
आर्यिका रत्न 105 श्री प्रतिभामति माताजी ससंघ का हुवा नगर मंगल प्रवेश
रिपोर्ट सुधीर बैसवार
सनावद :– संतों की सेवा अग्रणी त्यागियों की नगरी सनावद में सन्त शिरोमणि समाधि सम्राट आचार्य श्री 108 विद्या सागरजी से दीक्षित अध्यात्म योगी आचार्य गुरुवर श्री 108 आर्जव सागरजी महाराज की आज्ञानुवर्ती शिष्या आर्यिका 105 प्रतिभा मति माताजी ससंघ मंगल प्रवेश नगर में हुवा ।सन्मति काका ने बताया की हाट पिपल्या में चातुर्मासरत आर्यिका माताजी श्री सिद्धक्षेत्र सिद्धवरकूट के यात्रा कर नगर में पधारी जहा सभी समाजजनों ने प्रातः 8.30 बजे ओंकारेश्वर रोड रेल्वे गेट पर पहुंच कर आर्यिका संघ की आगवानी की इस अवसर पर सभी समाजजन जुलुश के रूप में श्री सुपार्श्वनाथ मंदिर एवं श्री पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर में पहुंचे जहा महिलाओं ने सिर पर कलश रख कर आर्यिका संघ की आगवानी की। तत्पश्चात बड़े मंदिर जी के हाल में समाजजनों को संबोधित करते हुवे आर्यिका माताजी ने कहा की सनावद नगरी महा संयमी नगरी है जहां से 18 साधु बने हैं ये कोई छोटी बात नहीं है। नगर के लोगों की भक्तों की गुरु भक्ति बहुत ही प्रशंसनीय है। ओर यह भक्ति ही मुक्ति तक ले जाने जाने वाली होती हे क्योंकि चाहे गुरु की भक्ति हो या प्रभु की भक्ति हो समान ही होती है । क्योंकि अभी प्रभु हमारे सामने अभी एक मूर्तिं रूप में हे लेकिन एक साधु संत ही हमारे सामने साक्षात भगवंत के रूप में होते हैं जो भगवान की मुद्रा को दर्शाने वाले होते हैं। संतों का समागम मिलना और प्रभु की भक्ति मिलना ये सभी को नहीं मिलता है। बालक अवस्था में समझ नहीं ओर युवा अवस्था में समय नहीं ओर वृद्ध अवस्था शक्ति नहीं । यह पंक्तियां चरितार्थ हो रही है। हमारे लिए आत्मकल्याण कब करें यह आदमी समझ ही नहीं पाता । इस लिए समय रहते व्यक्ति को अपना जीवन गुरु भक्ति में समर्पित करना चाहिए तो ही वो अपना कल्याण कर पायेगा।इस अवसर पर आर्यिका संघ के सानिध्य में अखिलेश कुमार घाटे परिवार की और से सम्मदेशिखर विधान रचाया गया एवम दोपहर में आर्यिका माताजी के द्वारा धार्मिक क्लास एवं शाम को आचार्य भक्ति गुरुभक्ति आरती एवम प्रश्न मंच आयोजित किया गए।इस अवशर पर सभी समाजजन उपस्थित थे