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पर्यावरण प्रदूषण नियन्त्रण का सबसे बड़ा माध्यम गोमाता ही है*- स्वामी गोपालानंद सरस्वती

सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित “गोवंश रक्षा वर्ष” के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 238 वें दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने जैन मुनि दर्शन सागर जी महाराज के गोलोक गमन पर श्रद्धांजलि देते हुए बताया कि पूज्य महाराज जी का जीवन दर्शन एवं फिलोशॉपी सनातन समाज को युगों युगों तक प्रेरणा देती रहेगी ।

पूज्य स्वामीजी ने कहा कि आज राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस है, और भोपाल गैस त्रासदी जैसी कोई घटना पुनः न हो जिसके कारण से कही लोग अपनी जान गंवा चुके थे । प्रदूषण दुनिया भर में एक बहुत बड़ी समस्या है और भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल की रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में हर साल लगभग 7 मिलियन लोग मरते हैं। प्रदूषण किसी भी पदार्थ, जैसे ठोस, तरल, गैस, या किसी भी प्रकार की ऊर्जा जैसे गर्मी, ध्वनि, आदि का पर्यावरण में शामिल होना है और प्रदूषण के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं जैसे पटाखे फोड़ना, कार्बन उत्सर्जन, बम विस्फोट, गैस रिसाव और उसके समाधान के लिए सबसे श्रेष्ठ माध्यम भगवती गोमाता है क्योंकि भगवती गोमाता की श्वास से निकली हुई पवित्र वायु एवं उसके रंभाने से निकली पवित्र ध्वनि आस पास के वातावरण को स्वत: ही शुद्ध कर देती है इसलिए *शासन को प्रदूषण पर नियंत्रण करना है तो भारत के प्रत्येक जिले में एक हजार बीघा भूमि पर गोशाला खोल देनी चाहिए ताकि उनकी पवित्र श्वास, गोबर,गोमूत्र से सम्पूर्ण वायुमंडल शुद्ध होकर प्रत्येक प्राणी को प्रदूषण से बचाया जा सकता है* और पूज्य महाराज जी ने संजीवन परिवार जो कार्बन कंट्रोल पर ही कार्य कर कार्बन का उत्सर्ग कम हो इसके लिए वृक्षारोपण का जो पवित्र कार्य कर रह है उसके लिए संपूर्ण संजीवन परिवार का आभार जताया और साथ ही सबसे आग्रह किया कि नदियों के तट, पहाड़ों की तलहटी,सरोवर के किनारे गोमाता के लिए सुरक्षित छोड़ दे तो प्रदूषण अपने आप घटने लग जाएगा।

स्वामीजी ने बताया कि आज विश्व कम्प्यूटर साक्षरता दिवस भी है हालांकि कम्प्यूटर विकास की दृष्टि से श्रेष्ठ है लेकिन इसके दुष्परिणाम भी खूब हुए है जिसमें सबसे बड़ी भूमिका मोबाईल की रही है अर्थात जब से मोबाईल आया है तब से रिश्ते नाते सब खत्म हो गए है और जिस दिन नेटवर्क नहीं आएं या मोबाईल की बैटरी ख़त्म हो जाएं तो उस दिन ऐसा बीतता है जैसे परिवार में किसी के चले जाने से दुःख होता है उससे कहीं गुणा दुःख उस मोबाईल धारक को होता है और अब तो सब को विचार करना होगा कि जिस प्रकार हम किसी ग्रह दोष निवारण के लिए किसी दिन वार विशेष पर व्रत उपवास करते है उसी प्रकार कम से कम महीने में एक दिन मोबाईल बंद रखने का व्रत रखना होगा क्योंकि मोबाईल आप नहीं चला रहें बल्कि वह आपको चला रहन है और यह छोटा सा यंत्र मनुष्य के नरक एवं यमलोक तक पहुंचाने का साधन बन चुका है और कम्प्यूटर साक्षरता दिवस पर पूज्य महाराज जी ने सभी से अपील की कि अत्याधुनिक उपकरणों का कम से कम उपयोग किया जाएं ।

आज की गो कृपा कथा में पूज्य महाराज जी ने बालक के सूरज पूजन में गोमाता की भूमिका के बारे में बताते हुए कहां कि गोमाता का अनुशरण करने से अपने आप विचार बदल जाता है और गोमाता की पूछ में सूर्य शक्ति के कारण उसके झाड़े से बालक के लगे अभिचार(तन्त्र मंत्र) के दुष्प्रभाव को जला देती है।

 

 

*238 वें दिवस पर पर्यावरण क्षेत्र में कार्य कर रहें संजीवन परिवार के घनश्याम ईश्वर सिंह गढ़वी पालनपुर अतिथि उपस्थित रहे*

 

*238 वे दिवस पर चुनरीयात्रा मध्यप्रदेश एवं राजस्थान से*

 

एक वर्षीय गोकृपा कथा के 238 वें दिवस पर चुनरी यात्रा मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले की सुसनेर तहसील के श्यामपुरा ग्राम के सरस्वती शिशु मंदिर के सेंकड़ों बालक बालिकाओं ने विद्यालय के प्रधानाचार्य गंगाराम व्यास, कार्यालय प्रमुख लाल सिंह, सह कार्यालय प्रमुख हैमसिंह, गोकुल सिंह, शहजाद, पवन,श्याम ,, बहादुर सिंह,, कमल, गोविन्द आदि आचार्यों के नेतृत्व में एवं राजस्थान के झालावाड़ जिले की पचपहाड़ तहसील के जीजणी ग्राम की महिला मण्डल की और से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए अमावस्या के पुण्य दिवस पर गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने

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