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जगद्गुरु शंकराचार्य भगवान अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती एवं गोपालमणी महाराज के अथक प्रयास से गोमाता राष्ट्रमाता के पद पर स्थापित होगी-स्वामी गोपालानंद सरस्वती

ईश्वर राठोर की रिपोर्ट/सुसनेर। मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित गो रक्षा वर्ष के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 176 वे दिवस के अवसर पर श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि विगत 14 दिनों से हम सभी हमारे शास्त्र ग्रंथों में किए गए उल्लेख के अनुसार श्राद्ध कर्म के स्थान ,विधि एवं तर्पण योग्य कौन कौन व्यक्ति हो सकता है उसके बारे में भीष्म के माध्यम से युद्धिष्टर को जो विधि बताई है उसका वर्णन हमने सुना है और बताया कि श्राद्धकर्म के लिए उपरोक्त वर्णानुसार स्थान, कव्य एवं उचित पात्र नहीं मिले तो सबसे बड़ा श्राद्धकर्म के फल के बारे में बताते हुए कहां कि मन में श्रद्धा और आंगन में गोमाता हो तो अपने पितृदेवो का श्राद्ध तर्पण कर सकते है अर्थात गायमाता के बिना श्राद्धकर्म सम्भव नहीं है।

स्वामीजी ने अपने पित्रों को श्राद्धकर्म के बारे में बताते हुए कहां कि सबसे पहले तो अपने पित्रों का उनकी तिथि के अनुसार श्राद्धकर्म कर सकते है और जब तिथि ज्ञात न हो तो फिर उनका श्राद्ध सर्व पितृदेवकार्य अमावस्या को तर्पण किया जा सकता है । पितृ श्राद्ध के लिए अगर उपयुक्त ब्राह्मण देवता न मिले तो गोमाता को उत्तराभिमुख खड़ा करके श्राद्ध तर्पणकर्ता को दक्षिण दिशा में मुंह करके श्राद्ध तर्पण करने से सर्व पितृ प्रसन्न हो जाते है ।

स्वामीजी ने मालवा सहित देश में अनेक क्षेत्रों में श्राद्ध चतुर्दशी को श्राद्ध के नाम से पित्रों के नाम जो पशु बलि दी जाती है उसका विरोध करते हुए कहां कि बलि का मतलब त्याग करना होता है इसलिए हममें जो कुरीति हो उसे हम हमारे पितृदेव को साक्ष्यमानकर त्यागने को बलि नाम दिया है लेकिन मुगल एवं अंग्रेजों के काल में कुछ दुष्ट प्रवृति की मानसिकता वालो ने अपना पेट भरने के लिए इसे पशुबलि के रूप में समाज के सामने रख दिया है और उस भ्रांति के कारण देशभर में हजारों पशुओं की बलि देकर लोग खुद तो पाप के भागी बन ही रहें है साथ ही अपने पित्रों पर और पाप का बोझ चढ़ा रहें है ।

पूज्य स्वामीजी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस एवं अजीत पंवार द्वारा महाराष्ट्र में गोवंश के संरक्षण के लिए उनकी सरकार के माध्यम से गोमाता को राज्यमाता के रूप में मानने की घोषणा का स्वागत करते हुए बताया कि आज एक खुश खबरी और मिली है अर्थात् अब गोमाता की सेवार्थ उत्तरप्रदेश में भी गोसेवा आयोग का गठन किया है और आयोग के प्रथम अध्यक्ष बने श्यामबिहारी गुप्ता को महाराज जी ने शुभकामनाएं देते हुए उत्तरप्रदेश के गो सेवक यशस्वी मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ जी का आभार जताया और गोसेवा आयोग के नवीन अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता को मध्यप्रदेश के आगर मालवा की भूमि में बने विश्व के प्रथम गो अभयारण्य में आमंत्रित किया है ।

भारत में गोमाता हितार्थ जो श्रेष्ठ कार्य हो रहें है उसमें सबसे बड़ी भूमिका जगद्गुरु शंकराचार्य भगवान पूज्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज एवं गोपालमणी जी महाराज सहित भारत के गो संतो की तपस्या की ही परिणिति का फ़ल बताया जिसके कारण गोमाता को सर्वोच्च सम्मान मिलना शुरू हुआ है और इन श्रेष्ठसंतों के प्रयास से ही गोमाता भारत की राष्ट्रमाता के रूप में स्थापित होगी।

 

 

 

भारत विकास परिषद आगर के अध्यक्ष कैलाश माहेश्वरी एवं प्रांतीय सम्पर्क प्रमुख राजेंद्र विश्वकर्मा अतिथि उपस्थित रहें

 

176 वे दिवस पर चुनरी यात्रा मध्यप्रदेश सोयत कलां से 

एक वर्षीय गोकृपा कथा के 176 वें दिवस पर मध्यप्रदेश के आगर जिले की सुसनेर तहसील के सोयत कलां से शैलेन्द्र सिंह तोमर, पुत्र मनोज तोमर, एवं पौत्र माधव व केशव सहित समस्त तोमर परिवार की ओर से देश, राज्य एवं ग्राम, नगर के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए छपन्नभोग एवं चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।

 

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