
खंडवा। आदिवासी क्षेत्र हरसूद-खालवा की बागडोर संभाले स्थानीय विधायक और मंत्री विजय शाह को 35 साल हो गए। इसी दिन उन्हें क्षेत्र के आदिवासी बहुल लोगों ने क्षेत्र के विकास की चाबी सौंपी थी। तब से 9 बार लोगों ने उन्हें चुना।
भाजपा की सरकार आते ही मध्यप्रदेश के हर मंत्रिमंडल में उन्हें जगह भी मिली। तब हरसूद और खालवा क्षेत्र के हालात क्या थे? आज क्या हैं? वहां के रहने वाले ही जानते हैं ।
एक दिन की छुट्टी नहीं ली
राजनीति में विजय शाह ने कदम रखा तब से एक दिन भी छुट्टी नहीं ली। लगातार वे इसी क्षेत्र के लिए काम करते रहे। कांग्रेस की सरकारों में उन्होंने विपक्ष की भूमिका निभाते हुए कुपोषण, आदिवासियों के शोषण उनके क्षेत्र में बिजली, पानी और सड़क जैसे इंतजाम न करने पर सरकारों को घेरा।
इस संघर्ष को कौन भूलेगा?
जिले के लोगों को न्याय न मिलने पर खुद सड़क पर उतरे। तत्कालीन कांग्रेसी सरकार ने उन्हें सड़क पर पुलिस के हाथों गंभीर घायल करवा दिया। इसके बावजूद संघर्ष काम नहीं हुआ। लगातार विधानसभा में सबूत सहित लोगों के मुद्दे और खालवा क्षेत्र के विकास की बात उठाते रहे।
विकास की नई इबारत लिखी
प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि
भाजपा की सरकार आई। इस वक्त से जंगलीपट्टी में विकास की नई इबारत गढ़ी जाने लगी। लोगों ने बिजली का उजाला पहली बार देखा। नल और पोखरों से पानी पीने वालों को पाइप लाइन से घर बैठे पानी मिलने लगा। जंगलों में रहने वाले आदिवासियों को नमक और मिर्च के लिए कोसों पैदल चलना पड़ता था। वह आज फर्राटे से आधे घंटे में मुख्यालय खालवा पहुंच जाते हैं।शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं हैं। यहां के बच्चे विजय शाह की मेहनत और काम करने के तरीके से विदेश में सरकारी खर्चे पर पढ़ रहे हैं। सड़कों और स्कूल तथा कॉलेज का जाल बिछा हुआ है।
मैं अपना फर्ज निभाता चला गया!
विजय शाह का कहना है कि लोगों ने लगातार ईमानदारी से एक ही व्यक्ति को चुना। मैंने भी अपना फर्ज निभाया। लोगों की मंशा पर खरा उतरा। यही मेरे लिए सौभाग्य की बात है। ईमानदारी से उनकी सेवा की। भगवान ने उन्हें भरपूर सहयोग भी दिया। ऊपर वाले और मतदाताओं का वह खुद को श्रेणी मानते हैं।