
उत्तंग शिखरों पर नवीन ध्वजदंड स्थापति किये गए
रिपोर्ट सुधीर बैसवार
सनावद –: नगर के तकरीबन 150 वर्ष प्राचीनतम उत्तंग शिखरों वाले श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर एवं श्री सुपार्श्वनाथ मंदिर जी के शिखरों पर नवीन ध्वजदंड स्थापित किए गए।सन्मति जैन काका ने बताया की प्रातकाल की मंगल बेला में मंदिर में श्रीजी का पंचामृत अभिषेक,भूमि शुद्धि, मंगलाष्टक,गर्त शुद्धि ,नवदेवता की पूजन के साथ मंदिरों के उत्तंग शिखरों आचार्य श्री उदासागर जी महाराज एवं नगर में चतुर्मासरत आर्यिका सरस्वती माता जी के सानिध्य में उत्तंग शिखरों पर नवीन ध्वजदंड स्थापित किए गए।सुपार्श्वनाथ मंदिर जी के ध्वजदंड के निर्माण एवं ध्वज दंड स्थापित करने सौभाग्य श्रीमती कमलाबाई स्व. सुरेशचंदजी बाकलीवाल परिवार को प्राप्त हुवा है। वही श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर जी के ध्वजदंड के निर्माण का सौभाग्य श्रीमती चंचला बाई पवन कुमार जैन नितेश- प्रीना प्रियांशी,परिधि कातोरा परिवार को प्राप्त हुवा है।एवं ध्वजदंड स्थापित करने का सौभाग्य अक्षय कुमार सराफ परिवार एवं राजेश कुमार जी जैन रेलवे परिवार को प्राप्त हुआ।अवसर पर आचार्य श्री उदार सागर जी महाराज ने अपने उद्बबोधन में कहां की जिनालय के ऊपर शिखर परजो ध्वज लगाया जाता है वह हमारे जीवन में मंगलमय वातावरण बना रहे समूचे शहर मे मंगल हो ऐसी भावन से यह ध्वज स्थापित किया जाता है। हमारे यहां ध्वज फ़राया नहीं जाता हे हमारे यहां ध्वज स्थापित किया जाता है। हमारे जैनआगमन में बताया गया हे ध्वज आरोहण याने ध्वजारोहण अर्थात ध्वज स्थापित करना। जो यहां अपनी आंखों से जिनालयों के ऊपर जो यह नवीनं ध्वजदंड कार्यक्रम आयोजित किया यहां उसकी का एक अंग है। ध्वज स्थापित करना यह सम्यक दर्शन की प्राप्ति के उपाय हे यदि ध्वज चढ़ाने का सौभाग्य मिले तो आप बहुत ही सौभाग्यशाली कहलाएंगे ओर यदि अवसर नहीं मिले तो ध्वज चढ़ते को देख लेने से भी हमारा जीवन सार्थक हो जाता हे। इस अवसर पर मुकेश कुमार प्रेमचंद जैन परिवार एवं संतोष कुमार बाकलीवाल परिवार की ओर से प्रभावना वितरण किया गया। आचार्य संघ का दोपहर में पोदनपुरम की ओर मंगल विहार हुआइस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित थे।