Uncategorized

राजस्थान में अब गोवंश को कोई भी आवारा नहीं कहेगा,राज्य सरकार ने किया आदेश जारी है-स्वामी गोपालानंद सरस्वती

ईश्वर राठौर की रिपोर्ट

सुसनेर।मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित गो रक्षा वर्ष के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 203 वे दिवस पर श्रोताओं को संबोधित करते हुए स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती महाराज ने बताया कि
राजस्थान सरकार द्वारा यह निर्णय लिया कि गौमाता को कोई आवारा नहीं कहेगा, निराश्रित तथा बेसहारा कहना होगा|
सनातन धर्मं को मानने वालो की भावनाओ को ध्यान में रखते हुवे यह आदेश जारी किया है | महाराज जी आज कथा में राजस्थान सरकार को इस कार्य हेतु आभार जताया|

आज कथा में महाराज जी ने कहा की ब्राह्मण देवताओ को यज्ञ हेतु यूरिया डी ए पी से उत्पादित जो और तिल का उपयोग नहीं करना चाहिए| जहरीले पदार्थो की आहुति भगवान को नहीं चढ़ाये| गो कृषि से उत्पादित तिल और जौ का उपयोग करना चाहिए | कम मात्रा में ही उपयोग करे लेकिन शुद्धता का पूर्ण ध्यान रखना चाहिए | यज्ञ स्थल पर गोमाता की उपस्थिति का होना भी आवश्यक बताया गया है | गोमाता के बिना यज्ञ का पूजन सफल नहीं हो सकता | यह बात हमारे शास्त्रों में स्पष्ट रूप से लिखी गई है | गोमाता से ही यज्ञ सम्पन्न होते है | यज्ञ में वैद्लक्षणा गोमाता के दूध, दही, घी, कन्डो का उपयोग आवश्यक है | गोमाता के बगैर यज्ञ की कल्पना भी नहीं की जा सकती | यज्ञ के प्रारंभ, मध्य व समापन पर गोमाता की आवश्यकता होती है| यज्ञ के पश्चात् ब्राह्मण देवताओ को गोदान का भी बहुत बड़ा महत्व है | आजकल यज्ञ कराने वाले ब्राहमणों को यज्ञ के पश्चात् यजमान गो दान तो करते है लेकिन चांदी की गोमाता प्रतीक रूप में देकर इस रस्म को पूरा किया जाता है यह पूर्णत: गलत है | यज्ञ कराने के पश्चात् ब्राह्मण को अच्छी दक्षिणा के रुप में बछड़े वाली दुधारू गोमाता गोदान के रूप में देने का विधान शास्त्रों में बताया गया है |

कई महात्मा तप साधना के बल पर अपनी वाणी को सिद्ध करते है , कई जल को सिद्ध करते है | ठीक इसी प्रकार गोमाता को भी सिद्ध किया जा सकता है | कोई मनुष्य ढाई वर्षो तक पूरी आत्मीयता के साथ गो सेवा करे , गोमाता को जो जो चीज अच्छी लगती है वह सभी कार्य आप करे , गोमाता को किसी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं हो | उनके खाने, रहने की व्यवस्था देवता समझकर करे तो निश्चित रूप से ढाई वर्षो के अंदर अंदर वह गोमाता सिद्ध हो जाती है | ऐसी सिद्ध गोमाता सभी सुखो की दाता होती है | सेवा करने वाले व्यक्ति की सभी सात्विक मनोकामनाओ को पूर्ण करती है|

203 वे दिवस पर चुनरी यात्रा देश की राजधानी दिल्ली से 
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 203 वें दिवस पर चुनरी यात्रा देश की राजधानी दिल्ली के नोएडा से लखन सिंह के परिवार की ओर से अपने नगर,राज्य एवं देश के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!