
पुनः शक्ति जागरण का अवसर हैं नवरात्रि -स्वामी गोपालानंद सरस्वती
। मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित गो रक्षा वर्ष के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 178 वे दिवस के अवसर पर श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने शक्ति उपासना के प्रथम दिवस पर बताया कि गोसेवा शक्ति प्राप्ति का माध्यम है और शक्ति से श्रद्धा प्राप्त होती है यानि जिसमें शक्ति होगी वही भक्ति का काम कर सकता है और गो संग भक्त एवं ब्राह्मण होता है तो वे गुणातीत होकर मुक्ति पाते है ।
स्वामीजी ने बताया कि गाय स्वयं शक्ति रूपा होते हुए भी वह मनुष्य में करुणा भाव जागृत करने के लिए भूलोक में पशु के रूप में हमारा कल्याण करने के लिए ही अवतरित हुई है ।
स्वामीजी ने आगे बताया कि भगवान दुष्टों को नहीं सताते बल्कि भक्तों को ही सताते है ताकि वे कष्टों का सामना करते हुए अधिक तपे जिससे उनके जीवन में निखार आए अर्थात भक्त और ब्राह्मण के जीवन में संकट नहीं आएगा तो फिर उनके जीवन में सुधार नहीं होगा यानि भक्त और ब्राह्मण को संकट नहीं डिगा पाएं यही इनकी सफल परीक्षा है इसलिए तो पुनः शक्ति जागरण के अवसर के रूप में नवरात्रि आती है ।
स्वामीजी ने बताया कि सनातन धर्म के दुश्मन मुस्लिम एवं ईसाई नही है बल्कि शैव, शात्व एवं वैष्णव के बीच में खाई पैदा करने वाले वास्तविक रूप में सनातन के असली दुश्मन है क्योंकि शिव,शक्ति एवं कृष्ण अलग अलग नहीं है।
शक्ति की मूरत गोमाता है और गो की सेवा से ही शक्ति प्राप्त होती है अर्थात संसार की केंद्रीय शक्ति गायमाता ही है ।
इस सृष्टि में सृजनकर्ता,पालनकर्ता एवं संहार कर्ता ये तीन शक्तियां है । गोमाता की ब्रह्म शक्ति हमारा सृजन करती है गोमाता की विष्णु शक्ति हमारा पालन करती है और गोमाता की शिवशक्ति हमारा संहार करती है इसलिए हमारी शक्ति स्वरूपा भगवती गोमाता ही है और हमारी इस शक्ति को कमजोर करने के लिए ही हमारे दुश्मन देश अपनी लेबोरेट्री में लपि जैसी महामारी के माध्यम से हमारे शक्ति के केंद्र वेदलक्षणा भगवती गोमाता को कष्ट देने का षड्यंत्र रच रहें है ।
मालवा की भूमि में स्थापित विश्व के प्रथम गो अभयारण्य में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव में शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिवस पर पंडित सत्यनारायण शास्त्री के आचार्यत्व में पंचदश ब्राह्मणों के माध्यम से श्री हनुमत यज्ञ का प्रारंभ कलश यात्रा,पंचाग पूजन एवं अग्नि मंथन के माध्यम से प्रारंभ हुआ साथ ही आज राजरानी भगवती राधारानी जी का भगवान कृष्ण के साथ सगाई समारोह संपन्न हुआ। सगाई समारोह राधारानी जी के भाव रूपी पिता के रूप में उज्जैन निवासी श्रीमती अनिता देवी अनिल कुमार राजपुरोहित एवं भगवान कृष्ण के भावरूपी पिता के रूप में मनोरमा देवी मोहन लाल राठौर सुसनेर ने सगाई कार्यक्रम सम्पन्न करवाया।
178 वे दिवस पर चुनरी यात्रा मधयप्रदेश के झांसी एवं खरगोन जिले से
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 178 वें दिवस पर मधयप्रदेश के झांसी के चिरगांव से मोहन कुशवाह एवं खरगोन से शान्ति लाल सवनेर के परिवार की ओर से देश, राज्य एवं ग्राम, नगर के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।