
आधुनिक भारत के राष्ट्र नायक व संत स्वामी विवेकानन्द जी की 162वीं (6-दिवसीय) जयंती बड़े ही धार्मिक माहौल में पारम्परिक एवं पूर्ण रीति रिवाजो के साथ विधिवत अनुष्ठानिक प्रक्रिया से रामकृष्ण मठ, निराला नगर, लखनऊ में दूर-दराज से आये भक्तगणों की भागीदारी एवं उत्साह व त्यौहारिक माहौल के बीच दिन मंगलवार दिनांक 21 से रविवार 26 जनवरी, 2025 तक मनाया जा रहा है .
श्री रामकृष्ण मन्दिर के वृहद परिसर में कार्यक्रम की शुरूआत सुबह 5ः00 बजे शंख निनाद व मगंल आरती के बाद सुप्रभातम एवं प्रार्थना हुई। भक्तगणों की सतत् भागीदारी के साथ सूर्योदय से सूर्यास्त तक निरन्तर जप-यज्ञ, (बारी-बारी से इच्छुक भक्तगणों द्वारा भगवान का निरन्तर नाम जपन) का आयोजन प्रत्यक्ष रूप से रामकृष्ण मठ के पुराने मंन्दिर में हुआ।
तत्पश्चात, सुबह स्वामी विवेकानन्द की छवि को विशेष नाश्ता दिया गया।
उसके बाद विशेष पूजा, चण्डी पाठ, भक्तिगीत और मंत्रोच्चार किया गया। कठोपनिषद से पाठ स्वामी पारगानन्द द्वारा किया गया, इसके बाद हवन, पुष्पांजलि, शिवनाम संकीर्तन और भोगराती का आयोजन किया गया।
शाम को संध्या आरती के पश्चात उपस्थित भक्तगणों व आम जनमानस के लिए एक जनसभा का आयोजन हुआ जिसमें अद्वैत आश्रम, मायावती, प्रबुद्ध भारत के सम्पादक स्वामी दिव्यकृपानन्द ने स्वामी विवेकानन्द एक अद्वितीय पथप्रदर्शक विषय पर अपने विचार प्रकट करते कहा कि स्वामी विवेकानन्द को भारत के सबसे प्रभावशाली आध्यात्मिक दार्शनिक, शिक्षाविद् और विचारक के रूप में जाना जाता है। श्री रामकृष्ण उनके आध्यात्मिक गुरु थे, और वे रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के संस्थापक हैं। उन्हें उनके निडर साहस के लिए एक आदर्श माना जाता है। युवाओं के प्रति उनकी सकारात्मक सोच और कई सामाजिक समस्याओं के प्रति उनके व्यापक दृष्टिकोण, और वेदांत दर्शन पर अनगिनत व्याख्यान और प्रवचनों ने उन्हें जल्द ही सभी के बीच प्रसिद्ध कर दिया।
रामकृष्ण मठ, लखनऊ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द ने अध्यक्षीय भाषण देते हुये कहा कि भगवत गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कर्म योग का रहस्य बताया है और कर्म योगी की विशेषताओं का वर्णन किया है। कृष्ण अर्जुन को कर्म के परिणाम से जुड़े बिना कर्म करने के लिए कहते हैं। परिणाम का विचार करके किया गया कर्म निम्न स्तर का कर्म है। स्वामीजी के अनुसार, सभी धर्मों का लक्ष्य व्यक्ति को संसार के बंधन से मुक्ति दिलाने में मदद करना है। कर्म योग नैतिकता और धर्म की एक प्रणाली है जो उस स्वतंत्रता की ओर ले जाती है। एक कर्म योगी को भगवान या किसी धर्म में विश्वास करने की आवश्यकता नहीं है।