*सत्यानन्द शर्मा से भुट्टा भूटानी बनने तक का सफर*
*सत्यानन्द शर्मा से भुट्टा भूटानी बनने तक का सफर*
रिपोर्ट : राहुल मिश्रा /
सत्यानन्द शर्मा जिनको पब्लिक प्यार से भुट्टा भूटानी बोलती हैं, भुट्टा भूटानी सत्या इनका जन्म बिहार राज्य के एक छोटे से घूरघाट गाँव मे हुआ था, लेकिन वहां पढाई के सही सुविधा नही होने की वजह से उनके बड़े पापा कामता प्रसाद शर्मा हैं जी उनको पढाई के लिए गोरखपुर लेकर आये थे और उनका ही योगदान है कि आज एक छोटे से गाँव और गरीब परिवार में जन्म लिये भुट्टा भूटानी सत्या इतना बड़ा मुकाम पर है, भुट्टा भूटानी सत्या के बचपन से ही ‘लिखने’ में रुचि था,और वो बचपन से ही कविता लिखा करते थे,लेकिन उनको नही मालूम था कि लिखने का भी पैसा मिलता है,इसीलिए उनको पढाई के बाद जब भी समय मिलता था तब वो लिखते थे, क्योंकि उनको डायरी लिखने का बहुत शौख था और भुट्टा भूटानी सत्या आज भी डायरी लिखते हैं,भुट्टा भूटानी सत्या बताते हैं कि जब वो पढाई करते थे उसी समय उनका संपर्क भोजपुरी के एक डायरेक्टर से हुआ जिनका नाम गौरव पटेल गुड्डू था जो कि भोजपुरी इंडस्ट्री में बहुत बड़े बड़े फ़िल्म कर चुके थे उनसे हुआ है, और उन्होंने ही भुट्टा भूटानी सत्या का लिखने के कला को पहचाना और वही उनको प्रेरित किये जिससे भुट्टा भूटानी सत्या क़ा हौसला बढ़ा और वो अपना भाषा भोजपुरी में लिखने का प्लान बनाये, इसी बीच उनका संपर्क एक और भोजपुरी के बहुत ही बेहतरीन गायक अतुल ठाकुर और यशिका चंद्रा से हुआ,जिन्होंने बहुत ज़्यादा मदद किये । भुट्टा भूटानी सत्या ने पहला भोजपुरी एल्बम लिखे इसका नाम था,मरद सरकारी चाही और उनका लिखा वही गीत वायरल हो गया और फिर उन्होंने मन बनाया की अब भोजपुरी गीत ही लिखने है फिर उन्होंने बहुत सारे हिट एल्बम लिखें जैसे पियवा के पाके भूला गईलु, कमर के झटका और बहुत सारे फ़िल्म में भी गीत लिख चुके हैं जैसे नमकहराम ,हमार घर हमार संसार ना जाने अनेको फ़िल्म में लिख गीत लिख चुके हैं, और आज भुट्टा भूटानी सत्या किसी परिचय के मोहताज नही है उनको बिहार उत्तरप्रदेश नेपाल झारखंड जहाँ जहाँ भोजपुरी भाषा बोली जाती है और सुनी जाती है सभी लोग जानते हैं उनको लोग जानते और पहचानते है
मैं उनका उज्ज्वल भविष्य का कामना करता हूँ।।