। बाद में वे नाचते-गाते मठ परिसर में घूमते हैं। मुख्य मंदिर में श्री रामकृष्ण की शाम की आरती के बाद, चैतन्य महाप्रभु की पूजा की जाती है। फिर एक वरिष्ठ संन्यासी महाप्रभु के जीवन और शिक्षाओं पर एक व्याख्यान देते हैं। होलिका दहन और होली, दोनों ही रामकृष्ण संघ में मनाए जाते हैं क्योंकि इस परंपरा का सम्मान और उत्सव भगवान श्री रामकृष्ण देव और उनके पार्षदों द्वारा स्वयं मनाया जाता था ।
उन्होंने कहा कि होली को भगवान विष्णु और उनके भक्त प्रह्लाद के सम्मान में बुराई पर विजय के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
तत्पश्चात प्रातः मठ के मुख्य मंदिर में भजन मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द महाराज द्वारा कई तरह के भजन गाये गये उस दौरान ढोलक एवं मंजीरा का वादन भी हुआ एवं वहां पर मठ के अन्य साधुवृन्द व भक्तगण उपस्थित थे। भजनोपरान्त उपस्थित कुछ भक्तों ने भजन गाते हुये भावयुक्त मुद्रा के साथ पूरे मंदिर की तीन बार परिक्रमा की। स्वामी मुक्तिनाथानन्दजी महाराज ने सर्वप्रथम त्रिमूर्ति, श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु को अबीर गुलाल लगाया उसके बाद उन्होंने वहां पर उपस्थित कुछ भक्तों को अबीर गुलाल लगाकर होली का उत्सव मानाया। इसके बाद सभी लोग उमंग पूर्वक नृत्य करते हुये प्रभु को स्मरण कर रहे थे साथ ही साथ हरि लूट का आयोजन स्वामी मुक्तिनाथानन्दजी महाराज के नेतृत्व में हुआ तथा सभी उपस्थित भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया।
रामकृष्ण मठ निराला नगर, लखनऊ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्दजी महाराज ने बताया कि होली रंग तथा उमंग का त्यौहार है और अगर इस त्योहार की शुरूआत भगवान के स्मरण से तो भक्तों का जीवन सदैव के लिए रंगों में सराबोर हो जाता है साथ ही साथ स्वामीजी ने बताया कि प्रेम के अवतार चैतन्य महाप्रभु की जयंती भी आज के दिन मनायी जाती है।